सुदामा के पास था हरि नाम रूपी धन, उनको गरीब ब्राह्मण कहना उचित नहीं

लोक प्रचलन के अनुसार सुदामा को गरीब ब्राह्मण कहा जाता है पर यह शब्द उचित नहीं। जिसके पास हरि नाम का धन हो वह गरीब नहीं हो सकता। यह संपत्ति ऐसी है जो न खर्च होती है न कोई चुराता है दिन-दिन बढ़ती जाती है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 17 Oct 2020 04:21 PM (IST) Updated:Sat, 17 Oct 2020 04:21 PM (IST)
सुदामा के पास था हरि नाम रूपी धन, उनको गरीब ब्राह्मण कहना उचित नहीं
जिसने ये दुख दिया है, वही भगवान हमें बचाकर सुखी भी करेंगे।

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सरैया प्रखंड के बसंतपुरपट्टी स्थित श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर के प्रांगण में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सातवें व अंतिम दिन वृंदावन से आए कथावाचक मणिकांत ठाकुर ने सुदामा चरित की चर्चा। कहा कि लोक प्रचलन के अनुसार सुदामा को गरीब ब्राह्मण कहा जाता है, पर यह शब्द उचित नहीं। जिसके पास हरि नाम का धन हो वह गरीब नहीं हो सकता। यह संपत्ति ऐसी है जो न खर्च होती है, न कोई चुराता है, दिन-दिन बढ़ती जाती है। 

जीवन में आए दुखों से विचलित न हों

उन्होंने कहा- दत्तात्रेय भगवान ने अनेकों गुरु बनाए। उन्होंने एक अबोध बालक को गुरु बनाया और उस अबोध बालक से यह शिक्षा ली कि अबोध बालक को जब कोई गोद में लेकर ऊपर की ओर उछालता है, तो भी वह विचलित नहीं होता बल्कि मुस्कराता रहता है। कारण यह है कि उस बालक को पूर्ण विश्वास होता है कि जिसने हमें फेका है, वह पकड़ लेगा। वैसे हीं जीव को भगवान पर दृढ़ विश्वास होना चाहिए। गृहस्थ में आए छोटे-मोटे उछाल से जैसे सुख-दुख से विचलित नहीं होना चाहिए। भरोसा रखना चाहिए जिसने ये दुख दिया है, वही भगवान हमें बचाकर सुखी भी करेंगे। मौके पर आयोजक संत रामरतन दासजी महाराज, पवन तिवारी, गोनौर साह, विरेंद्र भगत, श्याम कुमार, संजीत कुमार सिंह, गणिनाथ सहनी आदि मौजूद रहे।

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