International Human Rights Day 2019: उठी आवाज तो नाइजीरिया के बंदी को मिला परिवार

International Human Rights Day 2019 अमेरिकी नागरिक की घर वापसी को लेकर मानवाधिकार तक पहुंचा मामला। मानवाधिकार जन कल्याण सुरक्षा समिति चला रही अधिकार की मुहिम।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Tue, 10 Dec 2019 12:13 PM (IST) Updated:Tue, 10 Dec 2019 12:13 PM (IST)
International Human Rights Day 2019: उठी आवाज तो नाइजीरिया के बंदी को मिला परिवार
International Human Rights Day 2019: उठी आवाज तो नाइजीरिया के बंदी को मिला परिवार

मुजफ्फरपुर,[अमरेंद्र तिवारी]। सुबह-सुबह चाय के साथ अखबार देखा तो एक खबर दिखी कि सजा पूरी करने के बाद भी नाइजीरिया का बंदी जेल में बंद है। मन में विचार आया कि खुद जाकर उसकी हालत देखें। बाइक उठाई और पहुंचे केंद्रीय कारा मोतिहारी। उससे मिलना भी टेढ़ी खीर साबित हुई। पहले तो जेल प्रशासन ने इतनी पूछताछ की लगा कि वह कोई आतंकी है। किसी तरह बात बनी। बंदी से मुलाकात हुई तो बातचीत में वह भावुक हो गया।

मानवाधिकार आयोग के दरवाजे पर दस्तक दी। जांच चली और अंत में उसको सजा दिलाने से लेकर जेल में बंद रखने तक की जवाबदेही तय हुई तथा वह वापस अपने घर गया। इतना कहकर भावुक हो जाते हैं मानवाधिकार कार्यकर्ता अधिवक्ता डॉ.सुबोध कुमार झा। उन्होंने बताया कि मानवाधिकार को लेकर प्रशासन के अधिकतर अधिकारी व कर्मचारी गंभीर नहीं रहते।

उन्होंने बताया कि इस साल करीब 60 मामलों को मानवाधिकार आयोग तक ले गए हैं। अमेरिकी नागरिक क्यूंग डेविट दुहयन नेपाल में भ्रमण के लिए आया था। भारतीय सीमा में वह नोट के साथ पकड़ा गया है। अब उसे उसके घर पहुंचाने के लिए आयोग के पास गए हैं। छानबीन चल रही है।

2007 से उठा रहे आवाज

आदर्श ग्राम कोल्हुआ पैगम्बरपुर निवासी डॉ. झा ने बताया कि वह 2007 से लगातार मानवाधिकार की आवाज उठा रहे हैं। 2015 से मानवाधिकार जनकल्याण सुरक्षा समिति गठित कर उसके माध्यम से हक की लड़ाई जारी है। समिति गठन के बाद करीब 250 मामले आए। उन्होंने पहल की और सरकार व प्रशासन को जवाब देना पड़ा। इस साल यानी 2019 में जनवरी से अबतक 60 मामले आए। इसमें 26 का निपटारा कराया गया है।

संगठन के पास लोग आवेदन देते हैं। इसकी जांच के बाद मानवाधिकार आयोग से पत्राचार होता है। इस पर होने वाले खर्च को स्वयं वहन करते। इसके लिए वह बच्चों को पढ़ाते और उससे जो बचत होती उसे जनकल्याण पर खर्च करते हैं।

खटखटाया आयोग का दरवाजा

डॉ.झा ने बताया कि कानून की पढ़ाई करने के दौरान 2012 में उनकी बाइक आवास से चोरी हो गई। अहियापुर थाने में जाकर आवेदन दिया। पुलिस चार्जशीट दाखिल करने के लिए लेन-देन की बात करती रही। पुलिस की डांट-फटकार सुनते-सुनते तंग आ गए। मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया। आयोग ने संज्ञान लिया तब पुलिस हरकत में आई। उसके बाद चार्जशीट कोर्ट तक गई और बाइक की बीमा राशि संबंधित बीमा कंपनी ने वापस दी। इस साल 2019 में उच्च न्यायालय पटना में छह और सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में 19 पीआइएल यानी जनहित याचिका दायर की हैं। इन पर सुनवाई चल रही है।

सरैया पुलिस पर उठा सवाल

सरैया थाने के मोती चौक पर पति को जलते देख पत्नी बचाने गई और दोनों की मौत हो गई। मृतका के भाई मनियारी शाहपुर मरीचा निवासी प्रफ्फूल श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस इस मामले में गंभीर नहीं रही। अधिवक्ता डॉ.झा ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने स्टेशन डायरी में इसका जिक्र नहीं किया। मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर सीआइडी ने जांच की।

अब कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस मामले को लटकाने व भटकाने के लिए घटना के समय रहे तत्कालीन दारोगा यानी जांच अधिकारी के खिलाफ आयोग में सुनवाई चल रही है। अपराध अनुसंधान विभाग पटना के पुलिस अधीक्षक ने लापरवाह पुलिस अधिकारी को निलंबित करने के लिए रिपोर्ट विभाग को दी है। घटना कुछ यूं रही मोती चौक निवासी राजू कुमार पारिवारिक कारणों से तंग आकर खुद पर केरोसिन डालकर आग लगा ली। उन्हें बचाने में पत्नी रश्मि कुमारी भी झुलस गईं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरैया में इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई थी। 

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