Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धार्मिक पर्यटक स्थल है मेंहदार का महेंद्रनाथ मंदिर

    By Edited By:
    Updated: Wed, 02 Apr 2014 05:01 PM (IST)

    मोनिका शेखर, नई दिल्ली। धार्मिक पर्यटन का देश में अपना अलग ही महत्व है। बिहार का बाबा महेंद्रनाथ मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। नेपाल के राजा म ...और पढ़ें

    Hero Image
    धार्मिक पर्यटक स्थल है मेंहदार का महेंद्रनाथ मंदिर

    मोनिका शेखर, नई दिल्ली। धार्मिक पर्यटन का देश में अपना अलग ही महत्व है। बिहार का बाबा महेंद्रनाथ मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। नेपाल के राजा महेंद्र वीर विक्रम सहदेव ने मेंहदार में खूबसूरत मंदिर को बनवाया और इसका नाम महेंद्रनाथ रखा था। सीवान से लगभग 32 किमी दूर सिसवन ब्लॉक के मेंहदार गांव में स्थित भगवान शिव के महेंद्रनाथ मंदिर का निर्माण नेपाल नरेश महेंद्र ने 17वीं सदी में करवाया था। मंदिर आपपास के क्षेत्र के लोगों के अलावा देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। मेंहदार धाम बिहार का पर्यटक और ऐतिहासिक स्थल है। लगभग 500 वर्ष पुराना मेंहदार का महेंद्रनाथ मंदिर सबसे पुरानी धार्मिक स्थलों में है जो अब लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। मुख्य मंदिर के पूर्व में सैकड़ों बड़े छोटे घंटी लटका है जो देखने में बहुत ही रमण्ीय लगता है। घंटी के सामने पर्यटक अपनी फोटो खिंचवाते हैं। भगवान गणेश की एक प्रतिमा भी परिसर में रखा गया है। उत्तर में मां पार्वती का एक छोटा सा मंदिर भी है। हनुमान की एक अलग मंदिर है, जबकि गर्भगृह के दक्षिण में भगवान राम, सीता का मंदिर है। काल भैरव, बटूक भैरव और महादेव की मूर्तियां मंदिर परिसर के दक्षिणी क्षेत्र में है। मंदिर परिसर से 300 मीटर की दूरी पर भगवान विश्वकर्मा का एक मंदिर है। मंदिर के उत्तर में एक तालाब है जिसे कमलदाह सरोवर के रूप में जाना जाता है जो 551 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। इस सरोवर से भक्त भगवान शिव को जलाभिषेक करने के लिए पानी ले जाते हैं। इस सरोवर में नवंबर में कमल खिलते है और बहुत सारे साइबेरियाई प्रवासी पक्षियां यहां आते हैं जो मार्च तक रहते है। महाशिवारात्रि पर यहां लाखों भक्त आते हैं। उत्सव पूरे दिन पर चलता रहता है और भगवान शिव व मां पार्वती की एक विशेष विवाह समारोह आयोजित होता है। इस दौरान शिव बारात मुख्य आकर्षण होता है।

    मंदिर में खास
    मंदिर में छोटे-बड़े आकार की सकड़ों घंटियां बहुत नीचे से ऊपर तक टगी है जिसको बच्चे आसानी से बजा सकते हैं। हर-हर महादेव के उद्घोष और घंट-शंख की ध्वनि से मंदिर परिसर से लेकर सड़कों पर भगवान शिव की महिमा गूंजती रहती है। दशहरा के पर्व में 10 दिनों तक अखंड भजन, संकीर्तन का पाठ होता है। इसके अलावा सावन में महाशिवरात्रि पर लाखों भक्त शिव जलाभिषेक करते हैं। सालों भर पर्यटक का आना जाना लगा रहता है।

    क्या देखें
    कमलदाह सरोवर
    छोटे-बड़े मंदिर
    देशी और विदेशी साइबेरियाई पक्षी
    शिव श्रृंगार
    हर छोटे-बड़े आकर की घ्ाटी
    मंदिर में उछल कूद करते बंदर (लंगूर)
    कलश यात्रा के दौरान रास्ते में लोगों का हुजुम

    इतिहास
    ऐसी मान्यता है कि मेंहदार के इस प्राचीन शिवालय स्थित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से सारी मनोकमानएं पूरी होती है। नि:संतानों को संतान तथा चर्मरोगियों को भी उसकी बीमारी से निजाजत मिल सकता है। कहा जाता है सैकड़ों वर्ष नेपाल के महाराज महेंद्र वीर विक्रम सहदेव कुष्ठरोग से ग्रस्ति थे। वाराणसी यात्रा के दौरान राजा एक घने जंगल में रात्रिविश्राम करने हेतु छोटे से सरोवर किनारे रूके। भगवान शिव ने राजा को सपने में कहा कि तुम इस छोटे सरोवर में नहाओ और यही पीपल के पेड़ के नीचे मेरा शिवलिंग है जिसको तुम निकालो। राजा ने सुबह उस छोटे सरोवर में नहाकर उसी से शिवलिंग पर जलाभिषेक किया तो राजा का बीमारी ठीक हो गया। राजा ने शिवलिंग को अपने साथ ले जाने का कार्यक्रम बनाया तो रात में भगवान शिव ने राजा को पुन: स्वप्न में कहा कि तुम शिवलिंग को यही स्थापित करो और मंदिर का निर्माण करवाओ। राज ने मंदिर का निर्माण करवाया और उस छोटे से सरोवर को 552 बीघा में विस्तृत कराया। बड़े सरोवर की खुदाई में राजा ने एक भी कुदाल का प्रयोग नहीं करवाया और उसकी खुदाई हल और बैल से करवाया।

    शिवलिंग का विशेष श्रृंगार
    भोलेनाथ के श्रृंगार को देखने के लिए मंदिर में श्रद्धालु और पर्यटक खास तौर पर आते हैं। यहां शिवलिंग का शहद, चंदन, बेलपत्र और फूल से विशेष श्रृंगार किया जाता है। पहले शहद से शिवलिंग का मालिश करने के बाद चंदन का लेप लगाया जाता है। उसी लेप का शिवलिंग पर हाथों से डिजाइन बनाया जाता है। राम और ऊं लिखा बेलपत्र, धतूरा और फूलों से भगवान शिव का श्रृंगार होता है।

    मंदिर निर्माण की विशेषताएं
    मंदिर का निर्माण लाखौरी ईट और सुर्खी-चूना से हुआ है। चार खंभों पर खड़ा मंदिर एक ही पत्थर से बना है जिसमें कहीं जोड़ नहीं है। मुख्य मंदिर के ऊपर बड़ा गुबंद है जिस पर सोने से बना कलश और त्रिशुल रखा है। मंदिर के चारों तरफ आठ छोटे-बड़े मंदिर है जिनके ऊपर भी उसी डिजाइज और कलर का गुबंद है। मुख्य मंदिर में शिव का ऐतिहासिक काले पत्थर का शिवलिंग है जिसके चारों तरफ पीतल का घेरा है।

    कैसे पहुंचे
    रेल और सड़क मार्ग द्वारा आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है। सीवान से नजदीकी रेलवे स्टेशन महेंद्रनाथ हाल्ट है। यहां से शेयरिंग आटो या टै्रक्सी से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। बस और अपने सवारी से भी सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें