जमुई के इस किसान के जज्बे को सलाम... बालू की रेत पर बिछा दी हरियाली की चादर

जमुई के किसान विपिन इन दिनों हरियाली मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। वे बरनार और किऊल नदी के कछार पर पांच एकड़ में अब तक सैकड़ों पौधे लगा चुके हैं। साथ ही वे समेकित खेती भी कर रहे हैं और ओरों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 03:24 PM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 03:24 PM (IST)
जमुई के इस किसान के जज्बे को सलाम... बालू की रेत पर बिछा दी हरियाली की चादर
जमुई के किसान विपिन इन दिनों हरियाली मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं।

जमुई [अरबिन्द कुमार सिंह]। इरादे बुलंद हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। कुछ ऐसा ही जमुई के एक किसान विपिन मंडल ने कर दिखाया है। 10 साल पहले जब उन्होंने किऊल और बरनार नदी के कछार पर एकमुश्त लगभग पांच एकड़ जमीन पर पौधारोपण की थी तब हर कोई मजाक उड़ा रहा था। आज उसी भूमि पर हरियाली लहलहा रही है और अलग-अलग किस्म के आम की मिठास विपिन के परिवार के जीवन में घुल रही है। लगभग ढ़ाई सौ से अधिक आम के पौधे से विपिन की सालाना आमदनी लाखों में होने के साथ-साथ पर्यावरण का भी संरक्षण हो रहा है।

समेकित कृषि प्रणाली के लिए सम्मानित हो चुके हैं विपिन

समेकित कृषि प्रणाली के लिए तरी दाबिल के किसान विपिन मंडल किसान श्री सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें बेहतर किसानी के लिए अनेकों बार मेडल प्राप्त करने का शुभ अवसर मिल चुका है। यहां बताना लाजिमी है कि विपिन जिले के गिने-चुने जागरूक किसानों में से एक हैं।

बगिया में अल्फाजों से लेकर जर्दालू तक का कलेक्शन

विपिन की बगिया में आम की किस्मों में अल्फाजों से लेकर जर्दालू तक का कलेक्शन है। बंबईया, मालदह, गुलाब खस जैसे स्वादिष्ट आम बेचने के लिए उन्हें सोचना नहीं पड़ता है। लेकिन, उचित कीमत नहीं मिलने का रोना देश के अन्य किसानों की तरह इनकी भी नियति में है।

अब भी चारों ओर बंजर सा नजारा

विपिन की बगिया के चारों ओर अब भी बंजर सा ही नजारा है। गिने-चुने किसानों ने उनकी देखा-देखी अपनी जमीन पर पौधारोपण किया है जो हरियाली की चादर ओढऩे की ओर अग्रसर है।

बकरी पालन की योजना पर कर रहे काम

विपिन मंडल अब उसी बगिया में बकरी पालन की योजना पर काम कर रहे हैं। पशुपालन विभाग की ओर से बकरी पालन योजना के तहत उन्होंने शेड का निर्माण पूर्ण कर लिया है। हालांकि योजना के तहत अनुदान पाने के लिए उन्हें बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। विभाग के अधिकारियों की व्यक्तिगत शर्तें पूर्ण नहीं करना उनके लिए मुसीबत बन गया है। लाखों खर्च करने के बाद भी अनुदान की राशि का भुगतान नहीं होने से अब उनके मिशन को ब्रेक लग गया है। किसान उत्पादक संघ के निदेशक नंदलाल ङ्क्षसह इसे अधिकारी की हठधर्मिता बताते हुए उच्चाधिकारियों से जांच कर उचित कार्रवाई की मांग की है।  

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