भारतीय रोड कांग्रेस का तीसरा दिन: बिहार की रोड मेंटेनेंस पॉलिसी को सबने सराहा, वाहनों की स्‍पीड कम हो

भारतीय रोड कांग्रेस के तीसरे दिन बिहार की रोड मेंटेनेंस पॉलिसी का प्रजेंटेशन दिया गया। कई राज्‍यों ने इसकी जमकर सराहना की। वाहनों की स्‍पीड पर कंट्रोल रहे इस पर जोर दिया गया।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Sun, 22 Dec 2019 07:55 PM (IST) Updated:Sun, 22 Dec 2019 07:55 PM (IST)
भारतीय रोड कांग्रेस का तीसरा दिन: बिहार की रोड मेंटेनेंस पॉलिसी को सबने सराहा, वाहनों की स्‍पीड कम हो
भारतीय रोड कांग्रेस का तीसरा दिन: बिहार की रोड मेंटेनेंस पॉलिसी को सबने सराहा, वाहनों की स्‍पीड कम हो

पटना, राज्य ब्यूरो। भारतीय रोड कांग्रेस के 80 वें अधिवेशन के तीसरे दिन देश भर के पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिवों व इंजीनियरों की बैठक में बिहार की रोड मेंटेनेंस पॉलिसी को खूब सराहना मिली। कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने इस बात पर आश्चर्य भी जताया कि बिहार में सात वर्षो तक के लिए सड़कों के रख-रखाव की नीति सरकार के स्तर पर काम कर रही है। कई राज्यों ने इस नीति को लेकर अपनी रुचि दिखाई और इससे संबंधित डाक्यूमेंंट उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।

बिहार की ओर से पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने रोड मेंटेनेंस पॉलिसी पर प्रेजेेंटेशन दिया। बिहार राज्य पथ विकास निगम के सीजीएम संजय कुमार और सड़क अनुरक्षण विभाग के प्रभारी अभियंता रमेश कुमार सिंह ने उनका सहयोग किया। बिहार के प्रेजेंटेशन में यह बताया गया कि पूरे देश में कहीं भी सड़कों के मेंटेनेंस की अवधि सात वर्षों की नहीं है। इसकी मॉनीटरिंग के पहलू पर भी बातें हुईं। ग्रामीण सड़कों में इसे कैसे समाहित किया जाना है इस पर भी चर्चा हुई। पुल निर्माण निगम की उपलब्धियों को भी बताया गया।

उड़ीसा सरकार की ओर से इस मौके पर पुल के रख-रखाव को लेकर वहां बनी पॉलिसी पर प्रेजेंटेशन दिया गया। उड़ीसा में पुलों के रख-रखाव के लिए ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम बनाया गया है। इसके तहत पुलों के एक-एक हिस्से की स्थिति क्या है इसकी इनवेंट्री बनाकर उस पर काम काम होता है। उत्तराखंड सरकार के पथ निर्माण विभाग की ओर से देहरादून में पार्किंग सिस्टम को किस तरह से आइटी का इस्तेमाल कर संचालित किया जा रहा है इस पर प्रेजेंटेशन हुआ। महाराष्ट्र सरकार के पथ निर्माण विभाग ने पुलों के निर्माण के साथ चल रही वनधारा योजना पर अपना प्रेजेंटेशन दिया। 


ट्रॉमा सेंटर के साथ सड़क का जिम्मा संभाल रही एजेंसी से समन्वय जरूरी

भारतीय रोड कांग्रेस के 80 वें अधिवेशन में शनिवार को सड़क सुरक्षा विषय पर विशेष तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों का इस बात पर जोर रहा कि जो एजेंसी सड़क के रख-रखाव का जिम्मा संभाल रही है उसके साथ संबंधित इलाके के ट्रॉमा सेंटर का बड़े स्तर का समन्वय जरूरी है। वर्तमान में एजेंसी के स्तर पर एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध है। इसे और अधिक विस्तार दिए जाने की जरुरत है।

विशेषज्ञों ने कहा कि रोड की बेहतर स्थिति ने वाहनों की गति सीमा बढ़ा दी है। इसे नियंत्रित करने की जरूरत है। जो लेन जिस वाहन के लिए चिन्हित हैैं उस पर वैसी ही क्षमता वाले वाहनों का परिचालन हो इस पर सख्ती की आवश्यकता है। रेट्रो रिफ्लेक्टिव साइनेज का इस्तेमाल जरूरी है। यह बहुत पुरानी तकनीक है और काफी कारगर भी है। सड़क सुरक्षा पर हुई चर्चा में सीएसआइआर के सीताराम ने भूमि संरक्षण, डॉ बसंत जी हरि ने जियो टेक्निकल संदर्भ, सीआरआरआइ के एसएस गहरवाल ने पुलों के संदर्भ में अपना प्रेजेंटेशन दिया। 

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