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    8 ऐतिहासिक इमारतें जहां बिहार ही नहीं बसता है देश का इतिहास

    By Prabhapunj MishraEdited By:
    Updated: Mon, 16 Oct 2017 04:35 PM (IST)

    बिहार का नाम मन में आते ही एक सामान्‍य ये राज्‍य की छवि उभरकर आती है पर बिहार में देश का इतिहास बसता है। विश्‍व का प्रथम विश्‍वविद्यालय बिहार में ही स ...और पढ़ें

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    8 ऐतिहासिक इमारतें जहां बिहार ही नहीं बसता है देश का इतिहास

    1-बराबर की गुफाएं

    बराबर की गुफाएं बिहार के सुल्‍तानपुर में स्थित है। इन गुफाओं में से ज्यादातर गुफाओं का संबंध मौर्य काल से है। कुछ गुफाओं में अशोक के शिलालेखों को देखा जा सकता है। ये गुफाएं भारत के बिहार राज्य के जहानाबाद जिले में गया से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। ये गुफाएं बराबर चार गुफाएं और नागार्जुनी तीन गुफाएं की जुड़वां पहाड़ियों में स्थित हैं। बिहार में ये सैलानियों का प्रमुख स्‍थल है।

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    2- गया

    गया फल्गु नदी के तट पर बसा गया बिहार राज्य का दूसरा बड़ा शहर है। वाराणसी की तरह गया की प्रसिद्धि मुख्य रूप से एक धार्मिक नगरी के रूप में है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ हजारों श्रद्धालु पिंडदान के लिये जुटते हैं। दंतकथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर को अहम स्थान प्राप्त है। गया पितृदान के लिए भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है।

     

    3- गोलघर

    गोलघर बिहार की राजधानी पटना में गाँधी मैदान के पश्चिम में स्थित है। 1770 में आई भयंकर सूखे के दौरान लगभग एक करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हुए थे। तब गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई थी। ब्रिटिश इंजिनियर कैप्टन जान गार्स्टिन ने अनाज के भंडारण के लिए इस गोल ढाँचे का निर्माण 20 जनवरी 1784 को शुरु करवाया था। इसका निर्माण कार्य ब्रिटिश राज में 20 जुलाई 1786 को संपन्न हुआ था। इसमें एक साथ 140000 टन अनाज रखा जा सकता है।

     

    4- नालंदा विश्‍वविद्यालय

    भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। महायान बौद्ध धर्म के इस शिक्षा-केन्द्र में हीनयान बौद्ध-धर्म के साथ ही अन्य धर्मों के तथा अनेक देशों के छात्र पढ़ते थे। वर्तमान बिहार राज्य में पटना से 90  किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से 12 किलोमीटर उत्तर में एक गाँव के पास अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा खोजे गए इस महान बौद्ध विश्वविद्यालय के भग्नावशेष इसके प्राचीन वैभव का इतिहास बताता है।

     

    5- नालंदा

    नालंदा को बुद्धिष्‍ट साइट के रूप में जाना जाता है। यहां पर बुद्धकालीन कई स्‍मृतिचिह्न बने हुए है। नालंदा बिहार में स्थित है। यहां पर बुद्धिष्‍ट को शिक्षा-दीक्षा प्रदान की जाती थी। ये जगह गुप्‍तकाल के दौरान की है। आचार्य चाण्‍यक्‍य नालंदा विश्‍व विद्यालय में ही शिक्षण कार्य किया करते थे।  भारत भ्रमण के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग भी यहां आए थे।

     

    6- पटना

    पटना को पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था। प्राचीन काल में यह कई राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। पाटना अब बिहार की राजधानी है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्रचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। मेगास्थनीज ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है।

     

    7- सोनभंदर की गुफाए

    बिहार के राजगीर जिले में स्थित सोनभंदर की गुफाएं सैकड़ों साल पुरानी हैं। सोनभंदर गुफाएं बिहार के राजगीर की एक बड़ी चट्टान में मौजूद दो गुफाएं हैं। पश्चिमी शिलालेख के कारण इन्हें ईसा पूर्व तीसरी या चौथी सदी में का माना जात है। माना जाता है कि पश्चिमी कक्षों को रक्षक कक्ष हैं और द्वार राजा बिम्बीसरा के खजाने की ओर जाता है। लोककथाओं के अनुसार कई लोगों ने इस खजाना को चुराने की कोशिश की पर खजाना ज्यों का त्यों पड़ा है।

     

    8- वैशाली

    वैशाली बिहार राज्‍य में स्थित है। इस जगह का अपना ऐतिहासिक महत्‍व है। यह भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए एक पवित्र स्थल है। कहते हैं कि भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ। यह उनकी कर्म भूमि भी थी। महात्मा बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। अतिमहत्त्वपूर्ण बौद्ध एवं जैन स्थल होने के अलावा यह जगह पौराणिक हिन्दू तीर्थ एवं पाटलीपुत्र जैसे ऐतिहासिक स्थल के निकट है।