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    Bihar Tourist Places: प्राचीन भारत से रूबरू होने के लिए बिहार की इन जगहों पर जरूर जाएं घूमने

    By Pravin KumarEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jul 2022 07:11 PM (IST)

    बुद्ध और सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए बोधगया पवित्र स्थल है। भगवान बुद्ध को बोध गया में दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके अलावा गया में पिंडदान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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    Bihar Tourist Places: प्राचीन भारत से रूबरू होने के लिए बिहार की इन जगहों पर जरूर जाएं घूमने

    दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Bihar Tourist Places: भारतीय इतिहास को तीन भागों में बांटा गया है। पहले भाग को प्राचीन भारत कहा जाता है। प्राचीन भारत के समय में मगध साम्राज्य का उदय हुआ था, जिसकी राजधानी सर्वप्रथम राजगीर में थी। इसके बाद पाटलिपुत्र (वर्तमान में पटना) में बनाई गई थी। मगध का सबसे अधिक विस्तार मौर्य काल में हुआ था। जब क्रमशः चन्द्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार और सम्राट अशोक ने कई अन्य महाजनपदों को मगध में मिला लिया। इसकी सीमा उत्तर में गंगा से लेकर दक्षिण में विंध्य पर्वत तक, पूर्व में चंपा से लेकर पश्चिम में सोन नदी तक फैली थी। मगध का उल्लेख अथर्ववेद में भी निहित है। इतिहास में मगध को 'अखंड भारत' कहकर भी संबोधित किया गया है। अगर आप भी प्राचीन भारत से रूबरू होना चाहते हैं, तो बिहार की इन जगहों पर जरूर जाएं घूमने-

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    बोधगया

    बुद्ध और सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए बोधगया पवित्र स्थल है। भगवान बुद्ध को बोध गया में दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके अलावा, गया में पिंडदान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अतः बोध गया का विशेष महत्व है। दुनियाभर से पर्यटक बोधगया घूमने आते हैं। देव दर्शन समेत प्राचीन भारत से रूबरू होने के लिए बिहार स्थित बोध गया जरूर जाएं।

    वैशाली

    इतिहास के पन्नों में वैशाली का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा है। ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले गणतंत्र की स्थापना वैशाली में की गई थी। इसके अलावा, जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर लार्ड महावीर का जन्म वैशाली में हुआ था। भगवान बुद्ध ने अंतिम उपदेश वैशाली में दिया था। अगर आप प्राचीन भारत से रूबरू होना चाहते हैं, तो वैशाली की सैर जरूर करें।

    नालंदा

    ऐसा माना जाता है कि नालंदा में दुनिया का सबसे पुराना आवासीय विश्वविद्यालय है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए, तो नालंदा अति पावन स्थल है। जैन तीर्थंकर महावीर जी लंबे समय तक नालंदा में रहे थे। वहीं, गौतम बुद्ध ने भी नालंदा में उपदेश दिया था। वर्तमान समय में नालंदा के अधिकांश हिस्से खंडहर में तब्दील हो गए हैं। इसके बावजूद, नालंदा में आप प्राचीन भारत से रूबरू हो सकते हैं।