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    वेनिस- फिल्मी कैनवास जैसा शहर

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Mon, 01 Jan 2018 06:00 AM (IST)

    वेनिस में गुजारा दिन जितना खूबसूरत है उतनी ही सुंदर है यहां की शाम। पानी से भरी संकरी गलियां, तैरती कश्तियां, छोटे-छोटे द्वीपों को जोड़ते खूबसूरत पुल, लजीज वेनेशियन खाना ऐसी है ये नगरी।

    वेनिस- फिल्मी कैनवास जैसा शहर

    एक शहर जो पानी पर तैरता है, फिल्मी सेट की तरह दिखता है, जहां फिजाओं में रोमांस गूंजता है, वह है वेनिस। सैकड़ों साल पुराना आर्किटेक्चर, पानी से भरी संकरी गलियां, तैरती कश्तियां, छोटे-छोटे द्वीपों को जोड़ते खूबसूरत पुल, लजीज वेनेशियन खाना, सैलानियों की भीड़, समंदर पर पड़ती सूरज की किरणें, हर सूरत में ख्वाबों की नगरी है वेनिस। 

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    वेनिस में गुजारा दिन जितना खूबसूरत है उतनी ही सुंदर है यहां की शाम। खुशकिस्मत हूं कि पानी पर बसे इस शहर की पुरानी वेनेशियन आर्किटेक्चर की बनी निहायत हसीन इमारतों को रात में जगमगाते और दिन में सूरज की रोशनी से नहाते देख सकी। वेरोना से चलते समय जब हमें बताया गया कि हमारा अगला पड़ाव वेनिस है, तो दिल में इस मनमोहक शहर की तस्वीरें उभरने लगी। पानी की संकरी नहरों के बीच चलती कश्तियां और इटली के लोकगीत गाता बोटमैन। सब कुछ फिल्मी सा था। द ग्रेट गेंबलर में दिल का हाल सुनाते अमिताभ बच्चन और जीनत अमान के गीत सा। कुछ सपने थे और कुछ खयाल। खैर, असली मंजर तो तभी सामने आना था, जब वेनिस की जमीन पर हमने कदम रखने थे।

    पीली रोशनी और काला समंदर वेरोना जिसे सिटी ऑफ रोमियो जूलियट कहते हैं, में जूलियट की बालकनी देखने और शहर को पैदल घूमने के बाद हम शाम को वेनिस पहुंचे। होटल में चेक-इन के बाद कुछ ही देर में हम वेनिस में डिनर के लिए निकल पड़े। वाटर बस में हम विदेशी सैलानियों का एक बड़ा ग्रुप चढ़ा और चल पड़े मुख्य वेनिस की ओर। रात में समंदर और भी खूबसूरत लग रहा था। केनाल बने समंदर के दोनों किनारों पर सालों पुरानी, हेरिटेज बन गईं ईमारतें नजर आ रहीं थीं जो तेरहवीं से अठारहवीं शताब्दी के दौरान वेनिस के रईस परिवारों द्वारा बनाई गई हैं। पीली रोशनी से जगमग करते किनारे और काले दिखते समंदर में बहती बोट, लगभग आधा रास्ता मोबाइल से वीडियो बनाने और इस खूबसूरती को कैद कर लेने में ही निकला। कहते हैं कि शुरुआत में यहां जो इमारतें बनाई गईं, वे ठोस जमीन पर नहीं बनी थीं। नींव तैयार करने के लिए लकड़ी के मजबूत खंभों को मिट्टी में धंसाया गया था। और फिर इन्हें पेड़ की पतली, लचीली शाखाओं या सरकंडों के सहारे बांधा गया। आगे चलकर वेनिस वासियों ने लकड़ी के हजारों खंभों से बनी नींव पर पत्थर के घर बनाए।

