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    जलीय जीवों का करना चाहते हैं दीदार, तो एक बार जरूर जाएं राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य

    By Pravin KumarEdited By:
    Updated: Mon, 18 Oct 2021 07:00 PM (IST)

    राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य भी कहा जाता है। इस अभयारण्य में घड़ियाल लालमुकुट कछुआ समेत कई जलीय जीव हैं। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की स्थापना साल 1978 में हुई थी। यह अभयारण्य 2100 वर्ग मील में फैला है।

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    राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य भी कहा जाता है।

    दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। इतिहास के पन्नों में चंबल नदी का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। इस नदी के किनारे चंबल की घाटी है। यह नदी अन्य नदियों की तरह है। मध्यप्रदेश और राजस्थान से होकर उत्तर प्रदेश स्थित यमुना नदी में जाकर मिलती है। प्राचीन समय में चंबल नदी को "चरमवाती "कहा जाता था। इस नदी के बारे में कई किदवंती है। इतिहासकारों की मानें तो महाभारत काल में चरमवाती नदी के किनारे कौरवों और पांडवों ने जुआ खेला था। इस जुए में पांडव अपनी धर्मपत्नी द्रौपदी को भी हार गए थे। उस समय कौरवों ने चरमवाती नदी के किनारे द्रौपदी की चीरहरण करने की कोशिश की थी।

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    तभी भगवान श्रीकृष्ण ने मदद कर द्रौपदी की मान मर्यादा को भंग नहीं होने दिया था। इस दृश्य के साक्षी चरमवाती नदी को द्रौपदी ने शाप दिया कि जो कोई चरमवाती नदी का पानी पिएगा। उसका सबकुछ नष्ट हो जाएगा। कालांतर से इस नदी का पानी कोई नहीं पीता है। इसके चलते चंबल नदी के किनारे लंबे समय तक लोग ने बसेरा नहीं बनाया।

    वहीं, महाभहारत में राजा रंतिदेव का नाम निहित है। ऐसा कहा जाता है कि रंतिदेव चंबल नदी के किनारे यज्ञ करते थे और यज्ञ के दौरान जानवरों की बलि दी जाती थी। इस वजह से चंबल नदी के पानी का रंग हमेशा लाल रहता था। हालांकि, द्रौपदी के शाप के बाद लोगों के न बसने के चलते चंबल नदी का पानी दूषित नहीं हुआ है। आज चंबल नदी का पानी बेहद स्वच्छ है। वक्त के साथ चंबल नदी के किनारे लोग बसने लगे। आज चंबल नदी के किनारे दो राष्ट्रीय अभयारण्य हैं। इससे पूर्व चंबल घाटी में डकैतों का बोलबाला था। अगर आप चंबल नदी के किनारे स्थित राष्ट्रीय अभयारण्य की सैर करना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य जरूर जाएं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

    राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य कहां है

    राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चम्बल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य भी कहा जाता है। इस अभयारण्य में घड़ियाल, लालमुकुट कछुआ समेत कई जलीय जीव हैं। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की स्थापना साल 1978 में हुई थी। यह अभयारण्य 2,100 वर्ग मील में फैला है। आप राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की सैर कर सकते हैं। नवंबर से लेकर मार्च महीने के दौरान चंबल की यात्रा करना बेहतर माना जाता है। इसके लिए आप त्योहारों के सीजन में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य की सैर कर सकते हैं।

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