अतिक्रमण से कराह रहा शहर, कठघरे में व्यवस्था, प्रतिदिन सड़क पर ठहर जाती जिंदगी

संकरी हुईं शहर की सड़कें। सभी चौक-चौराहे सब्जी मंडी में तब्दील। अतिक्रमण के कारण जाम हुआ आम। सिस्टम पर भारी अतिक्रमणकारी। सवालों के घेरे में जिला।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 13 Apr 2019 09:33 AM (IST) Updated:Sat, 13 Apr 2019 09:33 AM (IST)
अतिक्रमण से कराह रहा शहर, कठघरे में व्यवस्था, प्रतिदिन सड़क पर ठहर जाती जिंदगी
अतिक्रमण से कराह रहा शहर, कठघरे में व्यवस्था, प्रतिदिन सड़क पर ठहर जाती जिंदगी

मुजफ्फरपुर, [प्रमोद कुमार]। शहर के चौक-चौराहे हों या फिर मुख्य सड़क। अतिक्रमणकारियों के पांव सभी जगह पूरी मजबूती से जमे हैं। नियम-कायदा ताक पर है और अतिक्रमणकारी लगातार अपना पांव फैला रहे हैं। पहले फुटपाथ पर दुकान सजाते थे, अब सड़क तक पहुंच गए हैं। न कोई टोकने और न ही रोकने वाला। उनका मनी मैनेजमेंट इतना भारी है कि उनके समक्ष जिला, पुलिस एवं निगम प्रशासन सब के सब नतमस्तक हैं। वोट बैंक के नाम पर सियासत के खिलाड़ी इनकी बात आते ही मौन हो जाते हैं। अतिक्रमण से कराह रहे शहरवासी लोकसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाएंगे।

नाका के नाक के नीचे सड़क पर सब्जी मंडी

शहर के सर्वाधिक व्यस्तम चौराहों में से एक है सरैयागंज टावर चौक। यह नाका भी है। इतना ही नहीं, यहां आधा दर्जन ट्रैफिक पुलिस के जवानों की तैनाती हमेशा रहती है। बावजूद यहां हर दिन, हर पल जाम होता है। जाम भी ऐसा-वैसा नहीं। फंसे तो निकलना मुश्किल। जनता एवं पुलिस दिनभर इससे जूझती रहती है। सवाल उठता है कि जाम का कारण क्या है? जवाब एकमात्र है चौक के चारों तरफ सड़क पर सजीं अवैध दुकानें। टावर से गांधी चौक तक जाने वाली सड़क को सब्जी एवं फल-फूल विक्रेताओं ने कब्जा कर रखा है। वहीं, चौक के चारों तरफ दुकानदारों ने सड़क पर अपनी-अपनी दुकानें सजा रखी हैं।

फुटपाथ पर बड़े दुकानदारों का कब्जा

शहर का मुख्य बाजार मोतीझील हो या जवाहर लाल रोड, सरैयागंज हो या फिर तिलक मैदान रोड। फुटपाथ के साथ सड़क को बड़े दुकानदारों ने अपनी जागीर बना रखी है। दोनों तरफ स्थित कपड़े का शोरूम हो या फिर जूता-चप्पल की दुकानें, सबने सड़क तक अपनी दुकान सजा रखी है। दुकानदारों ने दुकान या कंपनी के प्रचार के लिए होर्डिंग, बोर्ड एवं अन्य प्रचार सामग्री ग्राहकों को लुभाने के लिए लगा रखी है। वहीं, नाले के ऊपर बने फुटपाथ पर बड़े दुकानदारों के संरक्षण में छोटे-मोटे दुकानदारों ने अपना कब्जा बना रखा है।

फ्लाईओवर के ऊपर वाहन एवं नीचे अवैध दुकानदारों का कब्जा

मोतीझील में बने फ्लाईओवर के ऊपर पार्किंग स्थल के अभाव में अवैध रूप से वाहन पार्क किए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर फ्लाईओवर के नीचे जहां पार्किंग होना था वहां फुटपाथी दुकानदारों ने कब्जा बना रखा है। इस प्रकार पूरा मोतीझील अवैध दुकानदारों के कब्जे में हैै।

फल मंडी में तब्दील हो गया है देवी मंदिर रोड

मिठनपुरा थाना क्षेत्र अंतर्गत पानी टंकी चौक-देवी मंदिर रोड पूरी तरह से फल मंडी में तब्दील हो गया है। पहले एक और दो, अब 50 से अधिक दुकानें दोनों तरफ सज चुकी हैं। दुकानदारों ने चौक को भी नहीं छोड़ा है। वहां भी दुकानें सजी हैं। इसका परिणाम यह है कि सड़क सिमट कर आधा से भी कम हो गई है।

