Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एशिया के सबसे खूबसूरत रिजर्व में शामिल कान्हा नेशनल पार्क आकर देखें दुर्लभ जीव-जंतु

    By Priyanka SinghEdited By:
    Updated: Mon, 25 Mar 2019 10:02 AM (IST)

    कंक्रीट के शहरों से दूर कुछ पल प्रकृति और वन्य जीव-जंतुओं के बीच बिताना हो तो मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क जाएं। जो है मार्च-अप्रैल में घूमने के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन।

    एशिया के सबसे खूबसूरत रिजर्व में शामिल कान्हा नेशनल पार्क आकर देखें दुर्लभ जीव-जंतु

    कान्हा नेशनल पार्क देश के चंद सबसे महत्वपूर्ण टाइगर रिर्जव्स में से एक है। यहां न सिर्फ टाइगर्स और बारहसिंघों को बचाने और संरक्षित करने की कोशिशें की जा रही हैं बल्कि कई अन्य दुर्लभ पशु-पक्षी भी देखने को मिल सकते हैं। प्रकृति के करीब कुछ पल बिताने का मन हो, घने जंगलों से शांत व धीर बनने का संदेश लेना हो और वहां के नियमों-कानूनों के जरिए जिंदगी के फलसफे को समझना हो तो एक बार कान्हा नेशनल पार्क जरूर जाएं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जंगल बुक की प्रेरणा

    रुडयार्ड किपलिंग की मशहूर जंगल बुक की प्रेरणा है कान्हा टाइगर रिजर्व। यह ऐसा पार्क है, जहां सफारी पर हों तो टाइगर को आराम से टहलते-घूमते नजदीक से देख सकते हैं। अतीत के पन्नों को खंगालें तो पता चलता है कि 1879-1910 ईस्वी तक यह क्षेत्र अंग्रेजों के शिकार की खास जगहों में शामिल था। कान्हा को अभ्यारण्य के रूप में साल 1933 में स्थापित किया गया और देश की आजादी के 8 साल बाद 1955 में इसे नेशनल पार्क घोषित किया गया। इसे एशिया के सबसे खूबसूरत वन्य जीव रिजर्व में एक माना जाता है। यहां के खुले घास के बड़े मैदानों में काला हिरन, बाराहसिंघा, सांभर और चीतल एक साथ नजर आते हैं।

    मुन्ना टाइगर

    पार्क में अभी लगभग 131 टाइगर हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय है- मुन्ना। काउंटिंग के लिहाज से इसे टी 17 नाम दिया गया है। साल 2002 में जन्मा मुन्ना पर्यटकों के साथ-साथ यहां के लोगों में भी खासा पॉप्युलर है। इसके माथे पर कैट व पीएम लिखा हुआ है। 16 साल की उम्र में भी इसकी फुर्ती का जवाब नहीं। इसके समय के कई अन्य टाइगर या तो टैरिटरी की लड़ाई में मारे गए या गायब हो गए लेकिन मुन्ना पूरी धमक से मौजूद है।

    सुरक्षित हैं बारहसिंगा

    बारहसिंगा की कई विलुप्तप्राय प्रजातियां यहां देखने को मिलती हैं। कंटीले तारों की फैंसिंग करके इन्हें संरक्षित किया गया है। मौजूदा गणना में यहां 1000 से भी अधिक बारहसिंगा हैं। दिसंबर के अंत से जनवरी के मध्य तक बारहसिंगों के प्रजनन का समय रहता है। अगर आप इस समय यहां घूमने आएंगे तो इन्हें काफी करीब से देख पाएंगे।

    चहचहाहट करते पंछी 

    यहां लगभग 300 पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं, हर मौसम में पक्षियों की चहचहाहट से जंगल आह्लादित रहता है। पक्षियों की जो प्रजातियां मौजूद हैं, उनमें स्थानीय पक्षियों के अलावा सर्दियों में आने वाले प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। यहां सारस, छोटी बत्तख, पिंटेल, बगुला, मोर, मुर्गा, तीतर, बटेर, अलग-अलग तरह के कबूतर, पपीहा, उल्लू, पीलक, किंगफिशर, कठफोड़वा, धब्बेदार पेराकीट्स व चील आदि शामिल हैं।

    आहट सी कोई आती है

    जंगल के अपने कायदे-कानून हैं। जंगल सफारी में कॉल्स और पग मार्क का काफी महत्व है। हिरन को जैसे ही टाइगर की आहट सी आती महसूस होती है, वह अलग किस्म से आवाज निकाल कर अपने लोगों को अलर्ट करता है। जंगल सफारी के दौरान हिरन की ऐसी आवाजों के साथ कूदने-भागने से ही समझ आ जाता है कि निकट ही कहीं टाइगर है। ऐसे में इंतजार करना ही सही लगता है और हम इंतजार करने लगते हैं उस पल का, जब हमें यहां कहीं नजदीक से टाइगर के दर्शन हो जाएंगे।

     

    निधि