भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में पांचवें स्थान पर आता है केदारनाथ, जिसकी बनावट और इतिहास दोनों है खास
सावन माह में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करना अच्छा माना जाता है। तो उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर के दर्शन के लिए समय और मौसम दोनों है उपयुक्त। आइए जानते हैं मंदिर और वहां तक कैसे पहुंचे इसके बारे में।
केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखंड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है।
यहां की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मंदिर अप्रेल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहां स्थित स्वयंभू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। जून 2013 के दौरान भारत के उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा। मंदिर की दीवारें गिर गई और बाढ़ में बह गई। इस ऐतिहासिक मंदिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहे लेकिन मंदिर का प्रवेश द्वार और उसके आसपास का इलाका पूरी तरह से तबाह हो गया।
केदारनाथ मंदिर की खासियत
यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है, जो कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है। ये शिलाखंड भूरे रंग के हैं। मंदिर लगभग 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर बना है। इसका गर्भगृह अपेक्षाकृत प्राचीन है जिसे 8वीं शताब्दी के लगभग का माना जाता है। केदारनाथ मंदिर 85 फुट ऊंचा, 187 फुट लंबा और 80 फुट चौड़ा है। इसकी दीवारें 12 फुट मोटी हैं और बेहद मजबूत पत्थरों से बनाई गई है। मंदिर को 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर खड़ा किया गया है।
कैसे पहुंचे
रेल मार्ग
सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। इसके अलावा देहरादूर, हरिद्वार और कोटद्वार आकर भी यहां केदारनाथ तक पहुंचा जा सकता हैं।
हवाई मार्ग
जॉली ग्रांट एयरपोर्ट यहां का नजदीकी एयरपोर्ट है।
सड़क मार्ग
दिल्ली से ऋषिकेश पहुंचकर यहां से भी गौरीकुंड के लिए बसें मिलती हैं। गौरीकुंड ही वह जगह है जहां से केदारनाथ के लिए सड़क खत्म होती है और मंदिर जाने के ट्रेक की शुरुआत होती है।