अतिक्रमणकारियों के कब्जे में स्टेशन रोड

स्टेशन रोड पूरी तरह से अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। कब्जा भी ऐसा वैसा नहीं, पूरी सड़क को अपनी आगोश में ले रखा है। अवैध दुकानों के कारण वहां हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। इसके कारण स्टेशन आने-जाने वाले यात्रियों भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जाम में फंसने के कारण कई यात्रियों की ट्रेन तक छूट जाती है।

आयुक्त कार्यालय के बाहर सड़क पर भी दुकानदारों का कब्जा

अतिक्रमणकारियों को न पुलिसिया डंडे का भय है और न ही प्रशासनिक कार्रवाई का। इसका नमूना प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के सामने वाली सड़क पर देखा जा सकता। सड़क के दोनों तरफ दर्जनों अवैध दुकानें सजी हैं। वह भी छोटी-मोटी नहीं, दुकानदारों ने बांस-बल्ला लगाकर पूरी मंडी बसा ली है।

अतिक्रमण के लिए जिम्मेवार कौन, पूछ रहे शहरवासी

पूरा शहर अतिक्रमण की गिरफ्त में है। अब सवाल उठता है कि इसके लिए जिम्मेवार कौन है? किसके संरक्षण में अतिक्रमणकारी फल-फूल रहे हैं? उनसे निपटने की जिम्मेवारी किसकी है। जिला प्रशासन हो या पुलिस प्रशासन या फिर नगर निगम प्रशासन, सभी क्या कर रहे? यह सवाल अतिक्रमण की पीड़ा झेल रहे शहरवासियों का है। इन सवालों का जवाब कौन देगा? कौन लोग हैं जो अतिक्रमणकारियों को शह दे रहे। अतिक्रमणकारियों से प्रशासन, पुलिस एवं निगम को मैनेज करने के लिए वसूल की जाने वाली राशि कहां जाती है? यदि प्रशासन, पुलिस एवं निगम उक्त राशि को नहीं लेता है तो फिर अतिक्रमण को लेकर उन्होंने अपनी आंखें क्यों बंद कर रखी हैं? आखिर अतिक्रमणकारी इतने निर्भीक क्यों हैं, उनकोकिसी का भय क्यों नहीं? इन तमाम सवालों के जवाब जनता जानना चाहती है।

हकीकत नहीं बन पाती प्रशासनिक कवायद

शहर की सड़कों एवं चौक-चौराहों को अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए प्रशासनिक कवायद हकीकत नहीं बन पाती। अतिक्रमण से होने वाले जाम एवं जलजमाव से मुक्ति दिलाने के लिए पिछले एक दशक में प्रशासनिक स्तर पर दर्जनों बैठकें हुईं। कभी अधिकारी अकेले बैठे तो कभी शहर के बुद्धिजीवियों के साथ। बैठकों में बड़े-बड़े निर्णय लिए गए। नासूर बन चुके अतिक्रमण से मुक्ति के सपने दिखाए गए। पर, परिणाम सिफर। बैठकों में लिए गए निर्णय रद्दी की टोकरी में डाल दिए गए।

अतिक्रमणकारियों ने रोका नालों का बहाव

बारिश का पानी हो या फिर लोगों के घरों से निकलने वाला गंदा पानी। वह नालियों से होकर नहीं निकल पाता। कारण नालियों के बहाव में अतिक्रमणकारी रोड़ा बने हुए हैं। शहर की सभी छोटी-बड़ी नालियों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है।

इन नालों पर कब्जा

-कल्याणी चौक वाया चपड़ा पुल से कमरा मोहल्ला स्लूस गेट तक

-कल्याणी चौक, पंखा टोली, नीतीश्वर मार्ग, स्पीकर रोड, छाता चौक होते हुए खबड़ा तक जाने वाला फरदो नाला। नाले के दोनों तरफ तीन-तीन फीट सफाई के लिए जगह छोड़ा गया था, लेकिन लोगों ने एक इंच भी जमीन नहीं छोड़ी।

-हाथी चौक, पानी टंकी, देवी मंदिर, हरिसभा चौक होते हुए कल्याणी चौक जाने वाली सड़क किनारे बना नाला

-रामबाग चौरी, रामबाग रोड, चूना भट्ठी रोड होते हुए बीएमपी-6 के किनारे बना नाला

-क्लब रोड, पानी टंकी चौक, जुब्बा सहनी पार्क, मिठनपुरा चौक होते हुए शेरपुर रेलवे लाइन पार तक शहर से बाहर जाने वाला नाला

-माड़ीपुर ओवरब्रिज से हाजीपुर रेलवे लाइन के किनारे होते हुए भगवानपुर गुमटी, सर्किट हाउस गुमटी तक जाने वाली नाला

-मोतीझील, सरैयागंज, तिलक मैदान रोड नाला

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