फ्लेक्सिबिलिटी एहसान नहीं है, बल्कि यह है महिलाओं का हक
महिलाओं जब जरूरत है करियर में आगे बढ़ने के लिए और अपने जीवन को बेहतर करने के लिए तब उन्हें अपने काम से ब्रेक लेना चाहिए। इसलिए कंपनी को भी यह समझना होगा कि फ्लेक्सिबिलिटी एक विशेषाधिकार या एहसान नहीं है बल्कि यह महिलाओं का हक है।

घर का काम करना, बच्चों को देखना और उसके साथ-साथ ऑफिस के काम को समय पर खत्म करना, ये रोजाना का संघर्ष एक कामकाजी महिला के जीवन की सच्चाई बन चुकी है। लेकिन इस भागदौड़ भरे जीवन में महिलाएं हमेशा से ही अपना 100 फीसदी देती आई हैं। इसमें उनका जीवन तो आगे बढ़ा, लेकिन एक सख्त टाइम टेबल के साथ।
बंधे हुए टाइम टेबल में महिलाओं को थोड़ी खाली जगह यानी कार्यस्थल पर फ्लेक्सिबिलिटी की जरूरत है। इससे वह घर और ऑफिस के काम को अच्छे से मैनेज कर पाएंगी और सबसे अहम बात, वो खुद को समय दे पाएंगी। LinkedIn के एक आंकड़े के अनुसार 72% कामकाजी महिलाओं का मानना है कि वे ऐसा जॉब नहीं करेंगी, जहां फ्लेक्सिबिलिटी ना हो। फ्लेक्सिबिलिटी महिलाओं का हक है और उन्हें यह मिलना चाहिए, वो भी बिना किसी वेतन में कटौती के।
आज देखा जाए तो कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए काम करने के नियम में बदलाव यानी फ्लेक्सिबिलिटी पर बाते की जा रही है। प्रोफेशनल प्लेटफॉर्म जैसे LinkedIn पर लोग इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं और अपने विचार रख रहे हैं।
देबाश्री मिशल दत्ता ने अपने एक पोस्ट में महिलाओं के लिए फ्लेक्सिबिलिटी क्यों जरूरी है, उसके बारे में बताया है -
वहीं एक और यूजर दीप्ती सिंह ने फ्लेक्सिबिलिटी को एक परिवार के लिए जरूरी बताया -
फ्लेक्सिबिलिटी को एक जरूरत के तौर पर देखते हुए कई कंपनियों ने इसे अपने एचआर पॉलिसी में शामिल किया है। यह एक ऐसा विषय है जिस पर हर एक महिला को सोचने की जरूरत है। उसे बिना किसी डर के फ्लेक्सिबिलिटी के साथ काम करने की आजादी मिलनी चाहिए। अगर उसे करियर में ब्रेक चाहिए, तो वो भी बिना डर के ले सके।
काम में महिलाओं को फ्लेक्सिबिलिटी मिले, इसलिए Dainik Jagran के सौजन्य से विश्व के सबसे बड़े प्रोफेशनल नेटवर्क LinkedIn ने एक अभियान #RokeNaRuke की शुरुआत की है। इस अभियान के जरिए कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए पूर्वाग्रह को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। यह अभियान महिलाओं को आगे बढ़ने का रास्ता देगा, उन्हें अपने हिसाब से कुछ करने का मौका देगा।
#RokeNaRuke अभियान के जरिए देश की उन चार सफल महिलाओं से आपका परिचय कराया जाएगा, जिन्होंने फ्लेक्सिबिलिटी को अपनी सोच बनाया और अपने काम से दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित किया। ये महिलाएं हैं Jasleen Kaur, हेड- मार्केटिंग, पब्लिक रिलेशन और सीएसआर स्टोरीटेलर, बेनेटन ग्रुप,
Sairee Chahal, फाउंडर शीरोज, Saria Nazneen, इनडीड डॉट कॉम और Vineeta Singh, सीईओ, शुगर कॉस्मेटिक्स। इन्होंने फ्लेक्सिबिलिटी को एक ऐसा टूल माना है, जिसके जरिए महिलाएं अपने लक्ष्य को हासिल कर सकती हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकती हैं।
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