Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Holi 2019: होली के हुडदंग से है बचने और छुट्टियों को एन्जॉय करने के लिए इन जगहों का करें प्लान

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Tue, 19 Mar 2019 11:06 AM (IST)

    Holi 2019 कई सारे लोगों को होली पसंद नहीं होती तो क्यों न होली की छुट्टियों को घर बैठकर बिताने से अच्छा कहीं घूमकर आएं। तो किन जगहों का कर सकते हैं प्लान आइए जानते हैं इनके बारे में।

    Holi 2019: होली के हुडदंग से है बचने और छुट्टियों को एन्जॉय करने के लिए इन जगहों का करें प्लान

    अगर आप उन गिने-चुने लोगों में से हैं जिन्हें होली का हुडदंग कुछ खास पसंद नहीं साथ ही रंगों से भी एलर्जी है तो होली की छुट्टी में घर बैठकर बोर होने से अच्छा है कहीं ऐसी जगह घूमने का प्लान करें जहां आप सुकून से 2-3 दिन बिता सकें। क्योंकि होली का फेस्टिवल वृहस्पतिवार को है तो शुक्रवार की एक छुट्टी लेकर वीकेंड काफी है जब आप आराम से कहीं जाकर रिफ्रेश हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं ऐसी जगहों के बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    थोलपेटी वाइल्डलाइफ सेंचुअरी, केरल

    केरल के वायनाड की इस सेंचुअरी आकर आप जंगली बिल्ली, बिसन, टाइगर से लेकर झुंड में बच्चों के साथ चलते हाथियों के विशाल समूह तक को देख सकते हैं। लगभग 900 हाथियों का घर है यह सेंचुअरी। हरे-भरे जंगलों, झील के किनारे पानी पीते जंगली जानवर जैसे आसपास के खूबसूरत नज़ारे आपको कहीं भी बोर नहीं होने देंगे। 344,44 स्क्वेयर किमी में फैले इस सेंचुअरी को और खूबसूरत बनाती हैं रंग-बिरंगी तितलियां। सेंचुअरी में लुप्तप्राय पेड़-पौधों के अलावा जीव-जन्तुओं की भी अच्छी-खासी संख्या मौजूद है।   

    लाचुंग, सिक्किम

    नार्थ ईस्ट की हर एक जगह इतनी खूबसूरत और रहस्यमयी है जिसे देखने और घूमने के लिए 4 से 5 दिन का समय काफी नहीं लेकिन किसी नई जगह को एक्सप्लोर करने का सोच रहे हैं तो लाचुंग का ऑप्शन बेस्ट है। बर्फ से ढके पहाड़, मोनेस्ट्री और घर देखकर ऐसा लगता है जैसे आप भारत से कहीं बाहर घूम रहे हैं। समुद्र तल से 8600 फीट की ऊंचाई पर स्थित लाचुंग तिब्बत बॉर्डर के नज़दीक है और ट्रैवल के शौकीनों की लिस्ट में टॉप पर रहता है। लाचुंग के आसपास यमथांग वैली और जीरो जैसी और भी कई जगहें हैं जिन्हें आप इस दौरान कवर कर सकते हैं। तो सोचना क्या तुरंत बुक करें अपनी फ्लाइट। 

    थट्टेकड बर्ड सेंचुअरी

    समृद्ध जैव विविधता प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉक्टर सलीम अली के नाम पर यहां सलीम अली बर्ड सेंचुअरी है। लगभग 25 वर्ग किलोमीटर में फैले इस पक्षी विहार की स्थापना साल 1983 में हुई थी। जहां लगभग 250 प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं। इनमें एमराल्ड डव, सदर्न हिल मैना, हॉर्नबिल, कई प्रकार की किंगफिशर, बुलबुल, कोयल, ड्रोंगो, महालत और कई तरह के कैरेबियन पक्षी प्रमुख हैं। थट्टेकड भारत के सबसे समृद्धतम जैव विविधता वाले स्थानों में से है। 

    चंद्रताल 

    हैम्पटा पास कुल्लू और लाहुल की घाटियों को जोड़ता है। हैम्पटा पास और चंद्रताल की यात्रा के लिए पांच दिन का समय काफी है। जिससे वहां के मौसम, ऊंचे पहाड़ों और नेचुरल ब्यूटी का सही मायने में आनंद लिया जा सकता है। 14,000 फीट की ऊंचाई से नेचुरल ब्यूटी को देखने का अलग ही एक्सपीरिएंस है। हैम्पटा पास के 26 किमी के ट्रैक पर चारों ओर बर्फ से ढंके पहाड़, हरे-भरे जंगल और कल-कल करती नदियों को देखते रास्ता आसानी से कट जाता है।

    अंडरेट्टा  

    दो दिनों की छुट्टी में उत्तराखंड और हिमाचल को ही एक्सप्लोर करना आसान है। जहां नेचर के साथ-साथ एडवेंचर और रिलैक्सिंग हर एक चीज़ के लिए ऑप्शन्स मौजूद हैं। हिमाचल में तो इतनी ज्यादा खूबसूरत जगहें हैं जहां के बारे में बहुत कम जानकारी इंटरनेट पर अवेलेबल है और इसी वजह से ये टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स की लिस्ट में भी अभी शिमला, मनाली और लेह जैसी जगह नहीं बना पाएं हैं। तो ऐसी ही ऑफबीट जगह है अंडरेट्टा। जो खूबसूरती के अलावा अपनी कला के लिए खासौतर से जाना जाता है। अंडरेट्टा खासतौर से नोरा सेंटर फॉर आर्ट, अंडरेट्टा पॉटरी एंड क्रॉफ्ट सोसाइटी, नोरा मड हाउस और सर शोभा सिंह आर्ट गैलरी के लिए मशहूर है।

    कन्याकुमारी

    तीन ओर से समुद्र से घिरे तमिलनाडु के कन्याकुमारी का सौंदर्य मन को शीतल एहसास से भर देता है। बीच पर फैली रंग-बिरंगी रेत दूर से ही अपनी ओर खींचती है। चारों ओर प्रकृति और आस्था के अनंत रूप बिखरे हुए हैं यहां। देश के दो छोरों पर स्थित ये इलाके न केवल कुदरती सौंदर्य, बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी अव्वल रहे हैं। कन्याकुमारी को अक्सर धार्मिक स्थल के रूप में मान्यता दी जाती है लेकिन यह शहर आस्था के अलावा कला व संस्कृति का भी प्रतीक रहा है। तीन समुद्रों हिंद महासागर, अरब सागर, बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित यह शहर 'एलेक्जेंड्रिया ऑफ ईस्ट' भी कहा जाता है। दूर-दूर फैले समंदर की विशाल लहरों के बीच आपको यहां जो सबसे अधिक लुभा सकता है वह है यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा। चारों ओर प्रकृति के अनंत स्वरूप को देखकर ऐसा लगता है मानो पूर्व में सभ्यता की शुरुआत यहीं से हुई थी।