महाकाल की भस्म आरती में कैसे हों शामिल? यहां पढ़ें बुकिंग प्रक्रिया, ड्रेस कोड और दर्शन का पूरा प्लान
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो दक्षिणमुखी होने के कारण बेहद दुर्लभ और शक्तिशाली माना जाता है। महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में स्थित है, जहां हवाई जहाज, ट्रेन या सड़क मार्ग के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकता है। आइए जानें मंदिर में दर्शन करने (Mahakaleshwar Darshan Guide) जाने का सबसे अच्छा समय, भस्म आरती में कैसे शामिल हो सकते हैं और इसमें शामिल होने के लिए बुकिंग कैसे कर सकते हैं।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन करने जाने से पहले जान लें ये जरूरी बातें
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga)। धार्मिक दृष्टि से यह ज्योतिर्लिंग इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि यह दक्षिणमुखी है, यानी इसका शिवलिंग का मुख दक्षिण दिशा की ओर है। ऐसा शिवलिंग काफी दुर्लभ माना और शक्तिशाली माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि महाकाल के दर्शन से भक्तों के सारे डर दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्राचीन वास्तुकला, शिप्रा नदी के किनारे स्थित होना और रोज सुबह होने वाली भस्म आरती इस मंदिर के अनुभव को बेहद खास बना देती है। ऐसे में अगर आप भी उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने जाना चाहते हैं, तो आपको कुछ जरूरी बातें जान लेनी चाहिए, जैसे- वहां जाने का सबसे बेस्ट समय क्या है, दर्शन की टाइमिंग (Mahakal Darshan Timing) और बुकिंग (Bhasm Aarti Ujjain Booking) आदि।

(Picture Courtesy: Instagram)
महाकालेश्वर जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?
अक्टूबर से मार्च का समय सबसे बेहतर है, क्योंकि इस समय मौसम सुहावना रहता है, जिससे दर्शन और घूमने में आसानी होती है। महाशिवरात्रि या सिंहस्थ कुंभ के समय जाएं तो भीड़ ज्यादा होगी, लेकिन त्योहार का अलग ही उत्साह देखने को मिलेगा। वहीं मानसून में बारिश के कारण परेशानी हो सकती है। गर्मियों (अप्रैल-जून) में यहां का मौसम काफी गर्म होता है, इसलिए दर्शन की कतार में खड़ा रहना मुश्किल हो जाता है। इसलिए कोशिश करें कि आप अक्टूबर से मार्च के बीच वहां जाने का प्लान बनाएं।
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महाकालेश्वर दर्शन और आरती का समय क्या है?
मंदिर सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक खुला रहता है। आरती के समय में थोड़ा बदलाव हो सकता है, लेकिन आमतौर पर नीचे दिए गए शेड्यूल के अनुसार ही आरती होती है-
- भस्म आरती- सुबह 4:00 बजे से 6:00 बजे तक (बुकिंग करना जरूरी है)
- सुबह की आरती- लगभग 7:00 बजे
- मिड-डे पूजा- दोपहर में
- संध्या आरती- शाम 7:00 बजे से 7:30 बजे तक
- शयन आरती- रात 10:30 बजे से 11:00 बजे तक
भस्म आरती में कैसे शामिल हो सकते हैं?
- भस्म आरती में शामिल होने के लिए ऑनलाइन बुकिंग पहले से करना जरूरी है। बिना बुकिंग के आप आरती में शामिल नहीं हो सकते। महाकालेश्वर की आधिकारिक वेबसाइट shrimahakaleshwar.com पर बुकिंग की जा सकती है।
- इसके अलावा ड्रेस कोड का ध्यान रखना जरूरी है। पुरुषों के लिए धोती और महिलाओं के लिए साड़ी/सलवार सूट पहनना जरूरी है।
- मोबाइल और बैग मंदिर में ले जाने की अनुमति नहीं है, इन्हें लॉकर में रखना होगा।
- साथ में अपना आईडी प्रूफ जरूर लेकर जाएं। मंदिर में प्रवेश करने से पहले आपकी आईडी चेक की जाती है।
- मंदिर समय से पहुंच जाएं, क्योंकि आरती शुरू होने के समय से पहले ही श्रद्धालुओं की भीड़ वहां पहुंच जाती है।
भस्म आरती की टिकट कब बुक कर सकते हैं?
महाकालेश्वर मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट shrimahakaleshwar.com पर 60 दिन पहले से एडवांस बुकिंग शुरू हो जाती है। एक अकाउंट से 10 लोगों की टिकट बुक कर सकते हैं।
महाकालेश्वर यात्रा के लिए कितने दिन चाहिए?
अगर आप सिर्फ महाकालेश्वर के दर्शन करने जा रहे हैं, तो 1-2 दिन काफी हैं। पहले दिन भस्म आरती और मंदिर के दर्शन कर सकते हैं, और दूसरे दिन उज्जैन के अन्य प्रसिद्ध मंदिर जैसे काल भैरव, हरसिद्धि मंदिर और मंगलनाथ मंदिर देख सकते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर कैसे पहुंचें?
- ट्रेन से- दिल्ली, मुंबई, जयपुर, वाराणसी जैसे शहरों से उज्जैन जंक्शन की ट्रेन आसानी से मिल जाती है।
- हवाई जहाज से- सबसे नजदीकी एयर पोर्ट इंदौर का देवी अहिल्या बाई होल्कर है, जहां से आसानी से टैक्सी या बस से उज्जैन जा सकते हैं।
- रोडवे से- कार या बस से भी आसानी से उज्जैन पहुंचा जा सकता है।
मंदिर जाने के लिए आपको लोकल रिक्शा या टैक्सी आसानी से मिल जाएगी।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गर्भगृह दर्शन के लिए टिकट ₹750 और ₹1500 में मिलते हैं। महिलाओं और बच्चों के लिए कुछ शर्तों के साथ मुफ्त दर्शन की सुविधा भी है।
हां, लेकिन उन्हें ड्रेस कोड (साड़ी/सूट) का पालन करना होगा और कुछ नियमों का ध्यान रखना होगा।
VIP दर्शन एक पेड सुविधा है, जिसमें आपको कम समय में दर्शन कराए जाते हैं। इसके लिए अलग से चार्जेस देने होते हैं।
मंदिर में मौजूद भीड़ के अनुसार समय लग सकता है। आमतौर पर एक से तीन घंटे में दर्शन कर सकते हैं, लेकिन किसी त्योहार या खास उत्सव पर ज्यादा समय भी लग सकता है।

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