ग‌र्ल्स मार्च टू स्कूल अभियान से बालिकाओं में आएगी नई जागरूकता

दरभंगा। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौक़े पर शुक्रवार को कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फ़ाउंडेशन एंव स्थानीय संस्था महिला जागृति संस्थान अपनी प्रमुख 100 मिलियन पहल के तहत ग‌र्ल्स मार्च टू स्कूल जागरुकता अभियान का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 12 Oct 2019 12:22 AM (IST) Updated:Sat, 12 Oct 2019 12:22 AM (IST)
ग‌र्ल्स मार्च टू स्कूल अभियान से बालिकाओं में आएगी नई जागरूकता
ग‌र्ल्स मार्च टू स्कूल अभियान से बालिकाओं में आएगी नई जागरूकता

दरभंगा। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौक़े पर शुक्रवार को कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फ़ाउंडेशन एंव स्थानीय संस्था महिला जागृति संस्थान अपनी प्रमुख 100 मिलियन पहल के तहत 'ग‌र्ल्स मार्च टू स्कूल जागरुकता' अभियान का आयोजन किया गया। रामनंदन मिश्र बालिका उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य सियाराम प्रसाद, बचपन बचाओ आंदोलन की जिला कॉडिनेटर इंदिरा कुमारी, महिला हेल्पलाइन की अ•ामतुन निशा, पवन कुमार झा, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य अजीत कुमार मिश्र, कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फ़ाउंडेशन के प्रेम शंकर झा, सामाजिक कार्यकर्ता फवाद गजाली, डॉ. रेडी फाउंडेशन के चंद्रवीर यादव ने हरी झंडी दिखाकर बच्चियों को विद्यालय परिसर से रवाना किया। इस क्रम में लड़कियों नें जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा, जिसका उदेश्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत बालिकाओं की आयु 14 से बढाकर 18 वर्ष तक करने की मांग की गई। ज्ञात हो कि 11 अक्टूबर 2012 से अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को चिन्हित करने के लिए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन ने 18 वर्ष की आयु तक की लड़कियों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर ग‌र्ल्स मार्च टू स्कूल देशव्यापी जागरूकता अभियान शुरु किया है। इससे पूर्व रैली को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 14-18 वर्ष की आयु के बीच 28 प्रतिशत लड़कों की तुलना में 32 प्रतिशत लड़कियों का नामांकन नहीं होता है। राज्यों को आरटीआइ अधिनियम के माध्यम से अनिवार्य शिक्षा को लागू करना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल 14-18 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियों की स्कूल ड्रॉप-आउट दर कम होगी, बल्कि सामाजिक बुराइयों के लिए उनके जोखिम को भी सीमित किया जाएगा जिसमें बाल तस्करी, बाल विवाह और बाल श्रम शामिल हैं।

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