महिलाओं को हुनरमंद बना रही मधु... समूह से जोड़कर इस तरह दिला रही रोजगार

सहरसा की मधु महिलाओं को साक्षर और हूनरमंद बना रही है। साथ ही इन महिलाओं को समूह में जोड़ कर रोजगार भी उपलब्ध करा रही है। समूह के माध्यम से अब तक 50 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिल चुका है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Wed, 24 Mar 2021 03:10 PM (IST) Updated:Wed, 24 Mar 2021 03:10 PM (IST)
महिलाओं को हुनरमंद बना रही मधु... समूह से जोड़कर इस तरह दिला रही रोजगार
सहरसा की मधु महिलाओं को साक्षर और हूनरमंद बना रही है।

सहरसा [कुंदन कुमार]। जिलान्तर्गत सत्तरकटैया प्रखंड की बारा निवासी मधु शर्मा विगत दो दशक से गांव और अगल- बगल के गांव के निरक्षर महिला- पुरूषों को अक्षरदान दे रही हैं। उनके प्रयास से बारा, लालगंज, भरना, सिहौल आदि गांवों के चार सौ से अधिक निरक्षर लोग लिखना- पढऩा सीख गए। निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में भागलपुर से ब्याहकर आई मधु ससुराल आने के कुछ दिन बाद से ही परिवारवालों से इजाजत लेकर इस कार्य में जुट गई। लोगों के बीच लगातार रहने के कारण मधु एक बेहतर वक्ता भी बन गई है। उनकी बातों से लोग काफी प्रभावित होते हैं। अपनी कार्यशैली के कारण वह इलाके में काफी लोकप्रिय हो चुकी हैं।

बच्चों के लालन- पालन के साथ खुद भी प्राप्त की उच्च शिक्षा

मधु के पति भोगेंद्र शर्मा दिल्ली की एक कंपनी में काम कर जैसे- तैसे परिवार की परवरिश कर रहे थे। बावजूद इसके मधु ने अपने बच्चों के लालन- पालन के साथ उन्हें अच्छी तालीम दी और खुद भी ग्रेजुएशन किया। उनका एक बेटा पॉलिटेक्निक में और दूसरा मैट्रिक की पढ़ाई कर रहा है। परिवार की माली हालत के कारण बच्चों की पढ़ाई- लिखाई में हो रही परेशानी के कारण मधु स्वयं भी जीविका से जुड़ गई। इससे भी उन्हें परिवार के भरण- पोषण में कठिनाई हो रही है। बावजूद इसके उनका सामाजिक कार्य निरंतर चल रहा है।

नवसाक्षर महिलाओं को समूह के माध्यम से दिलाया रोजगार

मधु ने गांव की नवसाक्षर महिलाओं को संगठित कर 55 समूह का गठन किया। समूह से जुड़ी महिलाओं को बैंक से ऋण दिलवाया जिसमें दर्जनों लोग इस बल पर अपना स्वरोजगार खड़ा कर अपने परिवार की बेहतर तरीके से परवरिश कर रहे हैं। बारा की रीता देवी किराना दुकान खोलकर अपने परिवार की परवरिश कर रही है। उनका कहना है कि मधु ने उन्हें न सिर्फ शिक्षा की रोशनी दी, बल्कि समूह के माध्यम जीने की राह भी दिखाई। दूरा देवी सब्जी की खेती और अंशु बकरी पालन कर बेहतर तरीके से अपने परिवार का भरण- पोषण कर रही है। इन महिलाओं का कहना है कि मधु ने जब उनलोगों को पढऩा सीखने के लिए कहती थी, तो काफी संकोच होता था, लेकिन आज उनकी ही प्रेरणा से हमसबों का परिवार चल रहा है। इधर मधु का सामाजिक अभियान जारी है। वह दहेज प्रथा, नशामुक्ति आदि को लेकर अभियान चला रही है। वह गांव के लोगों को अपने- अपने बच्चों को स्कूल जाने के लिए भी प्रेरित करती है। उनका कहना है कि जबतक सांस चलेगी। उनका सामाजिक अभियान जारी रहेगा।

chat bot
आपका साथी