World kidney day: किडनी प्रत्यर्पण को ले पहले थी चिंता, अब नहीं कोई समस्या Muzaffarpur News

World kidney day अपने मन से नहीं लेनी चाहिए दर्द की कोई भी दवा। एसकेएमसीएच में ओपीडी सेवा व डायलिसिस की सुविधा।

By Murari KumarEdited By: Publish:Thu, 12 Mar 2020 08:34 AM (IST) Updated:Thu, 12 Mar 2020 08:34 AM (IST)
World kidney day: किडनी प्रत्यर्पण को ले पहले थी चिंता, अब नहीं कोई समस्या Muzaffarpur News
World kidney day: किडनी प्रत्यर्पण को ले पहले थी चिंता, अब नहीं कोई समस्या Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। जब बीमारी की जानकारी मिली तो मन में घबराहट थी। किस तरह से इलाज होगा आगे क्या होगा। लेकिन जब किडनी का प्रत्यर्पण हुआ उसके बाद अब सबकुछ सामान्य चल रहा है। जवाडीह तुर्की निवासी जदयू प्रखंड अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार अबोध कहते हैं कि 2011 की बात है। अचानक पांव में खुजली होने लगी। परेशानी बढ़ी तो चर्म रोग विशेषज्ञ से जाकर मिले। रक्तचाप की जांच हुई तो वह काफी बढ़ा हुआ था। चिकित्सक ने पैथोलॉजी जांच कराने की सलाह दी। जांच हुआ तो यूरिया बढ़ा मिला उन्होंने किडनी संबंधी बीमारी का लक्षण बताते हुए दूसरे जगह इलाज के लिए जाने की सलाह दी।

कोलकाता में हुआ ऑपरेशन 

 अबोध बताते हैं कि पहले पटना आइजीएमएस में इलाज हुआ। वहां से मेदांता अस्पताल दिल्ली गए। 2011 से 2017 इलाज हुआ। वहां के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने किडनी बदलने की सलाह दी। कुछ और लोगों से सलाह के बाद सीधे कोलकाता आए। वहां 14 सितंबर 2018 को बिरला अस्पताल में वरीय चिकित्सक डॉ.प्रीतम सेन गुप्ता की देखरेख में किडनी का प्रत्यर्पण हुआ जो सफल रहा।

काम करने में नहीं हो परेशानी 

किडनी बदलवाने के बाद काम करने में कोई परेशानी नहीं है। सामाजिक जीवन होने के कारण सुबह से शाम तक काम करते हैं। पत्नी रीता देवी तुर्की पंचायत की मुखिया है। उनके काम में सहायता करते हैं। पहले जिस तरह से काम करते थे अब भी उसी तरह से काम कर रहे है। अबोध ने कहा कि कभी भी बीमारी को अपने उपर हावी नहीं होने दिया। इधर चिकित्सक की परामर्श पर दवा, नियमित जांच व भोजन में परहेज करते हैं। भोजन में तेल 30 ग्राम, दाल 20 ग्राम और बाजार का मसाला नहीं खाते है। चिकित्सक ने अंगूर नहीं खाने की सलाह दी है। जिस मित्र ने किडनी दी वह भी बिल्कुल स्वस्थ हैं। उनको भी किसी तरह की परेशानी नहीं है। वह सामान्य स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। 

हाई रिस्क जोन में उच्च रक्तचाप व मधुमेह वाले मरीज   

एसकेएमसीएच के सहायक प्राध्यापक किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ.धर्मेंद्र प्रसाद कहते हैं कि उच्च रक्तचाप व मधुमेह वाले किडनी संबंधी बीमारी होने पर हाई रिस्क जाने में रहते हैं। इसलिए नियमित रक्तचाप व मधुमेह की जांच कराते रहें। अगर बीमारी है तो विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह पर दवा का सेवन करते रहें। उसी तरह से अपने मन से दर्द निवारक दवा का सेवन नहीं करें। इस बार विश्व किडनी दिवस पर गांव-गांव तक बीमारी की जानकारी देने तथा लोगों को जागरूक करने का लक्ष्य रखा गया है। एसकेएमसीएच में ओपीडी सेवा के साथ डायलिसिस की सुविधा मरीजों मिल रही है। 

 राजकीय आरबीटीएस होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के प्राध्यापक डॉ.शमीम आलम एवं वरीय चिकित्सक कमर आलम कहते हैं कि होमियोपैथ में इस बीमारी के मैनेजमेंट के लिए बेहतर दवा है। खान-पान पर ध्यान दें तो इस बीमारी पर नियंत्रण व बचाव होगा। 

किडनी संबंधी रोग के लक्षण 

किडनी की बीमारी के शुरूआती लक्षणों में लगातार उल्टी आना,भूख नहीं लगना, थकान और कमजोरी महसूस होना, पेशाब की मात्रा कम होना, खुज़ली की समस्या, नींद नहीं आना और मांसपेशियों में खिंचाव होना प्रमुख हैं।

खानपान व व्यायाम पर दें ध्यान 

नियमित रूप से  व्यायाम, संतुलित आहार ताजे फल और सब्जीयुक्त  आहार लें। आहार में चीनी, वसा और मांस का सेवन घटाना चाहिए। वे लोग जिनकी उम्र 40 के ऊपर है, भोजन में कम नमक लें। डिब्बा बंद  चिप्स, नमकीन, अचार और चटनी का सेवन कम करें। स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम केसाथ अपने वजन का संतुलन बनाए रखें। धूमपान और तंबाकू के उत्पादों का सेवन न करे। लंबे समय तक दर्द निवारक दवा लेने से किडनी को नुकसान होने का भी भय रहता है। अपने दर्द को नियंत्रित करने के दवा किसी चिकित्सक की सलाह पर ही लें।

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