मुजफ्फरपुर में बसता था जॉर्ज का दिल, उन्होंने यहां के विकास के लिए किए ये काम

1977 में जेल से चुनाव लड़ते हुए उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी नीतीश्वर प्रसाद सिंह को हराया। जॉर्ज जेल से रिहा हुए और कैबिनेट मंत्री बने।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 03 Jun 2020 02:34 PM (IST) Updated:Wed, 03 Jun 2020 02:34 PM (IST)
मुजफ्फरपुर में बसता था जॉर्ज का दिल, उन्होंने यहां के विकास के लिए किए ये काम
मुजफ्फरपुर में बसता था जॉर्ज का दिल, उन्होंने यहां के विकास के लिए किए ये काम

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी] जॉर्ज फर्नांडिस का मुजफ्फरपुर से गहरा नाता रहा है। उनका दिल यहां बसता था। वे यहां से पांच बार सांसद रहने के साथ केंद्रीय मंत्री भी रहे। यहां के विकास कार्य में उनका बड़ा योगदान है। कई कंपनियों की स्थापना कराई।

जॉर्ज का चुनाव जनआंदोलन बन गया

जॉर्ज के करीबी रहे समाजवादी चिंतक डॉ. हरेंद्र कुमार कहते हैं कि मुजफ्फरपुर के लोगों ने 1977 से पहले जॉर्ज को देखा-सुना नहीं था। जनता उन्हें जान सके, इसके लिये एक पोस्टर बनाया गया, जिसमें जॉर्ज फर्नांडिस के हाथों में हथकड़ी थी। पोस्टर में लिखा था कि 'ये जंजीर मेरे हाथ को नहीं, भारत के लोकतंत्र को जकड़े हुए है, मुजफ्फरपुर की जनता इसे अवश्य तोड़ेगी।' जॉर्ज का चुनाव जनआंदोलन बन गया। उस समय नारा था 'जेल का फाटक टूटेगा, जार्ज हमारा जीतेगा'। जेल से चुनाव लड़ते हुए उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी नीतीश्वर प्रसाद सिंह को हराया। जॉर्ज जेल से रिहा हुए और कैबिनेट मंत्री बने। 1980 में लोकदल के टिकट पर लड़ते हुए दिग्विजय नारायण सिंह को, 1989 में एलपी शाही और 1991 में रघुनाथ पांडेय को 2004 में जेडीयू के टिकट पर डॉ.भगवानलाल सहनी को हराकर सांसद निर्वाचित हुए। डॉ. कुमार कहते हैं, 2004 का चुनाव बड़ा रोचक था। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की इच्छा थी कि उनका प्रत्याशी जीते। लेकिन, जनता का समर्थन व प्रशासन की पारदर्शिता से जॉर्ज जीते।

जॉर्ज का यह रहा योगदान

उत्तर प्रदेश को जोडऩे वाले बगहा-छतौनी रेल पुल का निर्माण उन्होंने कराया। 1978 में कांटी थर्मल का शिलान्यास कराया। महिलाओं को रोजगार देने के लिए 1978 में ही लिज्जत पापड़ की इकाई स्थापित कराई। बेला में 1979 में आइडीपीएल फैक्ट्री चालू हुई। यह दवाओं के निर्माण की यह महत्वाकांक्षी इकाई थी। मुजफ्फरपुर में देश के पांचवें दूरदर्शन केंद्र की स्थापना कराई। कफेन में पावरग्रिड निर्माण को आवाज उठाई थी। आज चालू है।

मुजफ्फरपुर की लीची थी पसंद

दिल्ली से फोन पर बातचीत में जॉर्ज की धर्मपत्नी लैला कबीर फर्नांडिस ने बताया कि 1970 में जाने का मौका मिला था। अब तो सारी चीजें बदल गई होंगी। वहां की लीची जॉर्ज साहब को काफी पसंद थी। उनका सपना था कि मुजफ्फरपुर में छोटे-छोटे उद्योगों का विस्तार हो। गरीबों को रोजगार का अवसर मिले। इसे आगे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद रुचि ले काम करें तो जॉर्ज का सपना पूरा होगा।

मुजफ्फरपुर के बारे में जानकारी लेते हुए वे भावुक हो गईं। बोलीं, इस बार कोरोना के चलते अलग माहौल है। इसलिए दिल्ली स्थित घर पर उनकी जयंती को लेकर कोई कार्यक्रम नहीं होगा। जॉर्ज फर्नांडिस फाउंडेशन की ओर से वेबिनार का आयोजन होगा। इसकी जरिये लोग जुड़ेंगे। ज्ञात हो कि जॉर्ज का जन्म तीन जून 1930 कर्नाटक में हुआ था। 29 जनवरी 2019 को 88 वर्ष की आयु में उनका निधन दिल्ली में हुआ था।  

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