    वाइन, ऑलिव और सी-फूड

    जैसे ही वेनिस की मुख्य भूमि पर कदम रखा तो लगा जैसे दुनिया की कोई नायाब तस्वीर देख रहे हैं। वेनिस एक असली शहर नहीं, बल्कि ख्वाबों में रची गई कालाकृति जैसा दिखता है। एक तरफ अद्भुत ईमारतें और दूसरी तरफ बेहद पतली, संकरी गलियां। यहां की एक गली को दुनिया की सबसे पतली गलियों में शुमार किया जाता है। इसकी चौड़ाई 53 सेंटीमीटर है। इन्हीं गलियों को पैदल पार करने के बाद हमारे सामने था वह लोकल रेस्तरां जहां फोर कोर्स डिनर का आयोजन था। व्हाइट और रेड वाइन सफेद टेबल्स पर हमारे लिए तैयार थीं और सेवा में लगे थे वेटर्स, जो किसी इटेलियन फिल्म के हीरो ज्यादा नजर आ रहे थे। इस खुशनुमा माहौल में वेनेशियन खाने के तीन मेन्यू, मीट, फिश और वेज थे। यूरोप यात्रा में हम पूरी तरह से वेजिटेरियन हो गए थे। तो हमने वेज मेन्यू ही चुना। हमें वेज खिलाना उनके लिए भी चुनौती था, क्योंकि सी-फूड से सजने वाले रेस्तरां में सब्जियां मांगना अजीब-सा था। इटली आकर वैसे भी पिज्जा, पास्ता, नूडल्स और चीज से हमारी दोस्ती गहरी हो गई थी। हां, हर खाने में ऑलिव का होना स्वास्थ्य के प्रति सचेत होना दिखाता है। सबसे पहले परोसे गए चीज और टमाटर के स्लाइस ऑलिव के साथ, फिर वेज नूडल्स। इसके बाद सोते की गईं सब्जियां, जिनमें ब्रोकली, बैंगन, टमाटर, आलू के बड़े टुकड़े सजाए गए था। स्वीट डिश में सर्व हुआ केक।

    गंडोला राइड और फिल्मी माहौल

    ओ मोरे मिओ .., इटली की भाषा में शुरू हो रहे गीत को आज भी कोई नहीं भूल पाया है। यह गीत वेनिस में ही फिल्माया गया है। कश्ती वाले को सामने गाते हुए देखते समय यही पंक्तियां गूंज रही थीं कि ये कश्ती वाला क्या गा रहा है, कोई इसे भी याद आ रहा है ..। दूसरे दिन सुबह जब फिर केनाल पार कर मुख्य वेनिस पहुंचे तो गंडोला राइड का अनुभव मिला। गंडोला एक तरह की लंबी नोंक वाली 11 मीटर लंबी नाव थी, जिसे नाविक उसके पिछले छोर पर खड़े होकर चलाता है। पास चल रहे गंडोला में गिटार बजाता कलाकार और फोक गीत गाता गायक चल रहा था। एकदम फिल्मी माहौल था। लगभग 40 मिनट की राइड में गंडोला शहर की पानी की गलियों में ले जाता है और उन पुलों के नीचे से गुजरता है, जो पूरे शहर को जोड़ते हैं। संकरी पानी की गलियों में जब सामने से दूसरी नाव या मोटर बोट आ जाती है, तो उसे निकलने का रास्ता देना भी एक टास्क होता है। मोड़ पर ही रूक जाती हैं कश्तियां। पूरे शहर में 400 से ज्यादा पुल हैं। घर की खिड़की हो या दरवाजा, पानी में ही खुलता है। घर से निकले तो नीचे पानी और बाहर पार्क की गई है एक नाव। इसी से सामान जाएगा और घरों में रहने वाले भी।

