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क्‍या कोई हवेली इतनी खुबसूरत हो सकती है

डुंडलोद स्थित गोयनका हवेली खुर्रेदार हवेली के नाम से प्रसिद्ध है। स्थापत्य के अप्रतिम उदाहरण इस हवेली का निर्माण उद्योग कर्मी अर्जन दास गोयनका द्वारा करवाया गया था जो अपने समय के सुविज्ञ और दूरदर्शी थे।व्यापार-व्यवसाय से जुड़े होने के बावजूद वे लोक रंग लोकरीति और लोक कलाओं के संरक्षण

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2015 03:39 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2015 04:05 PM (IST)
क्‍या कोई हवेली इतनी खुबसूरत हो सकती है
क्‍या कोई हवेली इतनी खुबसूरत हो सकती है

डुंडलोद स्थित गोयनका हवेली खुर्रेदार हवेली के नाम से प्रसिद्ध है। स्थापत्य के अप्रतिम उदाहरण इस हवेली का निर्माण उद्योग कर्मी अर्जन दास गोयनका द्वारा करवाया गया था जो अपने समय के सुविज्ञ और दूरदर्शी थे।व्यापार-व्यवसाय से जुड़े होने के बावजूद वे लोक रंग लोकरीति और लोक कलाओं के संरक्षण के प्रबल इच्छुक थे और इसलिए उन्होंने अपनी इस विशालकाय चौक की हवेली के बाहर दो बैठकें, आकर्षक द्वार और भीतर सोलह कक्षों का निर्माण करवाया था जिनके भीतर कोटडि़यों, दुछत्तियों, खूटियों, कडि़यों की पर्याप्त व्यवस्था रखी गई थी। उन्हें प्राचीन दुर्लभ ग्रंथों, आकर्षक बर्तनों, खाट-मुढ्ढियां, झाड़-फानूस, आदमकद शीशों और औषधियों के लिए सुंदर बोतलों को एकत्रित करने का शहंशाही शौक था।

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लोक चित्रों का संग्रह

उनके वंशज मोहन गोयनका ने सन् 1950 में हवेली के कुछ कमरे खोल कर देखे थे जिन्हें 2004 में फिर से खोल दिया गया है। भीतर से पूरी तरह चित्रांकित इस हवेली को नया रूप देने का कार्य 2000 में ही शुरू कर दिया था।

उन्होंने यह सोचते हुए कि शेखावटी में कलात्मक और दुर्लभ वस्तुओं के प्रदर्शन का कोई संग्रहालय नहीं है, इस हवेली को एक अतुलनीय संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया। इस घुमावदार खुर्रे की हवेली का भीतरी हिस्सा लोक चित्रों से भरा पूरा है जिनमें श्रीकृष्णकालीन लीलाओं के चित्रों की बहुतायत है।


संगमरमरी पत्थरों पर अंकित रासलीला

रामगढ़ शेखावाटी में राम गोपाल पोद्दार की छतरी में राम कालीन कथा चित्रांकित है, घनश्याम दास पोद्दार कीहवेली आकर्षक और कलात्मक है तो ताराचंद रूइया और रामनारायण खेमका हवेली के अपने आकर्षण हैं। झुंझुनूं में टीबड़े वालों की हवेली और ईसरदास मोदी की सैकड़ों खिड़कियों वाली भव्य हवेलियां हैं।

फतेहपुर में नंदलाल डेबड़ा की हवेली, कन्हैयालाल गोयनका की हवेली, नेमी चंद चौधरी की हवेली और सिंघानियों की हवेली ऐसी इमारतें है जिन्हें देखना पर्यटक पसंद करते हैं। महनसर में सेजराम पोद्दार की हवेली की सोने-चांदी की दुकान, पोद्दारों की छतरियां और गढ़ भव्य इमारतें हैं तो बिसाऊ में सीताराम सिगतिया की हवेली और पोद्दारों की हवेली का कोई जवाब नहीं है।

मंडावा में सागरमल लडि़या की हवेली, रामदेव चौखानी की हवेली मोहनलाल नेवटिया की हवेली रामनाथ गोयनका की हवेली हरी प्रसाद ढेंढारिया की हवेली ओर बुधमल मोहनलाल की भी दर्शनीय है।

चूड़ी में शिवप्रसाद नेमाणी की हवेली भी कलात्मकता का परिचय देती है जहां शिवालय की छतरी में श्रीकृष्ण कालीन रासलीलाएं संगमरमरी पत्थरों पर अंकित हैं। चूरू में भी मालजी का कमरा, सुराणों का हवामहल, रामविलास गोयनका की हवेली, मंत्रियों की बड़ी हवेली और कन्हैयालाल बागला की हवेली दर्शनीय है।


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