Hartala teej 2020 : अखंड सुहाग की रक्षा के लिए महिलाओं ने किया व्रत, मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की
Hartala teej 2020 इस त्योहार का महिलाओं में विशेष महत्व है। इस व्रत से सुखद दांपत्य जीवन की प्राप्ति होती है। सुख शांति व समृद्धि आती है।
भागलपुऱ, जेएनएन। Hartala teej 2020 : जिले के शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक शुक्रवार को घर-घर में हरतालिका तीज की धूम रही। सुहागीन महिलाओं ने नए-नए परिधानों में सजधज व सोलह श्रृंगार कर अखंड सुहाग की कामना के लिए देवाधिदेव महादेव और माता पार्वती की नेम निष्ठा के साथ पूजा की। मौके पर घर में तैयार किए गए विविध पकवानों एवं मौसमी फलों से डलिया भी भरी। मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए महिलओं ने अन्न जल को त्याग कर यह कठिन व्रत की। मौके पर व्रत के महत्व को जानने के लिए कथा का भी श्रवण किया। इस दौरान हर घर का माहौल धार्मिक बना रहा। लोग घर में भी पूजा के दौरान शरीरिक दूरी का पालन करते नजर आए। कुछ व्रतियों ने सुबह में ही पूजा पाठ कर डलिया भरने का काम किया तो कई सुहागीनों ने संध्या काल के शुभ मुहूर्त में इस पूजा को संपन्न किया।
व्रती क्यों करती है शिव-पार्वती की पूजा
ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इसी दिन हरतालिका तीज का व्रत की थी और उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति हुई थी। इस मान्यता के आधार पर हर सुहागीन महिलाएं अखंड सुहाग की कामना के लिए यह व्रत पूरे विधि-विधान के साथ करती हैं। व्रत के दौरान माता पार्वती को सुहाग का सभी श्रृंगार चढ़ाती हैं ताकि उनसे अखंड सुहाग का आशीर्वाद मिल सके। कहते हैं कि सोलह श्रृंगार करने से भी माता प्रसन्न होती हैं। इसीलिए महिलाएं सजधज कर इस व्रत को करती हैं।
सुहागिनों अखंड सुहाग के लिए किया हरितालिका तीज पूजन
शुक्रवार को भादो मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाओं ने पूरे वैदिक विधान के साथ किया। सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग के दीर्घायु व स्वस्थ जीवन के साथ उनके सुख समृद्धि की मंगलकामना की। निर्जला रहकर 24 घंटे का व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना की। बिहपुर के पंडित शंकर मिश्र ने बताया कि शनिवार को भादो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चौथ चंदा व गणेश चतुर्थी पूजन होगा, जिसमें प्रथम पूज्य सिद्धि विनायक भगवान गणेश का पूजन एवं शाम में चौथ चंदा पूजन पूरे सनातन विधि विधान के साथ संपन्न होगा। चौथ चंदा पूजन के दौरान माताएं अपनी संतान व पूरे परिवार के मंगल कल्याण के लिए घर के आंगन में चौरठ का चौकोर बनाकर मिठाई व फलों से भरा डाला रखकर पूजा करेंगी। इस दौरान परिवार के सभी सदस्य पहुंच कर चंद्रदर्शन कर व अर्घ्य अर्पण करेंगे। इस दौरान व्रती महिलाएं व्रत के समापन तक पूरे उस दिन निर्जला उपवास करती हैं।