अधिकारियों संग मुखिया ने किया साढ़े 11 लाख का गबन

मनरेगा की योजनाओं में किस तरह से राशि का बंदरबांट किया जाता है इसकी बानगी जिले के सिमरी प्रखंड में बरत गई अनियमितता से स्पष्ट हो रही है। सिमरी प्रखंड में मनरेगा के अंतर्गत ली गई योजनाओं में बरती गई अनियमितता मुखिया समेत करीब आधा दर्जन अधिकारी एवं कर्मियों पर भारी पड़ गई है। सिमरी के राजपुर कला पंचायत में वित्तीय वर्ष 16-17 और 17-1

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Oct 2019 06:00 PM (IST) Updated:Thu, 17 Oct 2019 06:11 AM (IST)
अधिकारियों संग मुखिया ने किया साढ़े 11 लाख का गबन
अधिकारियों संग मुखिया ने किया साढ़े 11 लाख का गबन

बक्सर। मनरेगा की योजनाओं में किस तरह से राशि का बंदरबांट किया जाता है इसकी बानगी जिले के सिमरी प्रखंड में बरत गई अनियमितता से स्पष्ट हो रही है। सिमरी प्रखंड में मनरेगा के अंतर्गत ली गई योजनाओं में बरती गई अनियमितता मुखिया समेत करीब आधा दर्जन अधिकारी एवं कर्मियों पर भारी पड़ गई है। सिमरी के राजपुर कला पंचायत में वित्तीय वर्ष 16-17 और 17-18 में यहां ली गई मनरेगा की 8 योजनाओं में से 7 योजनाओं में अनियमितता बरती गई और 11 लाख 42 हजार 530 रुपये का गबन कर लिया गया।

जांच में इसका खुलासा होने के उपरांत जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह ने मुखिया समेत सभी संबंधित कर्मचारियों को एक सप्ताह के अंदर राशि वापस करने का आदेश दिया है। साथ ही स्पष्टीकरण देने के लिए भी निर्देशित किया है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ विधिसम्मत अनुशासनिक कार्रवाई की जाए। इस बाबत जिलाधिकारी द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि अगर एक सप्ताह के अंदर संबंधित लोगों द्वारा स्पष्टीकरण का जवाब नहीं दिया जाता है और वसूलनीय राशि उप विकास आयुक्त के नाम जिला ग्रामीण विकास अभिकरण में अविलंब जमा नहीं किया जाता है तो अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी द्वारा दिए गए इस आदेश के बाद मुखिया एवं संबंधित कर्मचारियों एवं हड़कंप की स्थिति व्याप्त है। जांच प्रतिवेदन में कहा गया है कि यहां ली गई 8 योजनाओं में से एक को छोड़कर शेष सभी सात योजनाओं में अनियमितता बरती गई है, जिसके कारण सरकारी राशि का अपव्यय हुआ है। इनको हुआ है राशि वापसी का आदेश

राजपुर कला पंचायत की मुखिया मीरा देवी समेत तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी एवं वर्तमान पदस्थापन डिहरी रोहतास, गजेन्द्र कुमार, तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी एवं वर्तमान पदस्थापन केसठ एवं चौंगाई धर्मेन्द्र कुमार, तत्कालीन कनीय अभियंता एवं वर्तमान पदस्थापन चक्की सिद्धेश्वर शर्मा, कनीय अभियंता सिमरी रवीन्द्र कुमार, तत्कालीन पंचायत तकनीकी सहायक एवं वर्तमान पदस्थापन इटाढ़ी मो.शाकिब आलम, पंचायत तकनीकी सहायक मिथिलेश कुमार सक्सेना, तत्कालीन प्रखंड नाजिर एवं वर्तमान पदस्थापन अनुमंडल कार्यालय बक्सर सुनील कुमार एवं तत्कालीन पंचायत रोजगार सेवक एवं वर्तमान पदस्थापन इटाढ़ी शशि रंजन प्रसाद को अपव्यय की गई सरकारी राशि को अविलंब जमा करने का आदेश दिया गया है।

योजनाओं में किसने किया कितना हजम

1. मीरा देवी, मुखिया - 190422.11 रुपये

2. गजेन्द्र कुमार तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी - 141052.45 रुपये

3. धर्मेन्द्र कुमार तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी - 190422.11 रुपये

4. सिद्धेश्वर शर्मा तत्कालीन कनीय अभियंता - 49456.16 रुपये

5. रवीन्द्र कुमार, कनीय अभियंता, सिमरी -140875.99 रुपये

6. मो.शाकिब आलम, तत्कालीन पंचा.तक.सहा.-49546.45 रुपये

7. मिथिलेश कुमार सक्सेना पंचा.तक.सहा. - 140876.29 रुपये

8. सुनील कुमार, तत्कालीन प्रखंड नाजिर - 190422.11 रुपये

9. शशिरंजन प्रसाद, तत्कालीन पंच.रो.सेवक - 190422.11 रुपये पांच लाख से अधिक की सभी योजनाओं की हो रही जांच : डीएम

जासं, बक्सर : पिछले दिनों सिमरी में कराई गई जांच में हुई अनियमितता पाए जाने के उपरांत जिलाधिकारी राघवेन्द्र सिंह ने इसे काफी गंभीरता से लिया है। इस बाबत जागरण के साथ हुई बातचीत में उन्होंने में बताया कि पांच लाख रुपये से अधिक की मनरेगा की सभी योजनाओं की जांच कराई जा रही है। खासकर वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर अब तक की योजनाओं की विशेष रूप से जांच कराई जा रही है। मसलन, योजनाओं में वास्तविक खर्च कितना है और योजना डुप्लीकेट तो नहीं है, इसकी जांच की जा रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि योजना दूसरे विभाग की थी उसको मनरेगा में दिखा दिया गया। जिलाधिकारी ने बताया कि मनरेगा पर योजनाओं का खर्च अब बहुत कम हो गया है। उन्होंने बताया कि असल में, बहुत सारी योजनाओं के लिए उन्होंने क्लॉज निकाल दी गई थी कि पहले अभिलेख भेजा जाएगा, उसकी जांच की जाएगी, उसको स्वीकृत किया जाएगा और उसके बाद ही उसका भुगतान किया जाएगा। डीएम ने बताया कि इस तरह का क्लॉज निकाले जाने के बाद काफी कम संख्या में योजनाएं ली गई। पहले जहां मनरेगा में 300 करोड़ रुपये रहता था वहीं, अब यह 55-60 करोड़ रह गया है। डीएम ने बताया कि योजनाओं की वित्तीय वर्ष 19-20 की ऑडिट में यह देखा गया है। डीएम ने बताया कि जांच में जहां भी अनियमितता पाई जाएगी वहां कार्रवाई होगी।

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