27 सालों से संजोकर रखी पत्नी की अस्थियां, बोले: मरने के बाद चिता पर साथ ही रख देना

पति-पत्‍नी ने साथ जीने-मरने की कसम खाई लेकिन पत्‍नी की मौत पहले हो गई। इसके बाद पति ने वादा पूरा कने के लिए जो तरीका अपनाया उसे जान कर आप भावुक हो जाएंगे।

By Amit AlokEdited By: Publish:Tue, 03 Sep 2019 07:15 AM (IST) Updated:Wed, 04 Sep 2019 05:36 AM (IST)
27 सालों से संजोकर रखी पत्नी की अस्थियां, बोले: मरने के बाद चिता पर साथ ही रख देना
27 सालों से संजोकर रखी पत्नी की अस्थियां, बोले: मरने के बाद चिता पर साथ ही रख देना

पूर्णिया [राजेश कुमार]। पति-पत्नी के प्यार की यह कहानी एक मिसाल है। पूर्णिया के साहित्यकार भोलानाथ आलोक ने अपनी पत्नी पद्मा रानी को साथ जीने-मरने का दिया वचन निभाने के लिए 27 सालों से उनकी अस्थियां संजोकर रखी हैं। इन अस्थियों को अपनी मौत के बाद चिता में एक साथ अग्नि के हवाले करने की बात अपनी संतानों से कह रखी है। वे जब एकांत में होते हैं, पेड़ पर एक पोटली में टंगी उन अस्थियों को निहारते रहते हैं। कहते हैं, पद्मा की यह स्मृति उनके साथ ही दुनिया से विदा होगी।

नहीं निभा सके साथ पत्‍नी संग मरने का वादा

भोलानाथ आलोक बताते हैं कि उनकी शादी बचपन में ही हो गई थी। पत्नी बेहद ही सरल स्वभाव की थीं। तब दोनों ने साथ जीने-मरने की कसम खाई थी। लेकिन विधि को यह मंजूर नहीं था। पद्मा की असमय मौत हो गई और यह वादा अधूरा रह गया। इसके बाद भोलानाथ ने पत्‍नी से किया वादा पूरा करने के लिए उनकी अस्थियां रख लीं।

27 सालों से पेड़ पर पोटली में टंगी हैं अस्थियां

आज भोलानाथ की उम्र 87 साल है। उन्‍होंने 27 सालों से अपनी पत्नी की अस्थियों को घर के बगीचे में एक पेड़ की टहनी से टांगकर सुरक्षित रखा है। कहते हैं, 'पद्मा भले ही नहीं हैं, लेकिन ये अस्थियां उनकी यादें मिटने नहीं देतीं। जब भी किसी परेशानी में होता हूं, तो लगता है वे यहीं हैं, यहीं कहीं हैं। बच्चों को कह रखा है कि मेरी अंतिम यात्रा में पत्नी की अस्थियों की पोटली साथ ले जाना और चिता पर मेरी छाती से लगाकर ही अंतिम संस्कार करना।' भरी आंखों से वे बताते हैं कि अपने वादा को निभाने के लिए कोई चारा नहीं देख यह तरीका अपनाया।

पति-पत्‍नी के प्रेम की यह कहानी बनी मिसाल

पति-पत्‍नी के प्रेम की यह कहानी मिसाल बन चुकी है। पूरे इलाके में इसकी चर्चा होती है। हालांकि, भोलानाथ इसे अपना कर्तव्‍य मानते हैं। कहते हैं, 'अब भगवान के घर में जब पद्मा से मिलूंगा, तब यह तो बता सकूंगा कि मैंने अपना वादा निभाया।'
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