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Patna Hotel Fire: राजधानी के ऐसे होटलों को सील करेगी बिहार सरकार, हादसे के बाद बड़े बदलाव की तैयारी में जुटा विभाग

Patna Fire News बिहार की राजधानी पटना के दो होटलों पाल और अमृत में घटित आगजनी के घटना में छह लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई। इस दर्दनाक हादसे के बाद बिहार अग्निमशन विभाग बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। इसके तहत फायर ऑडिट के नियमों में बदलाव होंगे। इसके साथ होटल-गेस्ट हाउस लाज रेस्तरां और शिक्षण संस्थानों को भी अग्निशमन से जुड़े इंतजाम करने होंगे।

By Rajat Kumar Edited By: Mohit Tripathi Published: Sat, 27 Apr 2024 08:51 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2024 08:51 PM (IST)
संकीर्ण गलियों में बने होटल, गेस्ट हाउस, लाज के मालिकों को भेजी जाएगी नोटिस। (जागरण फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। पटना जंक्शन के पास दो होटलों में लगी आगजनी की घटना के बाद बिहार अग्निमशन विभाग बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। इसके तहत फायर आडिट के नियमों में तो बदलाव होगा ही, होटल-गेस्ट हाउस, लाज, रेस्तरां, शिक्षण संस्थान आदि को भी अग्निशमन से जुड़े इंतजाम समयसीमा के अंदर पूरे करने होंगे।

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मानकों का पालन न करने वाले प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सील कर दिया जाएगा। इस बाबत अग्निमशन विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसे जल्द ही स्वीकृति के लिए गृह विभाग को भेजा जाएगा।

बिहार अग्निमशन सेवा की महानिदेशक शोभा ओहटकर ने इसको लेकर वरीय अधिकारियों के साथ शुक्रवार को बैठक भी की है।

बैठक में क्या आदेश दिए गए?

इसमें अग्निमशन सेवा के आइजी को संकीर्ण गलियों में बने होटल, गेस्ट हाउस, लाज व शैक्षणिक संस्थानों के संचालकों के साथ बैठक करने को कहा गया है। ऐसे होटल, गेस्ट हाउस व अन्य संस्थानों को चिह्नित कर नोटिस देने को कहा गया है।

इन सभी संस्थानों को अधिकतम 15 दिनों के अंदर आगजनी से बचाव के लिए जरूरी उपकरणों का इंतजाम कर पोर्टेबल व्यवस्था करने को कहा जाएगा।

नहीं कराया ये काम तो सील हो जाएगा होटल

इसके अलावा, अधिकतम 30 से 45 दिनों में संस्थान के परिसर या सामने वाटरटैंक या वाटर हाईड्रेंट बनाना होगा। अगर एक से डेढ़ माह में संस्थान वाटरटैंक या हाइड्रेंट का निर्माण पूरा नहीं करते हैं, तो उन्हें सील करने का निर्देश जारी किया जाएगा।

हादसों से निपटने के लिए उठाया गया कदम

दरअसल, राजधानी के गोरियाटोली, फ्रेजर रोड, सब्जीबाग, करबिगहिया, एक्जीबिशन रोड जैसे इलाकों में संकीर्ण गलियों में कई पुराने होटल, गेस्ट हाउस, लाज आदि प्रतिष्ठान चलाए जा रहे हैं।

इन इमारतों तक अग्निमशन वाहनों का पहुंचना बहुत मुश्किल है। ऐसे में जरूरी है कि ऐसे प्रतिष्ठान आगजनी से निबटने के लिए पर्याप्त इंतजाम रखें।

नियमानुसार, इन प्रतिष्ठानों व संस्थानों को ओवरहेड या अंडरग्राउंड पानी का टैंक बनाकर रखना चाहिए। हाल के वर्षों में बनी नई इमारतों में यह व्यवस्था की जा रही है, मगर पुराने भवनों में ऐसा नहीं है। जिन पुरानी इमारतों में जगह है, उन्हें पानी जमा रखने के लिए बड़ा टैंक बनाने को कहा जाएगा।

जिन होटल, लाज व गेस्ट हाउस के पास जगह नहीं है, उन्हें अपने प्रतिष्ठान के सामने वाटर हाइड्रेंट बनाना होगा, ताकि आपातकाल में पानी की अविलंब व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।

वॉटर हाइड्रेंट के बन जाने से अग्निमशन की गाड़ी संकीर्ण गलियों में नहीं भी पहुंच पाई तो अग्निमशन दल इन वाटर हाइड्रेंट से पाइप जोड़कर आग बुझा सकेगा।

अग्निमशन दल खुद करेगा प्रतिष्ठानों का सर्वे

अग्निमशन विभाग फायर आडिट के नियमों में बदलाव का भी प्रस्ताव बना रहा है। अभी तक होटल, सरकारी भवन या अन्य संस्थान फायर आडिट करवाने के लिए अग्निशमन सेवा को आवेदन देते थे इसके बाद टीम जाकर मानकों की जांच और आडिट का काम करती थी। नए प्रस्ताव में अग्निमशन विभाग अपने स्तर से होटल या किसी भी अन्य भवनों का सर्वे कर आडिट कर सकेगा। नियमों का पालन न किए जाने पर नोटिस देकर आगे की कार्रवाई भी करेगा।

क्या कहते हैं अधिकारी?

संकीर्ण इलाकों में चल रहे होटल, गेस्ट हाउस व अन्य संस्थानों को अग्निमशमन के लिए जरूरी मानकों का पालन हर हाल में करना होगा। इसके लिए उन्हें नोटिस देकर निश्चित समयसीमा में अग्निमशन उपकरण लगाने और वाटर टैंक या वाटर हाइड्रेंट के निर्माण के लिए कहा जाएगा।मानक का पालन न करने वाले संस्थानों पर कार्रवाई कर उन्हें सील करने का निर्देश दिया जाएगा।- शोभा ओहटकर, डीजी, अग्निमशन एवं गृहरक्षक सेवाएं

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