देदौर पंचायत में कहीं पानी की बर्बादी तो कहीं बाल्टी भरना भी मुश्किल

नवादा सदर प्रखंड के देदौर पंचायत में कहीं पानी की बर्बादी हो रही है तो कहीं ग्रामीण पानी को लेकर परेशान है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Feb 2019 08:06 PM (IST) Updated:Thu, 07 Feb 2019 08:06 PM (IST)
देदौर पंचायत में कहीं पानी की बर्बादी तो कहीं बाल्टी भरना भी मुश्किल
देदौर पंचायत में कहीं पानी की बर्बादी तो कहीं बाल्टी भरना भी मुश्किल

नवादा सदर प्रखंड के देदौर पंचायत में कहीं पानी की बर्बादी हो रही है तो कहीं ग्रामीण पानी को लेकर परेशान है। देदौर गांव में अब तक नल-जल का पाइप नहीं पहुंचा है। गांव में जो थोड़े-बहुत चापाकल हैं वे लेयर भागने से सूख चुके हैं। पहाड़ी चापाकल से लोगों की प्यास बूझती है। गांव के माहुरी टोला में लोग बताते हैं कि 27 घरों पर एक चापाकल से पानी लाया जाता है। इधर, इसी गांव के आगे अकौनाडीह गांव में सड़क के किनारे नल-जल का पानी यूं ही बर्बाद हो रहा है। गुरुवार की दोपहर में यह नजारा दिखा। नल-जल के ब्लू रंग के पाइप से पानी यूं ही बह रहा था। जबकि इसी अकौनाडीह गांव में अनुसूचित जाति के टोला में कई नलों में ठीक से पानी नहीं पहुंच पा रहा है। कुछ नलों से पानी बहुत ही कम मात्रा में गिरता है। तो कुछ से ठीक पानी गिरता है। हर घर तक पहुंची बिजली लेकिन सड़क उबड़-खाबड़

एनएच-31 से सटे अकौनाडीह गांव होते हुए देदौर तक जाने वाली सड़क उबड़-खाबड़ है। गांव में आंगनबाड़ी केंद्र व सरकारी विद्यालय है। लेकिन गांव की कई गलियों में पीसीसी होना अभी बाकी है। गांव के कई लोग राशन-किरासन मिलने की बात करते हैं। तो बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा का पेंशन मिलता है। गांव में बिजली की पहुंच हर घर तक दिखती है। इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। बीमार लोगों को सीधे जिला मुख्यालय सदर अस्पताल आना पड़ता है। जो पंचायत से करीब 4 किमी दूर है। उपजाऊ है देदौर पंचायत की मिट्टी

देदौर पंचायत का पूरा इलाका अच्छी खेतीबारी के लिए जानी जाती है। खासकर सब्जी की खेती के लिए। इन दिनों यहां गाजर से लेकर मूली, पालक, बैगन, टमाटर के अलावा गेहूं व आलू की खेत हरी-भरी दिखती है। देदौर में कोईरी व माहूरी समाज की बहुलता है। तो अकौनाडीह में यादव, अनुसूचित जाति समाज के लोग हैं। यहां बड़ी तादात में खेती होती है। सालों भर पैदावार होती है। यहां की उपजी ज्यादातर सब्जी नवादा मंडी में खपत होती है। क्या कहते हैं ग्रामीण-

गांव के माहुरी टोले में 27 घर पर एकमात्र पहाड़ी चापाकल से पानी लाया जाता है। गांव में अब तक नल का जल नहीं पहुंच सका है। पेयजल का संकट है। गांव वालों में निराशा है।

जगदेव प्रसाद, देदौर(फोटो:14)

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मेरे घर में जबसे नल का जल का पाइप बिछा है तभी से पानी नहीं पहुंच रहा है। दूसरे के नल से पानी लाना पड़ता है। इस ओर विभाग को ध्यान देना चाहिए।

रेखा देवी, अकौनाडीह (फोटो:16)

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नल-जल पाइप से ठीक तरीके से पानी नहीं पहुंच पाता है। धीरे-धीरे करके घंटों में एक बाल्टी भर पाता है। गर्मी का समय आ रहा है। पानी का संकट दूर होना चाहिए।

किरण देवी, अकौनाडीह (फोटो:33)

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एक तरफ गांव में पानी बर्बाद हो रहा है तो मेरे नल में पानी ही नहीं पहुंचता है। गर्मी का समय नजदीक है। लिहाजा सभी गरीब के घर तक पानी पहुंचना चाहिए।

बिरजू मांझी, अकौनाडीह (फोटो:34)

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गांव में बिजली तो चकाचक रहती है। मुख्य सड़क दशक पहले की है। पानी का लेयर भाग जाने से कई चापाकल खराब हैं। नल-जल का पानी पहुंचा है। लेकिन इसकी बर्बादी भी हो रही है।

अनिल मिस्त्री, अकौनाडीह (फोटो:15) क्या कहतीं हैं जनप्रतिनिधि

पंचायत के हर गांव-टोले के विकास के लिए समर्पित हूं। पानी की योजना में पहले फेज में वार्ड 13, 6 व 9 में पानी पहुंचा है। जबकि दूसरे चरण में तेतरिया, अफजल बिगहा, अकौना बिगहा, अकौना बाजार में दूसरे चरण में नल का पानी पहुंचेगा। तीसरे चरण में देदौर में पानी पहुंचना है। जिन गरीब परिवारों के यहां पानी नहीं पहुंच रहा है। उसे ठीक कराया जाएगा। पानी की बर्बादी रोकने के लिए सभी गांव वालों को जागरूक रहना चाहिए।

रेणु कुमारी, मुखिया, देदौर पंचायत (फोटो:17)

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