पहले देखते थे उम्मीदवार का व्यक्तित्व

पहले और आज के चुनाव में बहुत अंतर आ गया है। पहले लोग उम्मीदवार का व्यक्तित्व देखते थे। अब जात पात का बोलबाला हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Apr 2019 01:59 AM (IST) Updated:Fri, 05 Apr 2019 06:29 AM (IST)
पहले देखते थे उम्मीदवार का व्यक्तित्व
पहले देखते थे उम्मीदवार का व्यक्तित्व

दरभंगा । पहले और आज के चुनाव में बहुत अंतर आ गया है। पहले लोग उम्मीदवार का व्यक्तित्व देखते थे। अब जात पात का बोलबाला हो गया है। राजनीति में ऐसे लोगों की सक्रियता बढ़ी है कि अच्छे लोग इससे दूर हो गए हैं। यह कहना है लहेरियासराय के जीएन गंज मोहल्ला निवासी चंद्रकला देवी (81) का। वे कहती हैं कि मौजूदा माहौल में मतदाताओं को अच्छे प्रत्याशी नहीं मिल पाते हैं। एक सांपनाथ है तो दूसरा नागनाथ। इसी में किसी को चुनना है। अब राजनीति में कुछ ही ऐसे लोग बचे हैं, जिनको देश की चिता रहती है। ज्यादातर नेता अपने परिवार और भाई-भतीजा के बारे में सोचते हैं। हम लोगों के जमाने के नेता देश के बारे में सोचते थे। उन्हें उनके परिवार की चिता नहीं थी। अब राजनीति में जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, ललित नारायण मिश्र जैसे नेताओं की कमी खलती है। पहले नेता सीमित संसाधन और बगैर तामझाम के चुनाव लड़ते थे। अब तो पूछिए ही नहीं, गाड़ियों का काफिला सजाने की होड़ नेताओं में लगी रहती है।

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