मशीन व मनुष्य के बीच अंतरसंबंधों को समझना जरूरी : प्रो. नीलीमा

नालंदा : नव नालंदा महाविहार डीम्ड विश्वविद्यालय नालंदा में सोमवार को 13 वां नालंदा डायलांग शुरू हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jan 2019 07:07 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jan 2019 07:07 PM (IST)
मशीन व मनुष्य के बीच अंतरसंबंधों को समझना जरूरी : प्रो. नीलीमा
मशीन व मनुष्य के बीच अंतरसंबंधों को समझना जरूरी : प्रो. नीलीमा

नालंदा : नव नालंदा महाविहार डीम्ड विश्वविद्यालय नालंदा में सोमवार को 13 वां नालंदा डायलांग शुरू हुआ। इस अवसर पर संबंधों का दर्शन एवं आधुनिक विज्ञान विषयक कार्यशाला का उद्घाटन कामेश्वर ¨सह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा की पूर्व कुलपति प्रोफेसर नीलिमा सिन्हा ने दीप जलाकर किया। उन्होंने कहा कि जब तक संबंधों को मनुष्य से समाज और मनुष्य से प्रकृति को ठीक से समझा नहीं जाएगा, तब तक दुनिया की उन्नति नहीं हो सकेगी। मशीन और मनुष्य के अंतर संबंधों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह दोनों आपस में काफी करीब पहुंच रहे हैं। इससे मानव जगत लाभान्वित तो होगा, लेकिन कुछ विकृति भी उत्पन्न होगी। उन्होंने कहा कि दर्शन, तर्कशास्त्र और आधुनिक विज्ञान को मिलाकर समझने का महाविहार का प्रयास काफी सराहनीय है। डीवाई पाटिल अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के सदस्य प्रोफेसर प्रभात रंजन ने कहा कि मानव मस्तिष्क और मशीन एक दूसरे के इतने करीब आ रहे हैं कि वह दिन दूर नहीं कि जब मनुष्य के अधिकांश कार्य मशीन से ही किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मनुष्य के मस्तिष्क में कम्प्यूटर के पेन ड्राइव लगाकर मनुष्य को भाषा सिखाया जा सकता है। और उन्हें अनंत ज्ञान का स्त्रोत बनाया जा सकता है। उनका स्वयं का कार्य मनुष्य के मस्तिष्क का विकास और एकाग्रता में सुधार करने का कार्य चल रहा है। कार्यक्रम की शुरूआत बौद्ध भिक्षुओं के मंगलपाठ से हुई। नालंदा डायलॉग का दूसरा सत्र देर शाम तक चलता रहा। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर राणा पुरुषोत्तम कुमार ¨सह ने किया धन्यवाद ज्ञापन दर्शन शास्त्र के विभागाध्यक्ष सह नालंदा डायलॉग के संयोजक डॉ विनोद कुमार चौधरी ने किया।

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भगवान बुद्ध के शास्त्र अभिधम्म में 24 तरह के संबंधों की व्याख्या

नव नालंदा महाविहार डीम्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर बैद्यनाथ लाभ ने अध्यक्षीय भाषण करते हुए कहा कि भगवान बुद्ध के महत्वपूर्ण शास्त्र अभिधम्म के पठान सूत्र में 24 तरह के संबंधों की व्याख्या मिलती है। उन्होंने कहा कि बुद्ध ने भले ही प्रत्यक्ष रूप से ईश्वर के अस्तित्व पर बात की है। परंतु मन और शरीर के अंतर संबंधों पर विचार केंद्रित रहा है। विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक डॉ श्रीकांत ¨सह ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए सेमिनार के विषय का संक्षिप्त सार प्रस्तुत किया।

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पहले दिन दो सत्रों में हुआ गंभीर विषयों पर विमर्श

नालन्दा: 13 वें नालन्दा डायलॉग के प्रथम दिन के क्रियाकलापों को दो सत्रों में बंटा गया था। पहले सत्र में उद्घाटन समारोह तथा फिलॉसफी ऑफ रिलेशन एंड मॉडर्न साइंस विषय पर विचार मंथन किया गया। जिनमें मुख्य रूप से प्रो प्रभात रंजन, प्रो नीलिमा सिन्हा, प्रो वैद्यनाथ लाभ, डॉ वी के चौधरी आदि ने विचार रखे। जबकि दूसरे  टेक्निकल सत्र में व्याख्यान व समूह विमर्श का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य रूप से प्रो उत्तम के. पति, डॉ अनिल तिवारी, डॉ रविन्द्र कुमार पाठक, प्रो शशि शेखर आदि ने वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर विमर्श किया। यहां बता दें कि इस 13वें डायलॉग में मुख्य रूप से  दर्शन शास्त्र के संबंध व आधुनिक विज्ञान पर चर्चा की जा रही है। जिसका मुख्य थीम'रिलेशन'है। जिसे पांच सत्रों में सम्पन्न किया जाएगा।

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कई विश्वविद्यालय के आए थे प्रोफेसर

इस अवसर पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उत्तम पति, जम्मू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अनिल तिवारी, नागार्जुन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बीबीएस साईं बाबा, हजारीबाग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर देवज्योति गांगुली, पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरसी सिन्हा, सीआरपीएफ प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य ब्रिगेडियर वीरेंद्र कुमार ¨सह, नव नालंदा महाविहार के पूर्व निदेशक डॉ उमाशंकर व्यास, डॉ रूबी कुमारी के अलावे विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मी उपस्थित थे।

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