Move to Jagran APP

नर्मदा नदी में मांधाता द्वीप पर स्थित है ओंकारेश्वर मंदिर

भगवान भोले शंकर के ज्योतिर्लिगों के सफर में आज हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर की। यह मंदिर नर्मदा नदी में मांधाता द्वीप पर स्थित एक मनोरम स्थान पर है। ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिग शिव के बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है। यह स्थान प्राचीन काल से ही तीर्थस्थल के रूप में प्रख्यात है। इसके आसपास अनेक छोटे

By Edited By: Published: Thu, 01 Aug 2013 12:59 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
नर्मदा नदी में मांधाता द्वीप पर स्थित है ओंकारेश्वर मंदिर
नर्मदा नदी में मांधाता द्वीप पर स्थित है ओंकारेश्वर मंदिर

भगवान भोले शंकर के ज्योतिर्लिगों के सफर में आज हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर की। यह मंदिर नर्मदा नदी में मांधाता द्वीप पर स्थित एक मनोरम स्थान पर है। ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिग शिव के बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है। यह स्थान प्राचीन काल से ही तीर्थस्थल के रूप में प्रख्यात है। इसके आसपास अनेक छोटे-मोटे तीर्थस्थल हैं। द्वीप का आकार ॐ अक्षर की तरह है, इसलिए इसका नाम ओंकारेश्वर पड़ा। ऐसी मान्यता है कि ओंकारेश्वर में स्थापित लिंग किसी मनुष्य के द्वारा गढ़ा, तराशा लिंग नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक शिवलिंग है। मंदिर में ओंकार शिव लिंग एक तरफ है तथा दूसरी तरफ पार्वती जी तथा गणेश जी की मूर्तियां हैं। शिवलिंग चारो ओर हमेशा जल से भरा रहता है।
ओंकारेश्वर मंदिर पूर्वी निमाड़ (खंडवा) जिले में नर्मदा के दाहिने तट पर स्थित है जबकि बाएं तट पर ममलेश्वर है जिसे कुछ लोग असली प्राचीन ज्योतिर्लिग बताते हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि रात को शंकर, पार्वती व अन्य देवता यहां चौपड-पासे खेलने आते हैं। इसे अपनी आंखों से देखने के लिए स्वतन्त्रता पूर्व एक अंग्रेज यहां छुप गया था, लेकिन सुबह को वो मृत मिला। यह भी कहा जाता है कि शिवलिंग के नीचे हर समय नर्मदा का जल बहता है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी तीर्थयात्री देश के भले ही सारे तीर्थ कर ले किन्तु जब तक वह ओंकारेश्वर आकर किए गए तीर्थो का जल लाकर यहां नहीं चढ़ाता उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं।

कथा
ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिग को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार एक बार नारद ऋषि विन्ध्य पर्वत पहुंचे। विन्ध्य पर्वत अपनी अभिमान से भरी बातें नारद को सुनाने लगा। तभी नारद ने विन्ध्याचल को बताया कि तुम्हारे पास सब कुछ है, किन्तु मेरू पर्वत तुमसे बहुत ऊंचा है। यह बात सुनकर विन्ध्य पर्वत को काफी दुख हुआ। विन्ध्य पर्वत को इस बात से जलन थी कि वह मेरू पर्वत से ऊंचा क्यों नहीं है। वह भगवान शंकर जी की शरण में चला गया जहां पर साक्षात ओंकार विद्यमान हैं। उस स्थान पर पहुंचकर उसने प्रसन्नता और प्रेमपूर्वक शिव की पार्थिव मूर्ति (मिट्टी की शिवलिंग) बनाई और छ: महीने तक लगातार उसके पूजन में तन्मय रहा। उसकी कठोर तपस्या को देखकर भगवान शंकर उससे प्रसन्न हो गए। उन्होंने विन्ध्य को अपना दिव्य स्वरूप प्रकट कर दिखाया, जिसका दर्शन बड़े-बड़े योगियों के लिए भी अत्यन्त दुर्लभ होता है। भगवान शिव ने विन्ध्य को कार्य की सिद्धि करने वाली वह अभीष्ट बुद्धि प्रदान की और कहा कि तुम जिस प्रकार का काम करना चाहो, वैसा कर सकते हो। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।
भगवान शिव ने जब विन्ध्य को उत्तम वर दे दिया, उसी समय देवगण तथा शुद्ध बुद्धि और निर्मल चित्त वाले कुछ ऋषिगण भी वहां आ गए। उन्होंने भी भगवान शंकर जी की विधिवत पूजा की और उनकी स्तुति करने के बाद उनसे कहा - 'प्रभो! आप हमेशा के लिए यहां स्थिर होकर निवास करें। देवताओं की बात से महेश्वर भगवान शिव को बड़ी प्रसन्नता हुई। लोकों को सुख पहुंचाने वाले परमेश्वर शिव ने उन ऋषियों तथा देवताओं की बात को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार कर लिया। वहां स्थित एक ही ओंकारलिंग दो स्वरूपों में विभक्त हो गया। प्रणव के अन्तर्गत जो सदाशिव विद्यमान हुए, उन्हें 'ओंकार' नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार पार्थिव मूर्ति में जो ज्योति प्रतिष्ठित हुई थी, वह 'परमेश्वर लिंग' के नाम से विख्यात हुई। परमेश्वर लिंग को ही 'अमलेश्वर' भी कहा जाता है।

यहां भी जाएं
अगर आप ओंकारेश्वर जा रहे हैं तो आपको अन्धकेश्वर, झुमेश्वर, नवग्रहेश्वर नाम से भी बहुत से शिवलिंगों के दर्शनों का अवसर मिलेगा। यहां अविमुक्तेश्वर, महात्मा दरियाईनाथ की गद्दी, श्री बटुकभैरव, मंगलेश्वर, नागचन्द्रेश्वर, दत्तात्रेय तथा काले-गोरे भैरव भी प्रमुख दर्शनस्थल हैं।

कैसे पहुंचें
अगर आप हवाई यात्रा से ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचना चाहते हैं तो ओंकारेश्वर से 77 किलोमीटर की दूरी इंदौर हवाई अड्डा है। यहां से आप बस या टैक्सी के जरिए मंदिर तक पहुंच सकते हैं। वैसे इंदौर के अलावा 133 किलोमीटर की दूरी पर उज्जैन हवाई अड्डा भी है। आप यहां से भी असानी से ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।
अगर आप रेल से इस ज्योतिर्लिग का दर्शन करना चाहते हैं तो यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन रतलाम-इंदौर-खंडवा लाइन पर स्थित ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन है जहां से मंदिर की दूरी मात्र 12 किमी की है। वैसे सड़क मार्ग से भी आप ओंकारेश्वर मंदिर पहुंच सकते हैं। राज्य परिवहन निगम की बसें यहां तक चलाई जाती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.