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    भीड़ से दूर भारत की ये जगहें हैं सैर-सपाटे के लिए बेहतरीन, जानें इनके बारे में सबकुछ

    By Pravin KumarEdited By:
    Updated: Thu, 01 Jul 2021 09:20 PM (IST)

    इतिहासकारों की मानें तो छितकुल तिब्बत सीमा के किनारे भारत का अंतिम गांव है। यह गांव हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है। इस गांव में कई हिल स्टेशन हैं। आप यहां हिमालय का दीदार कर सकते हैं।

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    इतिहासकारों की मानें तो छितकुल तिब्बत सीमा के किनारे बसा भारत का अंतिम गांव है।

    नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। प्राचीन समय में भारत को विश्व गुरु का दर्जा प्राप्त था। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में शिक्षा स्थल का प्रमुख केंद्र भारत था। दुनियाभर से लोग भारत शिक्षार्थ हेतु आते थे। तत्कालीन समय में नालंदा विश्वविद्यालय इकलौता शिक्षा केंद्र था। आधुनिक समय में भी भारत अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। साथ ही भारत को शांति दूत माना और कहा जाता है। खासकर संयुक्त राष्ट्र संघ में तो भारत को शांति दूत कहकर पुकारा जाता है। भारत विविधताओं से भरा देश है, जिसकी सीमाएं कई देशों से जुड़ी हैं। इन सीमाओं के पास कई ऐसी जगह हैं, जिन्हें पीसफुल बॉर्डर कहा जाता है। अगर आप घूमने फिरने के शौकीन हैं और सुकून और शांति की तलाश में हैं, तो ये पीसफुल बॉर्डर आपके लिए परफेक्ट हैं। आइए जानते हैं-

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    छितकुल, हिमाचल प्रदेश

    इतिहासकारों की मानें तो छितकुल तिब्बत सीमा के किनारे बसा भारत का अंतिम गांव है। यह गांव हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है। इस गांव में कई हिल स्टेशन हैं। आप यहां हिमालय का दीदार कर सकते हैं। अगर आप शांति की तलाश में है, तो छितकुल गांव की जरूर सैर करें।

    मोरेह, मणिपुर

    मणिपुर में मोरेह म्यांमार से सटा हुआ है। पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र है। जीवन में एक बार मोरेह की खूबसूरती देखने जरूर जाएं। यहां का रहन-सहन, खानपान और बोलचाल म्यांमार की सीमा के किनारे बसे तामु शहर के समान है। यह खासियत दोनों देशों की सीमाओं को खत्म कर देती है।

    धनुषकोडी, तमिलनाडु

    आजादी से पूर्व धनुषकोडी अपनी खूबसूरती के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध था। हालांकि, साल 1964 में सुनामी के चलते धनुषकोडी पूरी तरह से बर्बाद हो गया। उस समय से यह शहर वीरान है। श्रीलंका से धनुषकोडी की दूरी महज 20 किलोमीटर है। अगर आप शांतिपूर्वक सैर सपाटे का आनंद उठाना चाहते हैं, तो धनुषकोडी की यात्रा जरूर करें।