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    273 फीट की ऊंचाई पर स्थित है उच्ची पिल्लयार मंदिर, भारत के सबसे पुराने गणपति मंदिरों में से है एक

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 05:04 PM (IST)

    तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में स्थित उच्ची पिल्लयार मंदिर (Ucchi Pillayar Temple) कई वजहों से खास माना जाता है। यह मंदिर एक बहुत बड़े चट्टान पर स्थित है और पल्लव राजाओं के समय की है जिस हिसाब से यह भारत के सबसे पुराने गणेश मंदिरों में से एक है। आइए जानें इस मंदिर की क्या-क्या खासियत है और यहां पहुंचने का रास्ता।

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    बेहद अनोखा है भगवान गणेश का उच्ची पिल्लयार मंदिर (Picture Courtesy: tiruchirappalli.nic.in)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में गणपति के सबसे पुराने मंदिरों में से एक मंदिर है तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली (त्रिची) शहर में स्थित उच्ची पिल्लयार कोइल मंदिर (Ucchi Pillayar Temple)। भगवान गणेश को समर्पित यह मंदिर आस्था, इतिहास, वास्तुकला और प्राकृतिक सुंदरका का अनोखा मेल है।

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    इस मंदिर को रॉकफोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानें क्या है इस मंदिर की खासियत और अगर आप इस मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो यहां कैसे पहुंच सकते हैं।

    मंदिर की खासियत

    • अनोखा स्थान और नाम- उच्ची पिल्लयार कोइल, जिसे 'रॉकफोर्ट मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है, एक विशाल 83 मीटर, लगभग 273 फीट, ऊंची प्राचीन चट्टान के शिखर पर स्थित है। 'उच्ची' का अर्थ तमिल में 'ऊंचा' और 'पिल्लयार' भगवान गणेश का स्थानीय नाम है।

    त्रिस्तरीय मंदिर परिसर- यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि एक विशाल परिसर है जिसमें तीन अलग-अलग मंदिर शामिल हैं-

    नीचे- मणिक्का विनयगर मंदिर, जो भगवान गणेश को समर्पित है।

    बीच में- अरुलमिगु थायुमानस्वामी मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपने 100-स्तंभों वाले मंडप और अद्भुत वास्तुकला के लिए मशहूर है।

    शिखर पर- उच्ची पिल्लयार कोइल, जहां भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान है।

    • ऐतिहासिक महत्व- इस चट्टान और मंदिर का इतिहास पल्लव साम्राज्य से जुड़ा हुआ है। इसकी मंदिर की नींव पल्लव राजाओं ने इसकी नींव रखी थी, लेकिन मदुरै के नायक राजाओं ने इसके विकास और निर्माण को पूरा किया।
    • आध्यात्मिक महत्व और चढ़ाई- मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जिंदगी की परेशानियां दूर होती हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को चट्टान में तराशे गए लगभग 400 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है।
    • प्राकृतिक सुंदरता- चट्टान के शिखर पर पहुंचने के बाद वहां से बड़ा ही मनोरम दृश्य दिखाई देता है। यहां से पूरा तिरुचिरापल्ली शहर, कावेरी नदी और कोल्लिडम नदियों का संगम, विश्व प्रसिद्ध श्रीरंगम मंदिर का रंगनाथस्वामी मंदिर और तिरुवनैकवल मंदिर का नजारा दिखाई देता है।
    • मंदिर का हाथी- इस मंदिर की एक और खास बात यहां का मंदिर हाथी है, जो आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आशीर्वाद देता है।

    कैसे पहुंचें उच्ची पिल्लयार कोइल मंदिर?

    उच्ची पिल्लयार कोइल मंदिर तिरुचिरापल्ली शहर के बिल्कुल केंद्र में स्थित है, इसलिए यहां पहुंचना बहुत आसान है।

    • हवाई जहाज के जरिए- सबसे नजदीकी हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 10-12 किलोमीटर की दूरी पर है। हवाई अड्डे से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा लेकर आसानी से मंदिर पहुंचा जा सकता है।
    • ट्रेन के जरिए- तिरुचिरापल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी मात्र 5 किलोमीटर है। स्टेशन के बाहर से ऑटो-रिक्शा या टैक्सी आसानी से मिल जाती है।
    • सड़क के रास्ते- तमिलनाडु और आसपास के राज्यों के सभी प्रमुख शहरों से तिरुचिरापल्ली के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। शहर का मुख्य बस स्टैंड मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। बस स्टैंड से ऑटो या बस ली जा सकती है।

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    Source: 

    • Tiruchirappalli District: https://tiruchirappalli.nic.in/gallery/rockfort-temple/

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