तेल के खेल में पीस रहे अरवल के किसान

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का असर अब किसानों पर भी दिखने लगा है। वैश्विक महामारी कोरोना ने पहले ही आम लोगों की अर्थव्यवस्था को असंतुलित कर दिया। जब लाकडाउन और कोरोना संक्रमण से थोड़ी राहत मिली तो अब महंगाई किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। दिन प्रतिदिन बढ़ रहे पेट्रोल डीजल की कीमत से किसान मायूस हो गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 07:07 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 07:07 PM (IST)
तेल के खेल में पीस रहे अरवल के किसान
तेल के खेल में पीस रहे अरवल के किसान

अरवल । पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का असर अब किसानों पर भी दिखने लगा है। वैश्विक महामारी कोरोना ने पहले ही आम लोगों की अर्थव्यवस्था को असंतुलित कर दिया। जब लाकडाउन और कोरोना संक्रमण से थोड़ी राहत मिली तो अब महंगाई किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। दिन प्रतिदिन बढ़ रहे पेट्रोल डीजल की कीमत से किसान मायूस हो गए हैं। किसानों को इस समय अपने घरों की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए धान की खेती एक बड़ा सहारा थी, लेकिन डीजल के बढ़ते दामों से किसान आहत हैं। पिछले दिनों लगातार हुई बारिश से किसानों की कमर टूट गई। किसानों द्वारा लगायी गई सब्जी से लेकर मूंग की फसल बर्बाद हो गयी थी। पिछले वर्ष धान के खेत की जुताई व सिचाई के लगने वाली पूंजी इस बार महंगाई के कारण अधिक लग रही है। जिससे बटाईदार किसान खेती करने से कतराने लगे हैं। किसान सुरेंद्र कुमार ,अविनाश कुमार ,अजय शर्मा आदि ने बताया कि ट्रैक्टर के माध्यम से एक बीघा जमीन की जुताई में पिछले साल 1200 रुपए इस बार 1800 से 2000 रुपये प्रति बीघा देना पड़ रहा है। किसान रमेश यादव , रवि शंकर शर्मा, विकास कुमार, कपिल शर्मा एवं मृत्युंजय शर्मा का कहना है कि इस कोरोना जैसी विपदा में किसानों के लिए डीजल की कीमत कम होनी चाहिए तो और भी महंगी होते जा रही है। अधिकतर किसान मध्यम और निम्न वर्गीय हैं। हम किसानों के पास खेतों के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं। किसी तरह खेती कर अपना जीवन यापन कर लेते हैं।

chat bot
आपका साथी