Manimahesh Yatra 2024: शुरू हो चुकी है हिमाचल स्थित मणिमहेश की यात्रा, वीकेंड में बना लें यहां का प्लान
हिमाचल प्रदेश में होने वाली प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा शुरू हो चुकी है। जन्माष्टमी से राधाअष्टमी तक चलने वाली इस यात्रा के लिए हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस बार यह यात्रा 11 सितंबर को खत्म होगी। हालांकि यह यात्रा आसान नहीं होती इसलिए यात्रा से पहले और यात्रा के दौरान प्रशासन की ओर से कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किए जाते हैं जिसका पालन करना जरूरी है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर ठिकानों में हिमाचल प्रदेश एक अलग ही स्थान रखता है। ये जगह नेचर से लेकर एडवेंचर लवर्स, रिलैक्सिंग वीकेंड मनाने वाले, धार्मिक यात्राओं के शौकीन मतलब हर तरह के ट्रैवलर्स के लिए बेहतरीन है। दिल्ली और इसके आसपास रहने वालों के लिए तो हिमाचल प्रदेश बेस्ट वीकेंड गेटवे है। वैसे तो मानसून छोड़कर आप कभी भी यहां आने की प्लानिंग कर सकते हैं, लेकिन यहां एक ऐसी जगह है, जिसे घूमने के लिए जन्माष्टमी से लेकर राधाअष्टमी तक का समय बेस्ट होता है और वो है मणिमहेश लेक।
मणिमहेश लेक को डल लेक के नाम से भी जाना जाता है। इस झील की खूबसूरती का अंदाजा आपको यहां आकर ही लगेगा। हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर मणिमहेश लेक की यात्रा का आयोजन किया जाता है, जो इस साल ये 26 अगस्त से शुरू हो चुकी है।
कब से कब तक चलेगी यह यात्रा?
हिमाचल प्रदेश में बसे मणिमहेश की यह यात्रा 26 अगस्त से शुरू हो चुकी है, जो 11 सितंबर तक चलेगी। आप इस दौरान कभी भी इसका प्लान बना सकते हैं।
शिव का निवास है मणिमहेश
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो इस झील से साफ दिखाई देता है। मणिमहेश की यात्रा हर साल आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में हिंदू त्योहार जन्माष्टमी के अवसर पर होती है। माना जाता है कि इस यात्रा की शुरुआत 9वीं शताब्दी में हुई थी, जब एक स्थानीय राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे। जिसके बाद उन्होंने मणिमहेश झील पर मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया था।
जन्माष्टमी पर होता है स्नान
इस धार्मिक यात्रा में छोटे शाही स्नान का आयोजन कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर होता है वहीं शाही स्नान का आयोजन राधा अष्टमी यानि 11 सितंबर को होगा।
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यात्रा के लिए जरूरी टिप्स
- श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान अपना चिकित्सा प्रमाण पत्र साथ रखना होगा।
- चढ़ाई धीरे-धीरे करनी है, सांस फूलने पर रूककर विश्राम करें फिर आगे बढ़ें।
- छाता, गर्म कपड़े, मजबूत जूते, टॉर्च और डंडा साथ रखें।
- प्रशासन द्वारा निर्धारित रास्ते पर ही चलें।
- किसी भी तरह की सेहत संबंधी समस्या होने पर पास के शिविर में संपर्क करें।
- दुर्लभ जड़ी-बूटियों और पौधों को न छूएं, बल्कि उनके संरक्षण में सहयोग करें।
- यात्रा के दौरान अपना कोई पहचान पत्र साथ रखें।
- सुबह 4 बजे से पहले और शाम 5 बजे के बाद यात्रा न करें।
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