बिहार के इस इलाके में मात्र पांच हजार रूपये में बिक जाते हैं बच्चे, जानिए

बिहार के कोसी इलाके में बाल तस्कर गिरोह सक्रिय है। यहां पांच से दस हजार रूपये में बच्चे को खरीदकर दलाल बड़े शहरों में काम करवाने ले जाते हैं।

By Ravi RanjanEdited By: Publish:Sun, 30 Apr 2017 05:22 PM (IST) Updated:Sun, 30 Apr 2017 10:15 PM (IST)
बिहार के इस इलाके में मात्र पांच हजार रूपये में बिक जाते हैं बच्चे, जानिए
बिहार के इस इलाके में मात्र पांच हजार रूपये में बिक जाते हैं बच्चे, जानिए

मधेपुरा [जेएनएन]। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बिहार का एक इलाका ऐसा भी है जहां मात्र पांच से दस हजार रूपये के लिए बच्‍चों को बेच दिया जाता है। यहां सक्रिय बाल तस्‍कर इन बच्‍चों को बड़े शहरों में रोजगार के नाम ले जाकर बंधुआ मजदूर की तरह काम करवाते हैं।

कोसी के ग्रामीण इलाकों से बच्चों को तस्करी के लिए ले जाया जा रहा है। गिरोह के सदस्य परिजन को मोटी रकम का प्रलोभन देकर यह काम करते हैं। ऐसे में कई बच्चे गायब भी हो जाते हैं। पिछले एक साल में ऐसे दो दर्जन बच्चों के गायब होने की सूचना पुलिस को दी गई है। 

जानकारी के अनुसार सबसे अधिक दिल्ली और पंजाब में बाल मजदूरों की मांग है। कम पैसों में इनसे अधिक काम करवाया जा सकता है। बच्चों को ले जाते समय दलाल उनके अभिभावक को पांच से 10 हजार रुपये देते हैं। हर माह रुपये भेजने का आश्वासन भी दिया जाता है।

आर्थिक तंगी की वजह से परिजन भी अपने कम उम्र के बच्चों को भेजने के लिए राजी हो जाते हैं। ये घर की कमजोर आर्थिक स्थिति का हवाला देकर अपने बच्चों को किसी तरह बाहर जाकर काम करने के लिए मना ही लेते हैं।

सूत्रों के अनुसार ठेकेदार 14 से 16 वर्ष तक के बच्चों को काम कराने के लिए अधिक उपयुक्त समझते हैं। कोसी के ग्रामीण क्षेत्रों में गुपचुप तरीके से ठेकेदारों का यह गैंग लंबे समय से काम कर रहा है। इनकी जान-पहचान हर गांव में है। बच्चों के सुरक्षित रहने की पूरी गारंटी ठेकेदारों द्वारा परिजन को दी जाती। जिले के आलमनगर, उदाकिशुगंज, ग्वालपाड़ा, घैलाढ़ सहित कई प्रखंडों के ग्रामीण क्षेत्रों में इनका जाल फैला है। 

केस स्टडी एक

आलमनगर प्रखंड के सोनामुखी क्षेत्र में दो महीने पहले एक बच्चा गायब हुआ था। उसका अब तक पता नहीं चल पाया है। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र से पहले भी कई बच्चे लापता हो चुके हैं। ठेकेदार के भय से अभिभावक बच्चे का नाम बताने से इन्कार करते हैं। 

केस स्टडी दो

दो माह पहले सहरसा रेलवे स्टेशन से बच्चों को पंजाब ले जा रहे एक गिरोह को पकड़ा गया था। उसके बाद गिरोह के सदस्यों से कड़ी पूछताछ की गई थी। इनमें मधेपुरा के भी कुछ बच्चे थे। बच्चों ने बताया कि उन्हें दलाल काम कराने बाहर ले जा रहे हैं। 

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बच्चों को काम कराने के लिए बाहर ले जाने वाले गिरोह के खिलाफ पुलिस समय-समय पर कार्रवाई करती रही है। इस तरह के किसी गिरोह के यहां सक्रिय होने की सूचना नहीं है। पुलिस सक्रिय रूप से काम कर रही है।    

- विकास कुमार 

एसपी, मधेपुरा

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