सामाजिक समरसता की मिसाल है फुलकाहा मेला

फोटो - 19 एमएडी 63 एवं 64 जिले के गम्हरिया स्थित फुलकाहा में आयोजित किया जाता है चार दि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 05:38 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 05:38 PM (IST)
सामाजिक समरसता की मिसाल है फुलकाहा मेला
सामाजिक समरसता की मिसाल है फुलकाहा मेला

फोटो - 19 एमएडी 63 एवं 64

जिले के गम्हरिया स्थित फुलकाहा में आयोजित किया जाता है चार दिवसीय मेला

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¨हदू व मुस्लिम मिलकर करते हैं मेला का आयोजन

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नंदन कुमार, संवाद सूत्र,गम्हरिया(मधेपुरा): सचमुच समाजिक समरसता का इससे अच्छा मिसाल नहीं हो सकता है। हिंदू व मुस्लिम मिलकर जिले के गम्हरिया प्रखंड अन्तर्गत चिकनी फुलकाहा स्थित महंत हरिहर दास उच्च विद्यालय के मैदान में चहेल्लूम का आयोजन करते हैं। चार दिनों तक चलने वाले इस मेला का शुभारंभ शनिवार को किया गया है। चार दिनों तक चलने वाले इस मेले में कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। सबसे बड़ी बात है कि मेला आयोजन के लिए गांव वाले मिलकर चंदा इकट्ठा करते हैं। बताया जा रहा है कि क्षेत्र में मुस्लिम की आबादी काफी कम है। ¨हदू ही मेला आयोजन में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यहीं नहीं मेला समिति में भी ¨हदू सदस्यों की संध्या अधिक है। मेले में कई आखाडों के कलाकारों ने पारम्परिक अस्त्र शस्त्र का करतब भी दिखाते हैं। मेला के अध्यक्ष अरूण यादव ने बताया कि हिन्दू मुस्लिम एकता का मिसाल है। गंगा यमुना तहजीब का अछ्वूत नमुना है। उन्होंने कहा कि आपसी सछ्वावना व समरसता को कायम रखने के लिए हिन्दू समुदाय और मुसलमान समुदाय के लोगों ने एक जुट होकर पैगम्बर मोहम्मद हजरत के चालीसवें को याद करने के लिए मेले का आयोजन किया जाता है। कई जगहों को खिलाड़ियों को भी आमंत्रित किया गया है। मेले में मुख्य रूप से मेला के सचिव पंचायत के मुखिया चन्द्रमाधव साह, मु. जाकिर, कार्यकारिणी अध्यक्ष सरपंच ललन कुमार, उपाध्यक्ष दिलीप यादव, राजकुमार उर्फ मंटु, जदयू अध्यक्ष अशोक कुमार, पंसस पांडव कुमार, रामकुमार, डॉ प्रमोद झा, अशोक साह, अमरेन्द्र यादव, बौआ मुखिया, चंचल मुखिया, रितेन यादव, सुधीर यादव, अमलेश यादव, भुपेन्द्र यादव, उमेश यादव, मु. निजाम, शहादत, मु. जमाल, सलीम, फिदा हुसैन, चन्देश्वरी पासवान, गोवर्धन मेहता, विद्यानन्द यादव, शम्भू कुमार, हरेराम कुमार, कुन्दन कुमार, राजकुमार यादव सहित कई अन्य लोग मिलकर सहयोग करते हैं।

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गंगा जमुना तहजीब की मिशाल है चेहल्लुम मेला:

मेला का सबसे बड़ा आकर्षण है कि दोनों समुदाय के लोग यहां भागीदारी निभाते हैं। सभी मिलकर निर्णय लेते हैं। इस बार मेले में बनाया गया तजिया भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मेले में दोनों समुदायों के लोगों की भीड़ भी जुटती है। मेले में तरह तरह के दुकान और झुला, बुग्गी- बुग्गी आदि के साथ मेला आयोजक की ओर से कव्वाली का भी कार्यक्रम है।

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इमाम हुसैन की शहादत को याद दिलाता यह चहेल्लूम पर्व हम सबों को नेक रास्ते पर चलने का पैगाम देती है। अपने अंदर इंसानियत को ¨जदा रखने की सीख देता है। बुराईयों पर अच्छाई की जीत मानने वाला यह पर्व उनकी बलिदान और शहादत को नमन करने के आपसी सौहार्द एवं एकता को बनाए रखने की भी सीख देता है। फुलकाहा मेला समाजिक समरता का संदेश देता है।

प्रो.चंद्रशेखर

विधायक, मधेपुरा

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