रामगढ़ का मवेशी अस्पताल हुआ जलमग्न

संवाद सूत्र रामगढ़: स्थानीय प्रखंड कार्यालय परिसर में बना हाईटेक पशु अस्पताल अपनी बदहाली

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 Sep 2018 05:47 PM (IST) Updated:Fri, 07 Sep 2018 05:47 PM (IST)
रामगढ़ का मवेशी अस्पताल हुआ जलमग्न
रामगढ़ का मवेशी अस्पताल हुआ जलमग्न

संवाद सूत्र रामगढ़: स्थानीय प्रखंड कार्यालय परिसर में बना हाईटेक पशु अस्पताल अपनी बदहाली पर खूद ही आंसू बहा रहा है। सुनने में अजीब लगता है कि प्रखंड कार्यालय परिसर में स्थित मवेशी अस्पताल को जाने के लिए रास्ता ही नहीं है। लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करता है। तीन मंजिला भवन में पशु शेड के साथ स्थापित इस अस्पताल के चिकित्सक ही रास्ता नहीं होने की पीड़ा से ग्रसित हैं तो आम जन का क्या हाल होगा। बारिश के इस मौसम में गंदा पानी के जमावड़ा से जहां लोगों में तरह तरह की बीमारियों के फैलने की आशंका है। वहीं चिकित्सक जान सांसत में डालकर आ जा रहें हैं। बीआरसी भवन के उत्तरी छोर से पशु अस्पताल तक सौ मीटर की परिधि में जलजमाव है। इतनी दूरी प्रतिदिन लोगों को पानी से होकर आना जाना पड़ रहा है। हांथ में चप्पल जूता लेकर धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं। कहीं पानी अधिक होने या गड्ढा पड़ जाने पर गिर कर लथपथ भी हो जाते हैं। जब पशु चिकित्सकों की यह दशा है तो आम आदमी इस अस्पताल में कैसे पहुंचता होगा। यह विचारणीय विषय है। यह स्थिति दो चार दिनों तक की नहीं है।बरसात भर इस जगह यह ²श्य बना रहेगा। पूरे बाजार के गंदा नाला का पानी भी इसी में पसरा हुआ है। सटे हुए कस्तूरबा बालिका विद्यालय भी इससे प्रभावित है। फिर भी इस अस्पताल को रास्ता से नहीं जोड़ा जा सका। शुक्रवार को टीकाकरण के लिए अस्पताल से दवा लेकर आ रहे डॉ ब्रम्ह प्रकाश राय, डॉ रामजी गिरी, डॉ जाहिर हुसैन व पशुपालक सुदर्शन पासवान को अस्पताल से आते देखते ही बन रहा था। ऐसा भी नहीं कि मुखिया से लेकर सभी जनप्रतिनिधि व अधिकारी इस समस्या से अवगत नहीं हैं। फिर भी न जाने क्यों इससे मुह मोड़े हुए हैं। नतीजतन पशु अस्पताल के कर्मियों के साथ पशुपालक इसका खमियाजा भुगत रहें हैं। दो एक दिन अगर गंदा पानी से होकर निकलता है तो उसकी हालत खराब होने लगती है। यहां तो प्रत्येक दिन अस्पताल के चिकित्सक से लेकर कर्मी इसी गंदा पानी में होकर आ-जा रहें हैं। ऐसे में उनके सेहत पर क्या असर पड़ता होगा यह एक ¨चतनीय विषय बना हुआ है।चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. जाहिर हुसैन ने बताया कि इस गंभीर समस्या से कई बार अवगत कराया गया। लेकिन नतीजा परिणाम ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

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