कैमूर की पहाड़ी पर है जुड़ी बूटियों का भंडार, वनवासियों को नहीं मिल पर रहा है बिक्री के लिए बाजार

सासाराम से लगभग सवा सौ किलोमीटर दूर नौहट्टा प्रखंड के कैमूर पहाड़ी पर बसे बरकट्टा में औषधीय जड़ी-बुटी व फलों की बिक्री के लिए साप्ताहिक हाट लगता है। समीपवर्ती उत्तर प्रदेश व झारखंड के व्यापारी साप्ताहिक बाजार में पहुंच अपनी दुकानें लगाते हैं

By Rahul KumarEdited By: Publish:Sat, 29 Jan 2022 12:41 PM (IST) Updated:Sat, 29 Jan 2022 12:41 PM (IST)
कैमूर की पहाड़ी पर है जुड़ी बूटियों का भंडार, वनवासियों को नहीं मिल पर रहा है बिक्री के लिए बाजार
कैमूर की पहाड़ी पर है जुड़ी बूटियों का भंडार। सांकेतिक तस्वीर

संवाद सहयोगी, डेहरी आन सोन (सासाराम)। कैमूर पहाड़ी के जंगलों में हर्रा, बहेरा, आंवला, नागर मोथा, गुड़मार, मकोह, पियार समेत  आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग में आने वाली जड़ी-बूटी काफी मात्रा में उपलब्ध हैं। पहाड़ी पर लगभग 90 फीट ऊंचाई पर स्थित बरकट्टा गांव में वनवासी इन जड़ी-बुटियों की बिक्री भी करते हैं। उन्हें यह पता नहीं कि इन जड़ी-बुटियों का बाजार मूल्य क्या है। कोई चावल-आटा व तेल-मसाला के बदले ही इन जड़ी बुटियों को दे देते हैं। इन जड़ी बुटियों को बेचने के लिए उन्हें अधिकार के साथ बाजार का भी इंतजार है।

जिला मुख्यालय सासाराम से लगभग सवा सौ किलोमीटर दूर नौहट्टा प्रखंड के कैमूर पहाड़ी पर बसे बरकट्टा में औषधीय जड़ी-बुटी व फलों की बिक्री के लिए साप्ताहिक हाट लगता है। समीपवर्ती उत्तर प्रदेश व झारखंड के व्यापारी साप्ताहिक बाजार में पहुंच अपनी दुकानें लगाते हैं व वनवासियों से जड़ी-बुटियों की खरीदारी औने-पौने दाम पर करते हैं। खास यह कि कई दुकानदार जड़ी-बूटियों के बदले मूल्य के रूप में उन्हें दैनिक आवश्यकता की वस्तु दे देते हैं। कैमूर पहाड़ी पर एक मात्र यही साप्ताहिक बाजार होने के कारण यहां वनवासी आंवला, हर्रा, बहेरा के अलावा अन्य वनौषधि भी बेचते हैं।

बासठ वर्षों से लग रहा बाजार

जोंहा गांव निवासी चंद्रदीप उरांव बताते हैं कि कैमूर पहाड़ी पर एकमात्र बाजार बरकट्टा गांव में 1960 में गांव के जमींदार रोहन सिंह खरवार द्वारा शुरू कराया गया था। सांसद छेदी पासवान ने सात लाख 49 हजार रुपए की लागत से सात वर्ष पूर्व यहां शेड का निर्माण कर पुनः साप्ताहिक बाजार लगवाने का प्रयास किया था।वनवासी बताते हैं कि कैमूर पहाड़ी पर बसे 11 राजस्व गांव के 80 टोला के लोग अपनी आवश्यकता की वस्तुएं खरीदने यहीं आते थे। यहां उत्तर प्रदेश के कई शहर के व्यापारी रोजमर्रा उपयोग में आने वाली वस्तुएं बेचते थे। राजबंधु खरवार बताते हैं कि यहां से आंवला हरे बहेरा आईठा, गुड़मार के पत्ता समेत कई वनौषधि खरीदने के लिए व्यवसायी आते हैं। हमारे पास ने अधिकार है न ही व्यापक बाजार ताकि उचित मूल्य इन सामग्रियों की मिल सके। रेहल के सुदर्शन यादव कहते है कि पहले औषधीय फल एवं जड़ी बूटी बहुत ही कम दामों पर व्यापारी खरीद करले जाते हैं।

सांसद छेदी पासवान का कहना है कि कैमूर पहाड़ी पर आयुर्विदक बाजार खोलने की मांग सरकार से की गई है। वनवासियों को कम पैसा देकर यहां से व्यापारी जड़ी-बूटी खरीदकर ले जाते हैं व बाजार में महंगे दाम पर बेचते हैं।

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