    यूरोप का ड्राइंग रूम

    सेंट मार्क स्क्वायर नॉर्थ ईस्ट इटली का एक छोटा-सा शहर है वेनिस, जो लगभग 118 द्वीपों से बना है। एक द्वीप से दूसरे द्वीप के बीच एक छोटी-सी नहर ही विभाजन रेखा का काम करती है, जिसे पुल से पार कर लिया जाता है। आपको पता ही नहीं लगता कि आप दूसरे द्वीप पर आ गए हैं। यहां मोटर गाडि़यों के बजाय कश्तियां चलती हैं, क्योंकि नहरें ही सड़कों का काम करती हैं। माना जाता है कि वेनिस का निर्माण रोमन सभ्यता के पतन के बाद हुआ था और समय के साथ वेनेशियन कला भी निखरती गई। यह पूरा शहर अपने लेगून के साथ 1987 में यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट्स में शामिल किया गया। पूरा वेनिस शहर सर्पाकार ग्रैंड केनाल के आसपास ही बसा हुआ है और यही इस शहर की जीवनरेखा है। ग्रैंड केनाल पर बना रियाल्टो ब्रिज वेनिस का एक दर्शनीय स्थल है। यहां प्रमुख है सेंट मार्क स्क्वायर। इसे नेपोलियन ने यूरोप का ड्राइंग रूम कहा था। इसी के पास सेंट मार्क बेसेलिका व डाज पैलेस हैं, जो वेनिस के पुरातत्व स्वरूप के प्रमाण हैं। इसके अलावा, वेनिस में सेंट मार्क स्कूल, फोनिक्स थियेटर, मेडोन्ना डेल ओर्टो चर्च, सेंट जॉन ऐंड पाल चर्च, गोंडोला बोटयार्ड के अलावा कई अन्य देखने लायक जगह हैं।

    कला, शिल्प का संगम

    वेनिस एड्रिआटिक सागर के उत्तर-पश्चिम की ओर एक छिछली झील (लगून) के बीच बसा है। यह लगून तकरीबन 51 किमी. लंबा और 14 किमी. चौड़ा है। एड्रिआटिक सागर के लगून में एक नहर बनी है, जो चार किमी. लंबी है। यह एक चौड़ी नदी-सी लगती है। इसके दोनों किनारों पर वेनेशियन शैली की भव्य ईमारतें और चर्च बने हैं। दुनियाभर के सैलानियों में वेनिस इतना लोकप्रिय है कि तीन लाख से कम आबादी वाले इस शहर में रोजाना कम से कम पचास हजार सैलानी होते ही हैं। अपनी कला, शिल्प, फैशन व संगीत के लिए भी वेनिस की दुनियाभर में पहचान है। यहां का 70 साल पुराना फिल्म फेस्टिवल एक जाना-माना इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल है। यहां हॉलीवुड की कई प्रसिद्ध फिल्मों की शूटिंग हुई है। उतना ही मशहूर यहां का थिएटर भी है। संगीत में भी इसका नाम रहा है और साहित्य में भी वेनिस का वर्णन विलियम शेक्सपीयर ने अपने प्रसिद्ध नाटक मर्चेंट ऑफ वेनिस में किया है। क्रिसमस पर यहां होने वाले कार्निवाल में दुनिया भर से तकरीबन तीस लाख लोग भाग लेने के लिए आते हैं। इसमें मुखौटे व रंग-बिरंगी पोशाकों में सज कर लोग भाग लेते हैं। वेनिसवासी कार्निवाल के दौरान किश्तियों को कई रंगों में रंग देते हैं। शहर भर में परेड निकलती है। कार्निवल में अलग-अलग तरह के मास्क होते हैं और दिलचस्प यह कि हर मास्क का अलग मतलब होता है।

