दरभंगा के जाले ने आजादी के बाद राजनीति को दिया यह सबक, दूसरी बार के विधायक बने मंत्री

जातीय समीकरणों को साधते हुए कांग्रेस ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष मस्कूर अहमद उस्मानी को मैदान में उतारा तो जनता ने बंदिशें तोड़ी और परंपरा को भी बदल दिया। इसका इनाम भी उनको दिया गया।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 11:12 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 11:12 AM (IST)
दरभंगा के जाले ने आजादी के बाद राजनीति को दिया यह सबक, दूसरी बार के विधायक बने मंत्री
नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बनी तो पहले दिन ही जिवेश ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

दरभंगा, जेएनएन। मिथिला की राजनीति में दरभंगा जिले की जाले विधानसभा ने कभी किसी राजनेता को लगातार दूसरी बार विधायक बनने का अवसर नहीं दिया। 2020 में यह पहली बार हुआ है कि यहां से लगातार दूसरी बार भाजपा के विधायक जिवेश कुमार मिश्र निर्वाचित हुए हैं। जाले ने देश व राज्य की राजनीति को इस बार यह सबक भी दिया कि राजनीति में बदलाव बड़ी वजह होती है तो स्थिरता का भी मतलब खास है। यहां से जातीय समीकरणों को साधते हुए कांग्रेस ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष मस्कूर अहमद उस्मानी को मैदान में उतारा तो जनता ने बंदिशें तोड़ी और परंपरा को भी बदल दिया।

जिवेश ने भी मंत्री पद की शपथ ली

जिवेश को दोबारा चुन लिया गया। इसी के साथ अपने अस्तित्व से लेकर अबतक के इतिहास को भी पलट दिया। नतीजा, सूबे में सरकार के गठन के साथ जिवेश मंत्री बन गए। स्थानीय लोग बताते हैं कि रहे कि इससे पहले इस विधानसभा सीट से कोई भी स्थानीय व्यक्ति मंत्री नहीं बना था। सो, लोगों के मन में इस बात की टिस हमेशा रही। इस स्थिति में जाले के लोगों को उम्मीद थी कि इस बार जाले के विधायक का मंत्री बनना तय है। आखिर में जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार बनी तो पहले दिन ही जिवेश ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

इतिहास बदलने के पीछे विकास की भूख बड़ी वजह

जाले के लोग इस इतिहास के बदलने के पीछे विकास की भूख को बड़ी वजह बताते हैं। कहते हैं- जब से यह विधानसभा है तब से यह परंपरा सी बन गई थी कि हर चुनाव में चेहरा बदल देना। लेकिन, इस बार जाले ने चेहरा नहीं बदला। पिछली बार के ही विधायक को रीपिट किया। यह पहली बार हुआ। राजेश कुमार कहते हैं आंकड़ें उठाकर देख लीजिए। अरूण कुमार ने तो साफ कहा- वक्त बदलते देर नहीं लगती। लेकिन, देखिए इस बार चेहरा रीपीट हुआ तो वक्त भी बदल गया। हमारे विधायक मंत्री हैं। सबसे प्रसन्नता की बात है कि वो स्थानीय भी हैं।

जाले से चुने गए विधायक

1952- अब्दुस्समी नदवी (कांग्रेस)

1957- शेख ताहिर हुसैन (कांग्रेस)

1962- एक नारायण चौधरी (कांग्रेस)

1967- खादिम हुसैन (सीपीआइ)

1969- तेजनारायण राउत (जनसंघ)

1972- खादिम हुसैन (सीपीआइ)

1977- कपिलदेव ठाकुर (जनता पार्टी)

1980- अब्दुल सलाम (सीपीआइ)

1985-लोकेशनाथ झा (कांग्रेस)

1990- विजय कुमार मिश्र (कांग्रेस)

1995- अब्दुल सलाम (भाकपा)

2000- विजय कुमार मिश्र (भाजपा)

2005- रामनिवास प्रसाद (राजद-दोनों चुनाव में)

2010- विजय कुमार मिश्र (भाजपा)- 2014 के उप चुनाव में जदयू के ऋषि मिश्रा।)

2015- जीवेश कुमार मिश्र (भाजपा)

2020- जीवेश कुमार मिश्र (भाजपा) 

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