जब एईएस से मरने लगे बच्चे तो हुई बचाव की चिंता,ऑडिट में सामने आया सच Muzaffarpur News

एईएस की वजह से 94 बच्चों की मौत के बाद जगा महकमा कराया गया ऑडिट। समय से पहले नहीं हो पाई तैयारी।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 07 Sep 2019 12:55 PM (IST) Updated:Sat, 07 Sep 2019 12:55 PM (IST)
जब एईएस से मरने लगे बच्चे तो हुई बचाव की चिंता,ऑडिट में सामने आया सच Muzaffarpur News
जब एईएस से मरने लगे बच्चे तो हुई बचाव की चिंता,ऑडिट में सामने आया सच Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। जिले में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस से जब बच्चे मरने लगे तो इलाज व जागरूकता की चिंता प्रशासन को हुई। सबकुछ आनन-फानन में शुरू हुआ। इसका परिणाम रहा कि जिला मुख्यालय से लेकर राज्य व केंद्र मुख्यालय तक हंगामा शुरू हुआ। मरीजों की तुलना में जगह कम पडऩे लगी। हालत यह रही कि एसकेएमसीएच से कैदी वार्ड को सदर अस्पताल में शिफ्ट कराना पड़ा। बीमारी से बचाव को लेकर नियमित बैठक व जो तैयारी की समीक्षा होनी चाहिए वह नहीं हो पाई। इस तरह की खामियां नियंत्रक-महालेखा परीक्षक (सीएजी) के निर्देश पर प्रधान महालेखाकार (पीएजी) पटना की विशेष जेई-एईएस ऑडिट टीम की रिपोर्ट में मामला सामने आया हैं। टीम ने जिलाधिकारी को बतौर जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष होने के नाते कई लापरवाही की रिपोर्ट दी है। इस पर बड़े बदलाव की कवायद चल रही है।

2014 से 20 तक का ऑडिट

जानकारी के अनुसार 2014-15 से लेकर 2019-20 का ऑडिट हुआ है। इसमें एसकेएमसीएच, जिला प्रशासन की तैयारी व बीमारी से बचाव की जांच की गई है। पड़ताल में यह बात सामने आई कि केवल दवाओं की उपलब्धता को बीमारी से बचाव का आधार बनाया गया। इस साल सबसे ज्यादा लापरवाही बरती गई। समय पर बैठक भी नहीं हो पाई।

सही कार्ययोजना भी नहीं बनी

पिछले पांच साल से हर साल यह बीमारी हो रही तथा बच्चे मर रहे हैं। लेकिन, इससे निपटने के लिए सही से कार्ययोजना नहीं बनी। बीमारी से बचाव संबंधित दस्तावेज भी जिला प्रशासन के पास नहीं मिले। इस साल बीते 12 जून तक 94 बच्चों की मौत हो गई तो जल्दी-जल्दी मे जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी ने कमान संभाली और बचाव कार्य शुरू कराया।

डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति की गई। फिर बीते 18 जून को प्रशासनिक अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति कर इलाज की व्यवस्था की गई। इस तरह जब बच्चों की मौत का सिलसिला नहीं रुका तो जिलाधिकारी ने 29 जून 2019 से सोशल ऑडिट कराया। इससे पहले पिछले पांच साल में बीमारी को लेकर सोशल ऑडिट समेत अन्य बचाव कार्य पर बेहतर काम नहीं हुआ। इस बारे में सिविल सर्जन डॉ एसपी सिंह ने कहा कि ऑडिट टीम आई थी उसने जो भी जानकारी मांगी उपलब्ध कराई गई। उसकी रिपोर्ट की अभी जानकारी नहीं मिली है। जो सुझाव होगा उसे पूरा किया जाएगा। वैसे एईएस को लेकर पिछले पांच साल से सदर अस्पताल सहित सभी पीएचसी में विशेष वार्ड बना है। इस साल भी विभाग की ओर से जागरूकता व बचाव का कार्य किया गया है।

ये मिलीं खामियां, मांगा जवाब

ऑडिट टीम ने खामियों को उजागर करते हुए संबंधित अधिकारियों से मंतव्य मांगा है।

- किन कारणों से वार्षिक कार्ययोजना तैयार नहीं की गई।

- जब प्रशासन की जानकारी में था कि हर वर्ष यह जिला एईएस व जेई से प्रभावित होता है तो किस परिस्थिति में रोकथाम की वार्षिक कार्ययोजना तैयार नहीं हुई तथा वार्षिक बजट की मांग की गई।

- एईएस चमकी-बुखार के प्रकोप से जिला में आपात स्थिति उत्पन्न होने के बाद जागरूकता अभियान, मरीजों की खोज, प्रचार-प्रसार और चिकित्सकों व पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई।

- जब कई साल से जिला आक्रांत था तो इस साल यानी 2019 में सामाजिक अंकेक्षण कराए जाने का औचित्य स्पष्ट किया जाए।

- जिलाधिकारी कार्यालय स्तर पर एईएस के पर्यवेक्षण, नियंत्रण, रोकथाम आदि से संबंधित कोई भी अभिलेख संधारित नहीं किया गया इसका क्या कारण था?  

chat bot
आपका साथी