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    फ्लेक्सिबिलिटी को अपनाकर चढ़ें सफलता की सीढ़ी

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Thu, 19 May 2022 06:19 PM (IST)

    अपनी जिन्दगी में इतने उतार-चढ़ाव देखने के बाद जब एक महिला खुद के बारे में सोचना शुरू करती है तो उसके मन में कई सारे सवाल होते हैं। अगर वो किसी निजी कारण से करियर ब्रेक ले लें तो कार्यस्थल पर कहीं उनके साथ भेदभाव ना होने लग जाए।

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    बेनेटन ग्रुप की मार्केटिंग हेड - Jasleen Kaur

    अपनी जिन्दगी में इतने उतार-चढ़ाव देखने के बाद जब एक महिला खुद के बारे में सोचना शुरू करती है, तो उसके मन में कई सारे सवाल होते हैं। अगर वो किसी निजी कारण से करियर ब्रेक ले लें तो कार्यस्थल पर कहीं उनके साथ भेदभाव ना होने लग जाए। कहीं उन्हें किसी विशेष प्रोजेक्ट पर जोड़ने से पहले ही अनदेखा ना कर दिया जाए, प्रमोशन या वेतन में वृद्धि के वक्त कहीं उन्हें पीछे ना कर दिया जाए। ऐसे और भी कई सवाल हैं, जो महिलाओं को अपनी जिन्दगी में खुद को आगे रख कर सोचने से रोकते हैं।

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    लेकिन बेनेटन ग्रुप की मार्केटिंग हेड - Jasleen Kaur का मानना है कि जिन परिंदो को तेज हवाओं में उड़ना हो, नयी ऊंचाइयों को छूना हो, उनके पर नहीं, हौंसले मजबूत होने चाहिए। जसलीन का कहना है कि उनके माता-पिता के इस एक विचार ने उनके जीवन को बदल दिया है। जसलीन कौर की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से हुई। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में पहले बीए किया फिर मास्टर्स भी किया, तब तक लिखने पढ़ने में उनकी रूचि बढ़ने लगी थी। उन्हें अपने खाली समय में नॉवेल्स पढ़ना और कविताएं लिखना शुरू किया। अभी तक वह एक किताब लिख चुकी हैं और उनकी दूसरी किताब पर काम चल रहा है। जसलीन कहती हैं कि अपने काम को लेकर इस तरह से जुनूनी होना उन्हें मानसिक रूप से काफी मजबूत रखता है।

    भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से मार्केटिंग मैनेजमेंट करने के बाद धीरे-धीरे उन्होंने समझा कि महिलाओं के निजी जीवन और कार्यस्थल के बीच फ्लेक्सिबिलिटी कितनी जरूरी है।Jasleen Kaur अन्य महिलाओं के जीवन में भी फ्लेक्सिबिलिटी की अहमियत को समझती हैं, क्योंकि उन्होंने खुद फ्लेक्सिबिलिटी के माध्यम से अपनी रूचियों से समझौता किये बिना एक संतुलित दिनचर्या बनाई है। अभी उनके दो बच्चे हैं, खुशहाल परिवार है और एक अच्छी पेशेवर जिन्दगी है। जसलीन दिनचर्या का पालन करती हैं, दो-तीन महीने में एक बार शॉर्ट ट्रिप पर अपने परिवार के साथ बाहर जाती हैं।

    उनका साफ कहना है कि पढ़ाई और काम के साथ-साथ सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों पर भी बराबर ध्यान देना चाहिए, जिससे लोगों के रचनात्मक क्षितिज में वृद्धि होती है। और ऐसा करने से लोगों को उनकी पेशेवर जिंदगी में बहुत मदद मिलती है। जसलीन बताती हैं कि अपनी पेशेवर जिंदगी से उन्होंने एक बहुत खास चीज सीखी और वो है, संचार कौशल! अपनी बातों को आगे रखना, बिना डरे बिना झिझके एक तर्क के साथ खुद को व्यक्त करना, चीजों को पहचानना। और इस बेबाक रवैये की वजह से उन्हें एक अच्छा जीवनसाथी चुनने में भी काफी मदद मिली। वह हमेशा से एक ऐसा पार्टनर चाहतीं थी जो एक औरत और उसकी फ्लेक्सिबिलिटी को समझे, उसकी जरूरतों को समझे।

    कार्यस्थल पर महिलाओं को फ्लेक्सिबिलिटी के बारे में जागरूक करने के लिएJasleen Kaur ने LinkedIn पर एक कम्युनिटी बनाई है, जहां वे महिलाओं से बात करती हैं, उनके मुद्दों को समझने की कोशिश करती हैं और अगर मुमकिन हो तो उनकी मदद करने की भी कोशिश करती हैं। वे समाज में महिलाओं के प्रति व्याप्त रूढ़िबद्ध धारणाओं और वर्जनाओं को सामान्य करने की अपने स्तर से कोशिश कर रही हैं। जसलीन का मानना है कि महिलाएं वो चुनें जो उनके लिए सही है, जो उनको खुशी देता है। आप थमें, चलें या दौड़ें, वक्त आने पर पल भर रुकें, और फिर आगे बढ़ें! यही तो है ‘रोके ना रुके’ रवैया।