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    घूमने के अलावा अगर रखते हैं खाने का भी शौक, तो लेह-लद्दाख के इन जायकों को जरूर करें ट्राय

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Tue, 17 Sep 2019 03:14 PM (IST)

    राग्वेदा बाल्टी करी कहवा और हाक हैं लेह-लद्दाख के खास जायके जिन्हें एक बार चखने के बाद भूल नहीं पाएंगे आप। इनके अलावा और किन जायकों के लिए मशहूर है यह जगह जानेंगे यहां...

    घूमने के अलावा अगर रखते हैं खाने का भी शौक, तो लेह-लद्दाख के इन जायकों को जरूर करें ट्राय

    हर साल दूर-दूर से सैलानियों की तादाद लेह की अद्भुत खूबसूरती को निहारने आती है। रंग-बिरंगे पहाड़, साफ-सुथरी सड़कें और ऊपर नीला आसमान, देखकर ऐसा लगता है जैसे फिल्म का कोई लोकेशन है। पिछले कुछ सालों में लेह में आने वालों पर्यटकों की संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है, लेकिन यहां के मनलुभावन खूबसूरती के अलावा कुछ और भी है जो आपको बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेगी और वो है यहां का खानपान।

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    लेह और श्रीनगर के ठीक बीच में स्थित होने का कारण कारगिल रहन-सहन से लेकर खान-पान तक कश्मीरी और तिब्बती-लद्दाखी संस्कृति का अद्भुत संगम है। कारगिल में राग्वेदा बहुत खाया जाता है। राग्वेदा मांस और मसालों का मिश्रण है। ज्यादातर राग्वेदा बहुत मसालेदार होता है। एक और बहुत जाना-माना भोजन है बाल्टी करी। यह तरह-तरह की करी से बनाया जाता है, जैसे कि कोकोनट, ब्रोवेन, मसालेदार करी आदि। दरअसल, यहां के लोग ज्यादातर मांसाहारी होते हैं, इसलिए ये दो भोजन यहां काफी लोकप्रिय हैं।

    लाजवाब है कश्मीरी स्वाद

    यहां आप कश्मीरी स्वाद का आनंद ले सकते हैं, जिसमें दही का तरी में खूब प्रयोग होता है। व्यंजनों में खुशबू के लिए हींग का भी इस्तेमाल किया जाता है। कुछ व्यंजनों में तीखापन लाने के लिए मिर्च का इस्तेमाल न करके सूखे अदरक (सोंठ) को ही प्रयोग में लाया जाता है।

    घी है खानपान का खास हिस्सा

    ठंडी जगह होने के कारण और शरीर में गर्मी बनाए रखने के लिए यहां के खाने में घी का प्रयोग काफी मात्रा में किया जाता है, पर कभी-कभी सरसों के तेल का भी इस्तेमाल होता है। वहां मोटे पत्तों वाली एक हरी सब्जी पैदा होती है, जिसे 'हाक' कहते हैं। पत्ते वाली यह सब्जी यहां पूरे साल मिलती है और इसका साग यहां काफी लोकप्रिय है।

    गुहची

    गुहची नाम के मशरूम यहां उगाए जाते हैं और गर्मियों में उन्हें ताजा-ताजा खाने का रिवाज है। कारगिल की चाय खुशबूदार हरी पत्तियों वाली होती है, जिसे कहवा कहते हैं, जिसे समोवार में परोसा जाता है। समोवार धातु से बनी बड़ी केतली होती है। घाटी में उपजाए जाने वाले फल और मेवे खूब इस्तेमाल किए जाते हैं।

    तिब्बती स्वाद का भी ले सकते हैं मजा

    इन कश्मीरी व्यंजनों के अलावा, तिब्बती-बौद्ध समावेश के चलते आप कारगिल में तिब्बती खाने का भी स्वाद ले सकते हैं। इसमें याक के दूध की क्त्रीम से बनने वाले मक्खन की चाय जरूर चखें। इसकी खुशबू काफी अलग होती है। यह आमतौर पर रेस्टोरेंट्स में नहीं मिलती, पर यहां घरेलू खाने का अहम हिस्सा होती है। इसका रंग गुलाबी और स्वाद थोड़ा-सा नमकीन होता है। इसके अलावा, आप यहां थुक्पा, खमीर का भी आनंद ले सकते हैं। खमीर एक मोटी परत की भूरे रंग की रोटी होती है, जिसे थुक्पा और मक्खन चाय के साथ परोसा जाता है।