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    रसोई से लेकर आयुर्वेद तक अपना जादू कायम रखे हुए है अदरक, जानें इससे जुड़ी अन्य रोचक बातें

    गर्म तासीर वाली अदरक और इसका सूखा हुआ सौंठ हर तरह से अपनी महत्ता के चलते रसोई से लेकर आयुर्वेद तक कायम रखे हुए है अपना जादू जानेंगे इससे जुड़ी अन्य रोचक बातें।

    By Priyanka SinghEdited By: Updated: Wed, 11 Dec 2019 11:42 AM (IST)
    रसोई से लेकर आयुर्वेद तक अपना जादू कायम रखे हुए है अदरक, जानें इससे जुड़ी अन्य रोचक बातें

    आमतौर पर अदरक को मसालों की सूची में शामिल नहीं किया जाता है हालांकि जब हम कहते हैं 'बंदर क्या जाने अदर का स्वाद!' तब यह तो स्वीकार करते ही हैं कि स्वाद के साथ इसका संबंध किसी मसाले से कम नहीं। यह बात जानें क्यों आसानी से नजरअंदाज की जाती है कि अधिकांश भारतीय व्यंजनों में पिसे अदरक-लहसुन का ही इस्तेमाल होता है। पहले जहां इन्हें सिल-बट्टे पर ताजा पीसा जाता था, अब इसकी खपत देखकर अनेक कंपनियां रेडीमेड अदरक या अदरक-लहसुन का पेस्ट बाजार में उतार चुकी हैं।

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    सात्विकता से भरपूर

    अदरक मूल संस्कृत शब्द आर्द्रक का अपभ्रंश है जिससे यह संकेत मिलता है कि यह खुश्की दूर करती है और तरावट देती है। अंग्रेजी में इसे जिंजर कहते हैं जो प्राकृत के श्रंगवेर से उपजा है। यह नाम इसकी शक्ल को देखकर दिया गया था- ऐसी गांठवाली जड़ जिस पर सींग नजर आते हैं! हल्दी के परिवार की सदस्य अदरक में कसैलापन लिए तीखा स्वाद होता है जिसे अंग्रेजी में 'एस्ट्रिंजैंट' कहते हैं। अदरक को सात्विक समझा जाता है और ब्रह्मचारी बौद्ध भिक्षु अपने खाने में इसे बेहिचक शामिल कर सकते थे। 

    विद्वानों का मत है कि अदरक का जन्म अन्य कई मसालों की तरह दक्षिण पूर्वी एशिया में हुआ। ईसा के जन्म से सदियों पहले समुद्री सौदागर इसे भारत लाएं और आज भारत अदरक के सबसे बड़े उत्पादकों में एक है।

    देश-विदेश की थाली अधरी

    यही अदरक जब सूख जाती है तो इसे सोंठ नाम दिया जाता है। कश्मीरी पंडितों की रसोई में सोंठ अहम मसाला है। लगभग सभी व्यंजनों में इसका प्रयोग होता है। खटाई के लिए आप चाहे इमली को चुनें या अमचूर को, यह गाढ़ी चटनी बिना सोंठ के नहीं बन सकती। थाईलैंड के खान-पान में गलांगल नामक अदरक की प्रजाति का इस्तेमाल लेमन ग्रास और काफिर लाइम के साथ होता है। चीनी काने में अदरक को चाशनी में लपेटकर मुरब्बे के कतरे की शक्ल में पेश किया जाता है। जिंजर पुडिंग, जिंजर नट बिस्किट जैसे बेकरी उत्पादों में भी अदरक अपना जादू जगाती है। फ्रांस में कुछ मदिराओं में मौजूद अदरक की महक इन्हें और मादक बनाती है, इन्हें मल्डवाइन कहते हैं।

    हर मौसम की हमसफर

    अदरक का गुण यह भी है कि यह मीठे और नमकीन दोनों ही प्रकार के पकवानों के साथ बखूबी निबाह सकता है। गर्मी में तन-मन को शीतल करने वाली जिंजर एल या जोड़ों में ठंड भगाने वाली मसाला चाय में भी अदरक की अहम भूमिका रहती है। जाड़ों में पुष्टिमार्गी मंदिरों में जो छप्पन भोग हैं उनमें शुंठि नामक पेय भी है जिसे अदरक से तैयार किया जाता है।

    दूर भगाए खांसी

    आयुर्वेद के अनुसार, अदरक क्षुधावर्धक, पाचक होने के साथ-साथ खांसी में भी शहद के साथ राहत देती है। नींबू के रस में किशमिश वाला अदरक का गुलाबी अचार पारंपरिक है जबकि बड़े आकार की अदरक की परतों से तिकोने समोसे की शक्ल वाला नवजात अचार भी कम आकर्षक नहीं लगता। पौरुष को अक्षुण्ण रखने वाले पारंपरिक नुस्खों में 'अदरक के पंजे' का बखान चुहलबाजी में होता रहा है।