Social media: इस प्लेटफार्म से लगाई मदद की गुहार तो इलाज में मदद के लिए एक साथ उठने लगे कई हाथ

Social media एक हादसे में झुलसी पूर्वी चंपारण की युवती की कमजोर आर्थिक स्थिति के संबंध में सोशल मीडिया पर संदेश पढ़ बड़ी संख्या में अनजान लोग मदद को आगे आए।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 26 Aug 2020 09:35 AM (IST) Updated:Wed, 26 Aug 2020 09:35 AM (IST)
Social media: इस प्लेटफार्म से लगाई मदद की गुहार तो इलाज में मदद के लिए एक साथ उठने लगे कई हाथ
Social media: इस प्लेटफार्म से लगाई मदद की गुहार तो इलाज में मदद के लिए एक साथ उठने लगे कई हाथ

पूर्वी चंपारण, [धीरज श्रीवास्तव शानू]। सोशल मीडिया की पहुंच व्यापक हो चुकी है। यह लोगों की जिंदगी को कई मायने में प्रभावित करने लगा है। इसपर लोगों के संदेश का त्वरित गति से प्रसार होता है जिसका प्रत्युत्तर भी जानने वालों, अनजान लोगों की ओर से देखने को मिल जाता है। इसी तरह के एक मामले में सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है। पूर्वी चंपारण की एक झुलसी युवती को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर लगाई गई गुहार रंग लाई है। उस संदेश को पढ़ मदद के हाथ उठते चले गए, जिसके फलस्वरूप उसका इलाज संभव हो पा रहा है।

फेसबुक पर संदेश पढ़ मदद को आगे आए लोग

कोरोना महामारी के इस दौर में जब लोग अमूमन सामाजिक व सार्वजनिक गतिविधियों से परहेज कर रहे हैं, ऐसे में सोशल मीडिया ने एक युवती की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई है। दरअसल जिले के घोड़ासहन की एक युवती मोनी परवीन कुछ दिनों पहले अमरूद के पेड़ में लगे ततैया के छत्ते को जला रही थी, तभी आग की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गई थी। फिलहाल उसका इलाज मोतिहारी के एक निजी नॄसग होम में चल रहा है। युवती की आर्थिक स्थिति लचर होने के कारण इलाज में काफी परेशानी हो रही थी। घर वालों ने तकरीबन आस छोड़ ही दी थी। इसी बीच किसी ने युवती के बारे में फेसबुक पर पोस्ट कर दिया और फिर अब उसकी मदद के लिए जिले में सक्रिय कई समाजसेवी संगठन सामने आने लगे हैं। यही नहीं देश-विदेश में रहने वाले लोगो ने भी निजी स्तर से मदद पहुंचाई है।

अब इलाज के लिए पटना ले जाने की तैयारी

युवती के भाई फरहान बताते हैं कि घर की आॢथक स्थिति पहले से ही काफी खराब है। अबतक इलाज में लाखों रुपये लग गए हैं। आर्थिक तंगी के कारण उन लोगों ने मोनी के आगे इलाज की आस छोड़ दी थी। लेकिन अब लोगो द्वारा लगातार मिल रही मदद से आस बंधी है। जल्द ही वे अपनी बहन को बेहतर इलाज के लिए पटना ले जाएंगे।

पिता लॉकडाउन में कश्मीर में फंसे

मोनी के पिता कश्मीर में रहकर सिलाई का काम करते हैं। फिलहाल लॉकडाउन में वे कश्मीर में ही फंसे हैं। बेटा फरहान बताते हैं कि कोरोना के प्रकोप के कारण कश्मीर में भी जन- जीवन अस्त व्यस्त है। उनके पिता की कमाई भी ठप है। वे चाहकर भी यहां नहीं आ पा रहे हैं।

अपरिचित भी तन-मन-धन से कर रहे मदद

एक निजी अस्पताल में इलाजरत मोनी परवीन की आंखों में अब फिर से रौनक लौट आई है। मोनी ने 10 वीं तक की पढ़ाई की है। भाई फरहान बताते हैं कि उनकी बहन को पढऩे में काफी रुचि है। मोनी को सोशल मीडिया के मार्फत लगातार मदद मिल रही है। समाजसेवी अनिरुद्ध लोहिया बताते हैं कि उन्होंने अपने स्तर से मोनी के लिए जरूरत के अनुसार खून का इंतजाम करवा दिया है। वहीं उनके संगठन से जुड़े लोगों के साथ ही अन्य लोग भी आॢथक मदद को आगे आए हैं। समाजसेवी राजन श्रीवास्तव ने भी मोनी की मदद के लिए लोगो से अपील की है। राजन बताते हैं कि कई लोगो ने सहायता राशि उपलब्ध कराई है जिसे उसके स्वजनों को हस्तगत करा दिया गया है। अभी भी लोग लगातार सहायता राशि दे रहे हैं । अब तक विवेक गुप्ता, आयुष सोनी, अनूप श्रीवास्तव, तबरेज अख्तर, संजय, आनंद ज्योति, सौम्या, नवमीत, कुणाल सिंह, जय प्रकाश, छपरा, बबलू सिंह पटना, राजू कुमार सहित अन्य कई लोगो ने मोनी की मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से कोई भी मोनी का पूर्व परिचित नही है। इन सभी लोगो को मोनी के बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से ही जानकारी मिली। इसके अलावा कई ऐसे लोग भी हैं जो मोनी के रक्त की आवश्यकता की पूॢत के लिए तत्पर हैं। इनमें शामिल मोहित कुमार ने रेडक्रॉस जाकर मोनी के लिए रक्तदान किया। रक्तदाता समूह से जुड़े राजन बताते हैं कि आगे भी जरूरत पडऩे पर रक्तदाता मोनी की मदद को तैयार हैं। 

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