सावन के रिमझिम बारिश में घूमने का करें मन तो कहां जाएं
सावन की रिमझिम बरसात हो, और सफर में साजन का साथ हो तो कहां जाया जाए। आपका भी मन होगा कि इस सुहाने मौसम में रिमझिम-रिमझिम करती बारिश की बूंदों का मजा किसी ऐसी जगह पर जाकर लें, जहां कुदरत की सबसे ज्यादा मिठास हो। यहां हम आपको ऐसे मानसून
सावन की रिमझिम बरसात हो, और सफर में साजन का साथ हो तो कहां जाया जाए। आपका भी मन होगा कि इस सुहाने मौसम में रिमझिम-रिमझिम करती बारिश की बूंदों का मजा किसी ऐसी जगह पर जाकर लें, जहां कुदरत की सबसे ज्यादा मिठास हो। यहां हम आपको ऐसे मानसून ट्रेवल डेस्टिनेशन बताने जा रहे हैं, जहां जाकर आपको अच्छा अनुभव प्राप्त होगा। बरसात में घुमने के लिए इससे अच्छी जगह नहीं हो सकती।
चेरापूंजी
बात बारिश की हो और चेरापूंजी का नाम न उठे, हो ही नहीं सकता। भारत का सौभाग्य है कि दुनिया में सर्वाधिक बारिश वाला क्षेत्र चेरापूंजी उसकी धरती पर बसा है। बारिश की राजधानी के रूप में मशहूर चेरापूंजी समुद्र से लगभग 1300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो मेघालय की राजधानी शिलांग से 60 किलोमीटर की दूरी पर है।चेरापूंजी को सोहरा के नाम से भी जाना जाता है। यहां औसत वर्षा 10,000 मिलीमीटर होती है। वर्षा ऋतु में दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं। हरियाली से सजी चेरापूंजी की पहाड़ियां बरबस ही लोगों को अपनी ओर खींच लेती हैं।जब बारिश होती है तो बसंत अपने शबाब पर होता है। ऊंचाई से गिरते पानी के फव्वारे, कुहासे के समान मेघों को देखने का अपना अलग ही अनुभव है। यहां के स्थानीय निवासियों को बसंत का बड़ी शिद्धत से इंतजार होता है।चेरापूंजी में खासी जनजाति के लोग मानसून का स्वागत अलग ही अंदाज में करते हैं। मेघों को लुभाने के लिए लोक गीत और लोक नृत्यों का आयोजन किया जाता है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान। वर्ष में अस्सी इंच बारिश?
विश्व में सबसे अधिक बारिश के कारण पहचाना जाने वाला यह स्थान समुद्र तट से 1300 मीटर की ऊंचाई पर है। अधिक वर्षा के कारण ही अनेक झरनों नदियों और वनस्पतियों ने इसे सजाया है। यहां की खासी जाति का मुख्य व्यवसाय इन्हीं जंगलों और नदियों की उपज है। मांस, मछली और वन की उपज नटस, अनानास बांस, अन्य जडी-बूटियां इनकी जीविका हैं। ये लोग सौंदर्य प्रेमी होते हैं।
लद्दाख
प्रकृति ने धरती पर लद्दाख को बेमिसाल खूबसूरती बख्शी है। यहां जाने वाला हर कोई यहां की सुंदर वादियों से यह वादा करके वापस जाता है कि वह दोबारा फिर लद्दाख व लेह आएगा। सिंधु नदी के किनारे बसे लद्दाख की सुंदर झीलें, आसमान को छूती पहाड़ की चोटियां व मनमोहक मठ हर किसी को सम्मोहित करते हैं। मानसून के मौसम में इन जगहों का आकर्षण और ज्यादा बढ़ जाता है। अगर आप लद्दाख जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपके लिए जून से अक्टूबर का महीना सही होगा।
धरती पर रहकर स्वर्ग के दर्शन करने हों तो लेह से बेहतर जगह शायद ही दूसरी हो। हिमालय की हसीन वादियों में बसे लेह के आकर्षण में हजारों पर्यटक खीचे चले आते हैं। सुंदरता से परिपूर्ण लेह में रूईनुमा बादल इतने नजदीक होते हैं कि लगता है जैसे हाथ बढाकर उनका स्पर्श किया जा सकता है। गगन चुंबी पर्वतों पर ट्रैकिंग का यहां अपना ही मजा है। लेह में पर्वत और नदियों के अलावा भी कई ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं। यहां बड़ी संख्या में खूबसूरत बौद्ध मठ हैं जिनमें बहुत से बौद्ध भिक्षु रहतें हैं। इंडस नदी के किनारे बसा लद्दाख अनोखा और प्रकृति की अनमोल खजाने से भरपूर है। यहाँ के सुंदर नज़ारे आँखों को सुकून देंगे। सुंदर झीलें, पहाड़ की चोटियाँ, आकर्षक मठ मन को सम्मोहित कर लेंगे।
मेघालय
यदि आपको बारिश की फुहारें पसंद हैं तो आपके लिए मेघालय से अच्छी कोई जगह हो ही नही सकती। लगभग पूरे साल वर्षा होने की वजह से इस जगह को हम 'बादलों का निवास स्थान' भी कहते हैं। पृथ्वी के जहां सबसे ज्यादा नमी है तो वह मेघालय का चेरापुंजी है। जिसके नाम को सुनकर ही कई सैलानी इस खूबसूरत प्रदेश की ओर रुख करते रहे हैं। यहां के पेड़-पौधों व पुराने ब्रिजों पर टपकती बारिश की बूंदें आपका मन मोह लेगी।
