अकीदतमंदों ने घरों में सादगी से मनाया शब-ए-बरात

मोतिहारी। कोरोना वायरस संक्रमण को ले देश में लागू लॉकडाउन का पालन करते हुए मुस्लिम अकीदतमंदों ने अपने-अपने घरों में रहकर पूरे एहतेराम के साथ शब-ए-बरात का पर्व मनाया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Apr 2020 11:51 PM (IST) Updated:Sat, 11 Apr 2020 06:14 AM (IST)
अकीदतमंदों ने घरों में सादगी से मनाया शब-ए-बरात
अकीदतमंदों ने घरों में सादगी से मनाया शब-ए-बरात

मोतिहारी। कोरोना वायरस संक्रमण को ले देश में लागू लॉकडाउन का पालन करते हुए मुस्लिम अकीदतमंदों ने अपने-अपने घरों में रहकर पूरे एहतेराम के साथ शब-ए-बरात का पर्व मनाया। देश में आयी विपदा की घड़ी में लोगों ने रातभर अपने घरों में इबादत किया और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगी। इसके साथ ही पूरे विश्व में महामारी का रूप ले चुकी कोरोना वायरस के प्रकोप से इंसानों की रक्षा के साथ मादर-ए-वतन हिदुस्तान के लिए घर-घर में खास खुशुसी दुआं मांगी गई। इस दौरान देश प्रदेश की सरकार के साथ-साथ मुस्लिम धर्मगुरु व मुस्लिम धार्मिक संस्थानों के अपील पर जिले के सभी मस्जिदव कब्रिस्तान बंद दिखी। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सजगता के साथ सहयोगात्मक तरीके से नियम कानून के दायरे में रहकर पर्व को मनाया। लोगों ने पूरी रात नमाज व कुरान की तिलावत में गुजारी। सुबह फज्र की नमाज के बाद अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति व स्वर्ग में उंचे मुकाम देने की दुआ मांगी। लोगों ने अपने-अपने शब्दों में दुआ मांगी। अल्लाह मेहरबान हैं वो अपने बंदों से बेहद प्यार करता है, वो हमारी इस वायरस रूप बला से जरूर हिफाजत करेगा।

चकिया, संस : कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए पर्व मनाने वाले अकिदतमंद कब्रिस्तान नहीं गए। जिस कारण कब्रिस्तान में अंधेरा पसरा रहा। अक्सर इस पर्व के मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तान जाते हैं तथा कब्रिस्तान सहित अन्य धार्मिक स्थलों को विद्युत उपकरणों से रोशन करते हैं। वही पवित्र ग्रंथ का पाठ कर अपने दिवंगत नाते रिश्तेदार के गुनाहों से छुटकारा के लिए अल्लाह से दुआएं मांगते हैं। जबकि बीती रात अकिदतमंदो ने करोना वायरस के खतरे के मद्देनजर सामाजिक दूरी का पालन करते हुए अपने-अपने घरों में इबादत की। इस बाबत जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद महताब आलम कासमी ने बताया कि शब-ए-बरात की रात मुकद्दस व बाबरकत होती है। इस मौके पर शुद्ध मन से मांगी गई दुआएं अल्लाह निश्चित रूप से कुबूल फरमातें हैं।

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