Omkareshwar Mandir: मध्य प्रदेश के इस मंदिर में रात को सोते हैं शिव-पार्वती, इस वजह से कहलाता है ओंकारेश्वर
Omkareshwar Mandir मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर मंदिर के अलावा एक और मशहूर मंदिर है। नर्मदा नदी पर मौजूद ओंकारेश्वर मंदिर दुनिया भर में काफी प्रसिद्ध है। यह 12 ज्योर्तिलिंगों में चौथा ज्योर्तिलिंग है जिसे लेकर अपनी अलग मान्यता है। अगर आप भी इस मंदिर प्रसिद्ध के दर्शन करने का प्लान बना रहे हैं तो आइए जानते हैं क्या है इसकी खासियत-

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Omkareshwar Mandir: देशभर में आज सावन का आखिरी सोमवार मनाया जा रहा है। इस दौरान हर कोई भगवान शिव की भक्ति में डूबा नजर आ रहा है। 2 महीने तक जारी सावन का यह पावन महीना 31 अगस्त को खत्म होने वाला है। पूरे महीने शिव भक्त भगवान शिव की आराधना करते नजर आए। साथ ही इस दौरान कई लोगों ने व्रत-उपवास कर भोलेनाथ की पूजा की। देश में भगवान शिव के कई सारे मंदिर मौजूद हैं। यहां 12 ज्योतिर्लिंग भी हैं जिनका अपना अलग महत्व है।
इन्हीं ज्योतिर्लिंगों में से एक स्थापित है हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश में, जिसे 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा ज्योर्तिलिंग कहा जाता है। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की, जिसका अपना एक अलग महत्व है। सावन के आखिरी सोमवार पर जानते हैं मध्य प्रदेश के इस खास मंदिर की खासियत के बारे में-
चौथा ज्योतिर्लिंग है ओकारेंश्वर
मध्य प्रदेश के खंडवा क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे मौजूद ओंकारेश्वर मंदिर दुनिया भर में काफी प्रसिद्ध है। यह मध्य प्रदेश में स्थापित महाकालेश्वर के बाद राज्य का दूसरा ज्योतिर्लिंग है, जिसके दर्शन करने दुनिया भर से हर साल काफी लोग यहां आते हैं। यह मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा में नर्मदा नदी के मध्य द्वीप पर मौजूद है। 12 ज्योतिर्लिंगों में ओंकारेश्वर चौथा ज्योतिर्लिंग है। ऐसा माना जाता है कि इस शब्द का उच्चारण सबसे पहले ब्रह्मा की मुख से हुआ था।
रात में यहां विश्राम करते हैं शिव-पार्वती
विश्व प्रसिद्ध इस मंदिर की अपनी अलग मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव यहां मां पार्वती के साथ विराजमान हैं और रोजाना रात के समय यहीं पर विश्राम करते हैं। इतना ही नहीं दोनों यहां पर चौसर भी खेलते हैं। यही वजह है कि मंदिर में चौसर, पासे पालना और सेज सभी सजाए जाते हैं। सावन के महीने और शिवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
इसलिए ओंकारेश्वर कहलाता है मंदिर
उत्तर भारतीय वास्तुकला में तैयार किया गया यह मंदिर पांच मंजिला है, जो नर्मदा नदी के बीच मन्धाता और शिवपुरी द्वीप पर मौजूद है। खास बात यह है कि इस द्वीप का आकार ओम शब्द की तरह दिखाई देता है। यही वजह है कि द्वीप पर मौजूद मंदिर को ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है। साथ ही इस मंदिर को लेकर ऐसी भी मानता है कि यहां स्थापित लिंग एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जिसे किसी मनुष्य ने तराशा या गढ़ा नहीं है।
Picture Courtesy: Instagram/omkareshwar_jyotirlinga

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।