हर्बल व प्राकृतिक रंग का करें उपयोग

दरभंगा, जासं : सारे गिले-शिकवे भूलकर अबीर-गुलाल में सराबोर होकर लोग जब आपस में मिलते हैं तो सही मायन

By Edited By: Publish:Thu, 05 Mar 2015 12:48 AM (IST) Updated:Thu, 05 Mar 2015 12:48 AM (IST)
हर्बल व प्राकृतिक रंग का करें उपयोग

दरभंगा, जासं : सारे गिले-शिकवे भूलकर अबीर-गुलाल में सराबोर होकर लोग जब आपस में मिलते हैं तो सही मायने में होली का रंग दिखता है। बदलते परिवेश में होली मनाने का तौर-तरीका बदला है। पहले होली का नाम सुनते ही कीचड़, मोबिल, गंदे नाले का पानी जेहन में दौड़ने लगता था। वहीं अब होली में केमिकल रंग ने बाजार में कब्जा जमा रखा है। इसके बावजूद लोगों ने इस सबसे बचकर हर्बल व प्राकृतिक रंग के उपयोग करने की शुरूआत की है। रंगों के त्योहार पर जागरण ने कुछ खास लोगों से बात कर उनकी यादों को ताजा किया।

प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ.आर.आर. प्रसाद ने कहा कि वे फ्रेंडली गुलाल लगाकर सगे संबंधियों व मित्रों के साथ होली खेलेंगे। लेकिन, होली के हुड़दंग से बचकर सादगी के साथ रंग के इस त्योहार के माध्यम से रिश्ते में मधुरता लाएंगे। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि वे प्राकृतिक गुलाल लगाकर होली मनाएं। पानी अमूल्य है। इसकी बर्बादी से परहेज करें। साथ ही लोगों से आपसी भाईचारे बनाए रखने की अपील की।

डॉ. दिलीप कुमार झा ने कहा कि होली के मौके पर बड़े बुजुर्गो से आशीर्वाद लेंगे। एक सूत्र में बंधकर प्रेम और सद्भाव का पैगाम देंगे। उन्होंने लोगों से भेद भाव मिटाकर एक दूसरे को गले लगाने की अपील की। कहा-इस होली को सादगी के साथ मनाएं। उन्होंने मंहगाई को देखते हुए बेजा खर्च से बचने की सलाह दी।

डीएमसीएच के औषधि विभागाध्यक्ष डॉ.एके गुप्ता ने कहा कि होली एक मौका है, मनमुटाव को दूर करने का। इस मौका का लाभ उठाकर गिले शिकवे दूर करें। डॉ.गुप्ता ने होली में केमिकल और अल्युमिनियम पेंट से दूर रहने की सलाह दी। इससे जहां त्वचा को नुकसान पहुंचता है। वहीं जबरन रंग लगाने से आंख में रंग पड़ने का खतरा रहता है।

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