मेघालय की राजधानी शिलांग मे कई रमणीक स्थान हैं l जिनमें वार्ड लेक, लेडी हैदरी पार्क, पोलो ग्राउंड, मिनी चिडियाघर, एलीफेंट फॉल्स और शिलांग चोटी प्रमुख हैं l शिलांग चोटी से पूरे शहर का सुन्दर नजारा दिखाई देता है l यहां का गोल्फ कोर्स देश के बेहतरीन गोल्फ कोर्सों में से एक माना जाता है l नांगरिवलम तथा सीजू प्रमुख वन्य प्राणी विहार हैं l राष्ट्रीय उद्यान 220 वर्ग किमी. में बना दक्षिणी गारो हिल्स स्थित बलफाक्रम राष्ट्रीय उद्यान 47.48 वर्ग में फैला पूर्वी, पश्चिमी तथा दक्षिणी गारो हिल्स स्थित नोक्रेक राष्ट्रीय उद्यान यहां के दो प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान हैं l प्रमुख पर्व और मेले पांच दिन तक मनाया जाने वाला ‘का पाबंलांग-नोंगक्रेम’ खासियों का एक प्रमुख धार्मिक पर्व है l शाद मिनसीम, बेहदीनखलम, वांगला, यहां के अलग अलग आदिवासियों के महत्वपूर्ण त्योहार हैं।
गोवा
गोवा भारत का एक ऐसा टूरिस्ट स्पॉट है, जहां बारह महीने हलचल रहती है। यहां के समुद्री बीच और भव्य दृश्य हर तरह के सैलानियों को लुभाते हैं। ऐसे मौसम में यहां के गिरजाघरों की सुंदरता और ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आप इस मौसम में गोवा जाने का प्लान बना रहे हैं तो आप वहां के वाइब्रेंट मानसून फेस्टिवल का भी मजा ले सकते हैं। गोवा एक छोटा-सा राज्य है। यह स्थान शांतिप्रिय पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को बहुत भाता है गोवा में पर्यटकों की भीड़ सबसे अधिक गर्मियों के महीनें में होती है। जब यह भीड़ समाप्त हो जाती है तब यहां शुरू होता है ऐसे सैलानियों के आने का सिलसिला जो यहां मानसून का लुत्फ उठाना चाहते हैं। वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति गोवा को कुछ ऐसा ही अलग, लेकिन अदभुत स्वरूप प्रदान करती है। यहां छोटे-बड़े लगभग 40 समुद्री तट है। इनमें से कुछ समुद्र तट अंर्तराष्ट्रीय स्तर के हैं। इसी कारण गोवा की विश्व पर्यटन मानचित्र के पटल पर अपनी एक अलग पहचान है।
यहां पर्यटक गोवा में मानसून की बौछारों के बीच मस्त माहौल का आनंद बटोरने का साहस करते हैं। वैसे गोवा भी मानसून प्रेमी सैलानियों का स्वागत बांहें पसारे करता है। इसका उदाहरण है वहां के होटलों और टूर ऑपरटरों द्वारा दिया जाने वाला डिस्कांउट। जब मानसून सीजन में भूस्खलन के डर से पहाड़ी स्थलों पर पर्यटकों की आवाजाही बंद सी हो जाती है तो ज्यादातर पर्यटक गोवा जैसे स्थानों का रुख करते है।
केरल
नदियों व पर्वत-पहाड़ियों से घिरा हुआ एक अनोखा पर्यटन स्थल केरल हमेशा ही सैलानियों को अपनी और खींचता रहा है। वर्षा ऋतु के समय इस जगह का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। केरल में मानसून सीजन को ड्रीम सीजन के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट के लिए बड़ी संख्या में सैलानी इसी मौसम को चुनते हैं, क्योंकि इस समय बॉडी को उपयुक्त वातावरण मिलता है। ऐसे मौसम में आप वहां जाते हैं तो आपको आकर्षक ऑफर भी मिलेंगे।
जन्नत सरीखी इस जगह के अनुभव किसी को भी ताउम्र याद रहेंगे। समंदर का जो रूप केरल में है वह शायद हिंदुस्तान के किसी हिस्से में ना हो। हरियाली ऐसी कि पहाड़ों को भी मात दे जाए। यहां के लोग भले ही हिंदी-अंग्रेजी कम समझें पर उनकी मेहमान नवाजी यह अहसास नहीं होने देगी कि आप घर से बाहर हैं। बस, सिर्फ थोड़ी योजना पहले बना लें, फिर देखिए विदेशों की सैर का अनुभव भी इन यादगार लम्हों के सामने फीका पड़ जाएगा।
कब व कैसे: यूं तो पूरे साल केरल जाया जा सकता है। यहां तापमान में थोड़ा सा ही फेरबदल है। गर्मियों में यहां तापमान 24 -33 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। बस उमस थोड़ा ज्यादा होती है। सर्दियों में 22 से 32 डिग्री सेल्सियस और वर्षा ऋतु में 22 से 28 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होता है। पहनावा सूती ही रखना बेहतर होगा। सर पर टोपी और धूप का चश्मा और सन स्क्रीन लोशन के साथ घूमने जाएं तो आरामदायक रहेगा। त्रिवेंद्रम के लिए देश के हर प्रमुख शहर से रेल सेवा है। पूर्व योजना हो तो हवाई जहाज से भी जाना ज्यादा खर्चीला नहीं।