Move to Jagran APP

समुद्र के बीच बने होने की वजह से दुश्मन के लिए मुश्किल था विजयदुर्ग को जीत पाना

तीन ओर समुद्र से घिरा विजयदुर्ग किला, सिंधुदुर्ग जिले का सबसे पुराना और मजबूत किला है। तो अगर आप किलों को देखने और जानने के इच्छुक हैं तो यहां आने के लिए ये सीज़न है बेस्ट।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 01:29 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 01:29 PM (IST)
समुद्र के बीच बने होने की वजह से दुश्मन के लिए मुश्किल था विजयदुर्ग को जीत पाना
समुद्र के बीच बने होने की वजह से दुश्मन के लिए मुश्किल था विजयदुर्ग को जीत पाना

सिंधुदुर्ग जिले के देवगढ़ तालुका में बना है विजयदुर्ग किला। ऐसा माना जाता है कि 13वीं सदी में राजा भोज द्वितीय ने इसे बनवाया था। तीन ओर समुद्र से घिरे होने की वजह से इसे 'जिब्राल्टर ऑफ द ईस्ट' के नाम से भी जाना जाता है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने सन् 1653 में आदिल शाह से इस किले को जीता था। पहले इस किले का नाम 'घेरिया' था लेकिन जीत के बाद इसका नाम बदलकर विजयदुर्ग रखा गया। साथ ही किले के अंदर एक हनुमान मंदिर का भी निर्माण कराया गया था।

loksabha election banner

किले की बनावट

जीत के बाद शिवाजी महाराज ने 17 एकड़ जमीन पर इसका विस्तार करवाया था। दुश्मन सेना आसानी से प्रवेश न कर सके इसके लिए मुख्य द्वारा के सामने एक खाई थी। बावजूद इसके ये किला लगातार पुर्तगालियों, डचों और ब्रिटिशों के हमले का शिकार होता रहा। सन् 1756 तक ये मराठा शासन के अधीन रहा।

किले की दीवारें 8 से 10मीटर ऊंची हैं जो बड़ी-बड़ी काली चट्टानों से बनी हुई हैं। किले में 27 बुरूज हैं। उत्तर कि ओर इसका मुख्य द्वार है। किले में अंदर बड़ी सी पानी की टंकी, तोपें, कैदखाना और अनाज रखने के लिए गोदाम भी देखने को मिलेंगे। किले में दो खुफिया रास्ते भी हैं। किले के अंदर कुछ गुफाएं भी बनी हुई हैं।

आसपास घूमने वाली जगहें

रत्नागिरी

रत्नागिरी आकर आप खूबसूरत नजारों का मजा ले सकते हैं। यहां का रत्नागिरी फोर्ट देखने लायक है। इसके अलावा कहा जाता है कि पांडव अपने 13 सालों के अज्ञातवास के दौरान कुछ समय के लिए यहां भी रूके थे।

सिंधुदुर्ग किला

विजयदुर्ग से कुछ ही दूरी पर है सिंधुदुर्ग किला जो महाराष्ट्र के अद्भुत और विशाल किलों में से एक है। सिंधुदुर्ग में शिवाजी के हाथ-पैरों के निशान देखने को मिलेंगे।

कुंकेश्वर

कुंकेश्वर में भगवान शिव का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। इस पवित्र स्थल को 'कोंकण काशी' के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा यहां के आम भी बहुत मशहूर हैं। इतनी सारी वजहें हैं यहां घूमने की, ऐसे में इसे मिस तो बिल्कुल भी न करें।

तरकली

दक्षिण कोंकण में तरकली बहुत ही पॉप्युलर और खूबसूरत डेस्टिनेशन है। जहां आकर आप कई तरह वॉटर स्पोर्ट्स और मालवनी फूड को एन्जॉय कर सकते हैं।

कब आएं

अक्टूबर से मार्च का महीना यहां घूमने के लिए परफेक्ट है। क्योंकि इस दौरान यहां का मौसम सुहावना रहता है।

कैसे पहुंचे

हवाई मार्ग- छोटा शहर होने की वजह से यहां तक के डायरेक्ट फ्लाइट अवेलेबल नहीं है। गोवा यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जहां से विजयदुर्ग की दूरी 207 किमी है।

रेल मार्ग- अगर आप ट्रेन से यहां आ रहे हैं तो कोंकण नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। जहां से विजयदुर्ग की दूरी 80 किमी है।

सड़क मार्ग- विजयदुर्ग तक सड़क द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। देवगढ़, कानकवली और आसपास के इलाकों से यहां तक के लिए लगातार बसें भी चलती रहती हैं।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.