    सेंट मार्क स्क्वायर पर चर्च ऑफ गोल्ड

    आठ सितंबर की वह रात सुहानी थी, जब हमने वेनिस में डिनर किया और नौ सितंबर के दिन में तपिश थी। तेज धूप बेहाल कर देने वाली थी, लेकिन वेनिस को देखने का रोमांच इस पर भारी था। पतली गलियों की ठंडक धूप से सुकून देने वाली थी। सेंट मार्क स्क्वायर और शहर में खुली जगह पर मौजूद रेस्तरांओं में खुली हवा में बैठने का इंतजाम रहता है ताकि कॉफी या आइसक्त्रीम के साथ चहल-पहल का लुत्फ भी मिले। कहीं-कहीं लाइव म्यूजिक भी रहता है, लेकिन बैठकर खाने के लिए अलग से यूरो देने पड़ते हैं। इसी चौक पर सेंट मार्क बेसिलिका है, जो वेनिस का सबसे भव्य चर्च है। बायजेंटाइन वास्तुशिल्प के इस अद्भुत उदाहरण में उत्कृष्ट सोने की कारीगरी मिलती है। इसलिए इसे चर्च ऑफ गोल्ड भी कहते हैं। चर्च के बायीं ओर स्थित मार्क्स क्लॉक टावर दर्शकों के आकर्षण का केंद्र है। इसी प्रकार चौक में 323 फीट ऊंचा एक बेल टावर और दो खूबसूरत कॉलम पर लॉयन ऑफ वेनिस की मूर्ति और हाथ में भाला लिए संत सेंट थियोडोर खड़े हैं। सेंट मार्क स्क्वायर के पास ही डाज पैलेस व कोरेर म्यूजियम हैं। वेनिस की खूबसूरती के बीच यह भी सच है कि यह सिटी ऑन वॉटर डूब रहा है। हर साल 0.8 से लेकर 1 मिलिमीटर तक समंदर में समा रहा है।

    महंगा है वेनिस में कुछ भी खरीदना

    वेनिस की गलियों में कांच के कलात्मक सामान बनाने की फैक्ट्रियां हैं। इन्हें बनाने का एक डेमो भी हमें दिखाया गया और फिर शोरूम में निहायत मंहगे 24 कैरेट सोने के काम से बने फूल दान, वाइन ग्लासेज, कॉफी सेट, ज्यूलरी और डेकोरेटिव गिफ्ट देखने को मिले। कोई भी चीज खरीदना पॉकेट से बाहर था। दरअसल, वेनिस का मुरानो द्वीप या वेनेशियन ग्लास दुनिया भर में मशहूर है। यहां के बने मुरानो बीड्स जो कांच के मनके होते हैं, भी विश्र्व प्रसिद्ध हैं। एक और द्वीप बुरानो में लेस और कढ़ाई का काम होता है। वैसे, तो इटली का हर शहर मंहगा है, लेकिन वेनिस यूरोप का सबसे महंगा शहर है और जब हम यूरो को रुपये में कनवर्ट करते हैं, तो वह और भी महंगा लगता है। एक छोटी-सी भी चीज का दाम पूछो तो पांच यूरो। मुख्य वेनिस में ही विंडो शॅपिंग के लिए कई दुकानें हैं, जहां टी-शर्ट ऑयल पेंटिंग्स, मूर्तियां व कई प्रकार के सोवेनियर गिफ्ट आइटम्स मिलते हैं। मजे की बात है कि इटली का अधिकतर खुदरा बाजार बंग्लादेश से आए लोगों ने संभाल रखा है। काफी अकड़ कर बात करते हैं वे। कई तो वहां सालों से रह रहे हैं। चाइनीज और भारत का काफी सामान वहां बिक रहा था। हमने तो खुद के लिए और अपने नजदीकी लोगों के लिए मुखौटे वाले सोवेनियर खरीदे जिन्हें चुंबक के जरिए फ्रिज पर लगाया जा सकता है। वेनिस में पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल का 1.50 यूरो देना पड़ सकता है। हां, अगर किसी रेस्टोरेंट से कॉफी लेंगे तो उनके टॉयलेट आप प्रयोग कर सकते हैं।

     

    यशा माथुर