क्या है शिरडी की पहचान
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोपरगांव क्षेत्र में छोटा सा कस्बा है शिरडी। यहां आज रोजाना 50 हजार भक्त साई बाबा के दर्शनार्थ पहुंचते हैं और गुरुवार तथा रविवार को यह संख्या एक लाख पार कर जाती है। दशहरा, रामनवमी, गुरुपूर्णिमा एवं 31 दिसंबर जैसे अवसरों पर तो बाबा के
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोपरगांव क्षेत्र में छोटा सा कस्बा है शिरडी। यहां आज रोजाना 50 हजार भक्त साई बाबा के दर्शनार्थ पहुंचते हैं और गुरुवार तथा रविवार को यह संख्या एक लाख पार कर जाती है। दशहरा, रामनवमी, गुरुपूर्णिमा एवं 31 दिसंबर जैसे अवसरों पर तो बाबा के दर्शनार्थियों की संख्या प्रतिदिन तीन लाख से भी ज्यादा हो जाती है। हालांकि यहां पहुंचने के लिए कोई सीधा रेलमार्ग भी नहीं है। मनमाड या नासिक तक रेल से सफर के बाद लोग बसों या दूसरे साधनों से शिरडी पहुंचते हैं। शिरडी मुंबई से क रीब 250 किमी और नासिक से 90 किमी दूर है। इन दोनों शहरों से शिरडी के लिए कई टूरिस्ट कंपनियां अपनी नियमित लग्जरी बस सेवाएं चलाती हैं।
हिंदू-मुसलमान सभी की आस्था
15 अक्टूबर 1918 को दशहरे के दिन शिरडी में समाधिस्थ हुए साई बाबा को हिंदू और मुसलमान दोनों ही समुदायों के लोग अपना मानते हैं। साई बाबा के माता-पिता, उनके जन्म की तिथि और स्थान के बारे में ठीक-ठीक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। साईबाबा 16 वर्ष की उम्र में शिरडी में नीम के एक पेड़ के नीचे देखे गए थे। उसी नीम के वृक्ष को अपना गुरुस्थान बताकर बाबा ने पूरा जीवन उसके नीचे गुजार दिया। यह नीमवृक्ष आज भी समाधि मंदिर के ठीक पीछे स्थित है एवं भक्तगण बाबा की समाधि को सिर नवाने के बाद इस वृक्ष की परिक्रमा करना नहीं भूलते। बाबा के समाधि मंदिर में सुबह से देर रात तक भक्त कतारबद्ध होकर दर्शनों के लिए आते रहते हैं। व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस्पात के पाइपों की घुमावदार रेलिंग लगी है, जहां एक समय में एक साथ 15 हजार दर्शनार्थी कतारबद्ध खड़े हो सकते हैं।
मंगल आरती से शुरू होता है दर्शन
बाबा के दर्शनों का सिलसिला सुबह सवा पांच बजे उनकी मंगल आरती से शुरू होता है। इस आरती में शामिल होने के लिए भक्त भोर में चार बजे ही आकर कतारबद्ध हो जाते हैं। हॉल भर जाने पर कतार में बचे भक्त क्लोजसर्किट टीवी पर स्नान एवं मंगल आरती देख सकते हैं। करीब एक घंटे चलने वाली इस प्रक्रिया के बाद भक्त रेलिंग के सहारे बाबा की मूर्ति की ओर बढ़ते जाते हैं। यह सिलसिला रात 10 बजे शयन आरती तक चलता रहता है। भक्तगण बाबा के बाद समाधि मंदिर से सटी द्वारकामाई मस्जिद एवं चावणी के दर्शन करते हैं। मंदिर परिसर में वह शिला आज भी मौजूद है, जिस पर बैठकर साई बाबा भक्तों को आशीर्वाद दिया करते थे। बाबा की जलाई धुनी भी लगातार प्रज्वलित है।
संग्रहालय
बाबा द्वारा उपयोग की गई वस्तुओं का यहां एक संग्रहालय भी है, जहां बाबा के कपड़े, जूते, पालकी, रथ व व्हीलचेयर आदि चीजें हैं। साई बाबा के प्रति लोगों की श्रद्धा ने ही शिरडी जैसे छोटे कस्बे को पर्यटन के नक्शे पर महत्वपूर्ण स्थान दिला दिया है। मध्य रेलवे जल्दी ही शिरडी तक रेलसेवा शुरू करने के लिए प्रयत्नशील है तो महाराष्ट्र सरकार यहां हेलीपैड बनाने पर विचार कर रही है। पर्यटन केंद्रों पर पांव पसारने वाले निजी क्षेत्र ने भी यहां की संभावनाओं को भलीभांति भांप लिया है। करीब छह साल पहले ही एक पांचसितारा होटल सन एंड सैंड यहां अपनी सेवाएं शुरू कर चुका है और हाल के दो-तीन वर्षो में चार सितारा होटल गारोडिया एवं तीन सितारा होटल श्रद्धा पार्कइन भी यहां आ गए हैं। यहां के किसी सितारा होटल में मांसाहारी भोजन एवं शराब नहीं दी जाती है।