मैं सुहागन रहूं, बस यही वर चाहिए..

कटिहार। मैं सुहागन रहूं बस यही वर चाहिए..। यही कामना को लेकर शुक्रवार को सुहागिन

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 May 2020 08:57 PM (IST) Updated:Fri, 22 May 2020 08:57 PM (IST)
मैं सुहागन रहूं, बस यही वर चाहिए..
मैं सुहागन रहूं, बस यही वर चाहिए..

कटिहार। मैं सुहागन रहूं, बस यही वर चाहिए..। यही कामना को लेकर शुक्रवार को सुहागिनों ने वट सावित्री की पूजा अर्चना की। इस दौरान पति को पंखा झेलने, उनके चरण धोने व आशीष लेने की परंपरा भी निष्ठा के साथ निभाई गई। शादी के बाद जिन सुहागिनों के लिए यह प्रथम वट सावित्री था, उसके लिए परंपरागत तरीके से वृहत आयोजन हुआ। यद्यपि कोरोना को लेकर लॉकडाउन लागू रहने के कारण इसबार वट वृक्षों के पास जाने से अधिकांश महिलाओं ने परहेज किया।

अधिकांश महिलाओं ने घरों में ही वट वृक्ष की टहनी आदि ले जाकर पूजा-अर्चना की। वृक्षों के समीप भी शारीरिक दूरी का ख्याल रखने की भरसक कोशिश की गई। जिला मुख्यालय के साथ-साथ आजमनगर, बारसोई, सेमापुर, बरारी, समेली, कुरसेला, हसनगंज, डंडखोरा, मनसाही, मनिहारी, अमदाबाद, बलरामपुर, प्राणपुर, फलका, सालमारी सहित अन्य प्रखंड व थाना क्षेत्रों में उत्साह व उमंग के साथ महिलाओं ने पारंपरिक तरीके से वट सावित्री की पूजा-अर्चना की।

हिदू धर्म में है वट सावित्री का विशेष महत्व

पुजारी राहुल झा ने बताया कि हिदू धर्म में वट सावित्री व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं। इसमें महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए पूजा-अर्चना करती है। उन्होंने कहा कि हर साल वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता हैं। इसी दिन सावित्री जैसी महान पतिव्रता ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रझा की थी। इस दिन औरतें सोलह श्रृंगार करती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। पुजारी ने कहा कि वट सावित्री के व्रत में पूजा सामग्री का विशेष महत्व होता है। इस दिन की पूजा सामग्री में बांस का पंखा, लाल या पीला धागा, धूपबत्ती, फूल, पांच फल, जल से भरा पात्र, सिदूर, लाल कपड़ा अनिवार्य होता है। बरगद की पूजा का क्या है महत्व

पुजारी राहुल झा ने कहा कि वट सावित्री में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती हैं क्योंकि वट के वृक्ष ने सावित्री के पति सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा था। ताकि जंगली जानवर शरीर को क्षति ना पहुंच पाए। उन्होंने कहा कि वट की वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता हैं, इसलिए भी महिलाएं इस वृक्ष की पूजा करती हैं। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करती है।

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