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    नेचर, एडवेंचर और धार्मिक यात्राओं का एक साथ लें मजा, तेनी में बसी इन खूबसूरत जगह आकर

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Thu, 19 Dec 2019 09:38 AM (IST)

    तमिलनाडु की बहुत ही खूबसूरत जगह है तेनी जहां प्रकृति ऐसी महरबान रहती है कि साल में कभी भी आएं रोमांच का मजा हमेशा उतना ही रहता है। तो जानेंगे यहां बसी खूबसूरत जगहों के बारे में।

    नेचर, एडवेंचर और धार्मिक यात्राओं का एक साथ लें मजा, तेनी में बसी इन खूबसूरत जगह आकर

    तमिलनाडु का मौसम इन दिनों घूमने के लिए है बहुत ही बेहतरीन। जहां एक या दो नहीं, ऐसी कई जगहें हैं जो आपके वेकेशन को बना देंगे हमेशा के लिए यादगार। उन्हीं में से एक है तेनी। जहां आकर आप प्रकृति, रोमांच और धार्मिक यात्राओं का एक साथ ले सकते हैं मजा। यहां के जल्लीकट्टू को देखने का तो रोमांच ही अलग होता है। तो इस बार न्यू ईयर में यहां आने का बनाएं प्लान और मिस न करें यहां बसी इन जगहों की खूबसूरती को यादों के साथ अपने कैमरे में कैद करना। 

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    मेघमलाई का आकर्षण

    पश्चिमी घाट की पहाडि़यों में बसे इस स्वर्ग को देखकर यही कहा जा सकता है कि दुनिया में ऐसी जगहें अभी भी बची हैं जहां जाने पर अनछूए सौंदर्य को महसूस किया जा सकता है। जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर यहां आकर आप उस कल्पनालोक को जीते हैं जिसे बस ख्वाब में देखा गया हो। यहां के ट्रैक और दिल फरेब नजारे रोजाना की भागदौड़ भरी जिंदगी से दूर एक सुकून का खजाना देती है। पश्चिमी घाट की वरुशनाड श्रृंखला की इन पहाडि़यों को स्थानीय लोग मेघमलाई के नाम से पुकारते हैं। समुद्र तल से पंद्रह सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थल पश्चिमी घाट पहाडि़यों की चिर परिचित हरियाली से आच्छादित है और यही कारण है कि इसे तमिल में 'पच्चा कुमाची' कहा गया है, जिसे हिन्दी में 'हरी चोटी' कह सकते हैं। हाल तक यह इलाका प्राइवेट चाय और कॉफी बागान मालिकों को ही समर्पित था और आम लोग नहीं जा सकते थे लेकिन अब जाकर हालात बदले हैं। सरकार ने यह खूबसूरत स्थल आम लोगों के लिए भी खोल दिया है। मेघमलाई में कई तरह के अनोखे पक्षी मिलते हैं जिनमें सदर्ण हिल मैना, एमराल्ड डक आदि प्रमुख हैं।

    गोल घुमाव और पवन चक्कियां

    तेनी का जिक्र हो और यहां के हेयर पिन्स व पवन चक्कियों की बात न हो तो कोई भी चर्चा अधूरी है। तेनी जब भी आयें तो केरल की ओर से आयें। ऐसा इसलिए कि ऊंचे पहाड़ी रास्ते से नीचे तक लाने वाली सड़क अपने घुमावदार मोड़ों और अद्वितीय सौन्दर्य से आपको बांध कर रख लेगी। ये घुमाव अंग्रेजी में 'हेयर पिन' कहलाते हैं। हरेक घुमाव के बाद पहाड़ से लिपटी सड़क क्रमश: नीचे उतरती जाती है। उन्हीं क्षणों में प्राचीन काल के लोगों द्वारा की गयी आरंभिक यात्राएं याद आती हैं जिनसे प्रेरित होकर उस रास्ते को बनाया गया होगा। ऊपर से नीचे आती सड़क जब पहाड़ को छोडकर मैदान से मिलती है तो बड़े-बड़े खेत नजर आते हैं। उन्हीं के पीछे नजर आती हैं बिजली पैदा करने वाली ऊंची ऊंची पवन चक्कियां। हल्की बारिश वाले दिनों में चारों ओर पसरी हरियाली के बीच प्यारी हवा में खरामा खरामा घूमती ये पवन चक्कियां रोमांटिक वातावरण का निर्माण करती हैं। तेनी की सड़क के दोनों ओर खड़े नारियल के खेतों के ऊपर ये भारी मशीन सपनों की दुनियां में लेकर जाते हैं।

    कैलास मंदिर

    प्राकृतिक खूबसूरती में इतिहास का संगम देखना हो तो यहां जरूर आना चाहिए। यहां चट्टानों को काटकर बहुत सी गुफाएं बनायी गयी हैं जो निश्चित रूप से धार्मिक उद्देश्य से बनायी गयी थी। इनकी ऐतिहासिकता ग्यारहवीं सदी की ठहरती है। यह दक्षिण भारत के प्रसिद्ध गुफा मंदिर की शैली की ही बनावट लगती है। इनमें सबसे प्रसिद्ध गुहा मंदिर है कैलाशनाथ का मंदिर। इसके पास से भी एक धारा बहती है जिसके पानी में रोगों को नाश करने की क्षमता मानी जाती है ।

    गौरी अम्मा मंदिर

    गौरी को समर्पित यह मंदिर स्थानीय उपासकों में काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर की ऐतिहासिक उपस्थिति चौदहवीं शताब्दी तक जाती है जब पाण्ड्य वंश के शासक वीरापंडी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि किसी कारणवश राजा की दृष्टि चली गयी थी फिर उसने भक्ति भाव से गौरी अम्मान की खूब उपासना की। लंबी साधना के उपरांत उनकी दृष्टि वापस लौट आयी। तेनी से यहां तक की दूरी आठ किलोमीटर है जो लगातार चलने वाली बसों के माध्यम से बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।

    कुरंगनी टॉप स्टेशन में ट्रेकिंग

    ट्रेकिंग के शौकीन लोगों के लिए तेनी से लगभग 30 किलोमीटर स्थित यह स्थल सबसे उपयुक्त है। पश्चिमी घाट पहाडि़यों में लगभग साढ़े छह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह जगह अपने स्थानीय मसालों के लिए प्रसिद्ध है। तमिलनाडु सरकार यहां इको टूरिज्म व स्पाइस टूरिज्म को बढ़ावा दे रही है। यहां के टॉप स्टेशन पर आकर आसपास को देखना अपने आप में अनूठा अनुभव होता है। यहां काफी वर्षा होती है इसलिए मानसून के बाद का समय उपयुक्त रहता है। यह स्थल अपनी जैव विविधता के लिए विख्यात है।